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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Friday, April 30, 2010

RADIOACTIVE NEGLIGENCE BY DU AND QUESTIONS.

30.04.2010.

“ The fault, dear Brutus, is not in our stars,
But in ourselves, that we are underlings .”

Almost two days after it has been known that the careless disposal of the radioactive scrap was the fault of Delhi University, and after keeping quiet over it for two days, the Vice Chancellor gathering modesty to own up ‘the moral responsibility’ and expressing regret, questions have been piling over.
Two biggest questions are on the safety of radioactive materials in India, with countries like United States getting a chance to encore ‘You can trust none but us’, and the other on the functioning of the premier Central University, i.e., the University of Delhi. To top it, one can understand the predicament of the Union Human Resource Minister, who gets the certificate for all his excellence in functioning from ‘United States of America’.
Having been associated with Delhi University now over nearly a quarter of a century, first as a student at various levels and then as a teacher, I have a list of questions which ought to be answered by the University Administration. However, I cannot help mentioning and remembering my Kirori Mal College Hostel days in mid 80s when there were Nuclear Scare twice with reports of leakage of radioactive materials from Sri Ram Institute of Scientific Research, at Delhi University campus, with Hansraj College and Hostel being most vulnerable. An episode probably Shah Rukh Khan would also remember!
v Who bought this material Cobalt-60, for what costs, and the list of experiments for which it was used?
v Since when was this Cobalt-60 unused and why?
v Who determined its disposal and at what costs?
v Whether sanction at highest level was required and obtained?
v How many teachers and students of CHEMISTRY Department of the University have been exposed to radiation risks by such carelessness?
v Are there any data of students and teachers at Delhi University labs developing any health complications?
v Would the ‘compensation’ being extended by DU VC be fished out of the pockets of those guilty or funds from governments exchequer shall be siphoned off?
v Will the Inquiry be an in-house mechanism of DU or to be conducted by an Expert Committee of CSIR or Atomic Energy Commission of India?
It should be noted that those who point out towards compromise of merit if OBC reservations are implemented, know that these were meritorious defaulters. Further, with these kinds of things coming up the COMMONWEALTH GAMES could well be hit, for which DU cut down thousands of trees, many well 150 years old, and used up funds, which stand no audits!
Nevertheless, the answers for these questions are given, we shall wait for the Vice Chancellor to put his act together and give a semblance of administration to this premier University, rather than be a ‘tool’ of the Minister for HRD in implementing his “all American agenda”!

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सूरज यादव ने आज विश्वविद्यालय प्रसाशन से माँग की है की यह बताया जाय की कॉबल्ट ६० को किसने और कब खरीदा तथा इससे कितने प्रयोग किए गये एवं इसे कब बेकार समझ लिया गया. दरअसल, इस दुर्घटना से अनेक प्रशन उठे हैं जिनके सही जबाब के लिए एक व्यापक जाँच की आवश्यकता है. यह भी जानने की आवश्यकता है की कितने छात्र ऐवम शिक्षक इस लापरवाही के शिकार बने है. ओ.बि.सि आरक्षण का विरोध करने वाले भी यह जान लें की इतनी बरी लापरवाही मेरिट वालों से ही हुई है. विश्वविद्यालय द्वारा ऐसी ग़लती से राष्ट्रमंडल ख़ीलारीओं की भी मुश्किलें बढ़ी हैं. जिस खेल के लिए हज़ारों पेड़ काट डाले गये और पानी की तरह पैसे बहाएं जा रहें हैं, उस खेल पर भी इस प्रकरण से समस्याएं आना तय है.

सूरज यादव ने उम्मीद जताई है की कम से कम अब वी. सी. इस देश के शिक्षा मंत्री के "अमरीकी अजेंडा" को लागू करने के लिए एक अजेंट बनने के बजाए इस देश के सबसे श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान में शिक्षा का स्तर बनाए रखने के लिए प्रयास करेंगे.

विकिरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी तत्व से किरणों के रूप में लगातार ऊर्जा निकलती रहती है। यह प्रक्रिया तब तक होती रहती है, जब तक तत्व स्थायित्व प्राप्त नहीं कर लेता है। रेडियोएक्टिव तत्वों से एल्फा, बीटा, गामा किरणों के रूप में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। रेडियोएक्टिव पदार्थ से एक अवधि के बाद किरणों का उत्सर्जन बंद हो जाता है। इसका कारण उनके स्वरूप में बदलाव होना है। इस अवधि की गणना अर्धआयु काल से की जाती है। यह पदार्थ के अन्य पदार्थ में बदलने का आधा समय है।

किसी भी धातु का सबसे छोटा कण या परमाणु इलेक्टॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है। इन तीनों कणों की परमाणु में निर्धारित संख्या और संरचना होती है। प्रोटॉन (पॉजिटिव चार्ज) और न्यूट्रॉन केंद्र में होते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉन (निगेटिव चार्ज) बाहरी कक्षा में चक्कर लगाते रहते हैं। किसी भी परमाणु को स्वतंत्र रहने के लिए तीनों कणों का एक समान अनुपात चाहिए होता है। जब परमाणु के केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन अधिक होते हैं तो यहीं से कुछ किरणों के रूप में ऊर्जा का उत्सर्जन होने लगाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक तीनों कणों की संख्या एक निर्धारित अनुपात में न आ जाए।

भयावह होते हैं हादसे

पिछले वर्ष नवंबर में कैगा परमाणु संयंत्र में रेडियोएक्टिव पदार्थ ट्राइटियम प्रयोगशाला में लगे वॉटर कूलर में मिला था। इससे वहां कार्यरत ५क् लोग बीमार पड़ गए थे। वहीं वर्ष 2007 में न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स में 63 बड़ी परमाणु दुर्घटनाएं हुईं। सबसे भयावह दुर्घटना 1986 की चेरनोबल आपदा थी, जो यूक्रेन में हुई थी। इस हादसे में 50 लोगों की मौत हो गई थी और 4,000 से अधिक लोगों को घातक कैंसर होने के मामले सामने आए थे। इसके साथ ही सात अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था। बेलारूस, यूक्रेन और रूस के पास दुर्घटना के बाद रेडियोएक्टिव तत्व निकल गया था। इसकी वजह से 3 लाख 50 हजार लोगों को इस क्षेत्र से दूर बसाया गया था।

रेडियोएक्टिव प्रकृति

एक्टिनाइट श्रेणी के सभी सदस्य रेडियोएक्टिव प्रकृति के होते हैं। इनमें से अधिकांश प्रकृति में नहीं पाए जाते हैं। परमाणु क्रमांक 93 और उसके बाद के तत्व सामान्यत: ट्रांसयूरेनियम तत्व कहलाते हैं। इन तत्वों को कृत्रिम रूप से बनाया जाता है।

फायदा भी, नुकसान भी

- कोबाल्ट-60, कोबाल्ट का कृत्रिम तौर पर बनाया गया रेडियोएक्टिव आइसोटोप है। इसे रेडियोएक्टिव पदार्थो की खोज और कैंसर के ट्रीटमेंट में खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह रेडियोथैरेपी में उपयोग में लाया जाता है। यह दो गामा किरणों पैदा करता है।

- रेडियोथैरेपी मशीन से निकलने वाले कोबाल्ट-60 का यदि उचित ढंग से निपटारा न किया जाए तो यह मानव, जानवर और पर्यावरण के लिए घातक हो सकता है। इससे उत्तरी अमेरिका में 1984 में कई दुर्घटनाएं हुई थीं।

सही ढंग से नष्ट करना जरूरी

- इंसान के लिए कोबाल्ट-60 का खुला विकिरण खतरनाक होता है। यदि यह शरीर में यह चला जाए तो इसका बड़ा हिस्सा मल के साथ बाहर आ जाता है। हालांकि, लीवर, किडनी और हड्डियों द्वारा इसकी छोटी सी भी मात्रा सोख लेने पर कैंसर होने का खतरा होता है।

- कोबाल्ट-60 से बनी रेडियोथैरेपी मशीनों उस समय खतरनाक साबित हो जाती हैं जब उपयोग के बाद उन्हें सही ढंग से नष्ट न किया जाए। अब इन मशीनों को आधुनिक लीनियर एक्सेलेटर से बदला जा रहा है।

क्या होते हैं आइसोटोप?

दो या दो से अधिक परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है, लेकिन उनके न्यूट्रॉन्स की संख्या अलग होती है, आइसोटोप्स कहलाते हैं। जैसे कार्बन के तीन आइसोटोप्स कार्बन-12, कार्बन-13, कार्बन-14 प्रकृति में पाए जाते हैं। इनके मास नंबर क्रमश: 12,13,14 होते हैं। कार्बन की परमाणु संख्या 6 है। इसलिए इन आइसोटोप्स में न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमश: 12-6=6, 13-6=7, 14-6=8 होगी। इसी तरह से हीलियम के एचई-3, एचई-4 और यूरेनियम के यू-235 और यू-239 आइसोटोप होते हैं।

मैरी क्यूरी ने की थी खोज

दिसंबर 1899 में मैरी क्यूरी और उनके पति पेरी क्यूरी ने पिचब्लैंड नाम के खनिज से रेडियम की खोज की थी। मैरी के अनुसार, यह नया तत्व यूरेनियम से 20 लाख गुना अधिक रेडियोएक्टिव था। उन्होंने पाया कि सिर्फ कुछ ही तत्व ऊर्जा वाली किरणों को उत्सर्जित करते हैं। उन्होंने तत्वों से ऊर्जा उत्सर्जन के इस व्यवहार को रेडियोएक्टिविटी का नाम दिया। मैरी क्यूरी भौतिकी और रसायन विज्ञान में दो नॉबल पुरुस्कार जीतने वाली पहली महिला थीं।

क्या है कोबाल्ट-60?

कोबाल्ट-60 को प्रतीकात्मक रूप में 60ओ लिखा जाता है। इसमें 33 न्यूट्रॉन और प्रोटॉन 27 होते हैं। यह कोबाल्ट का रेडियोएक्टिव आइसोटोप होता है। इसकी अर्धआयु 5.2714 वर्ष होती है। इस वजह से यह प्रकृति में नहीं पाया जाता है। 59सीओ के न्यूट्रॉन को सक्रिय कर इसे कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। 60 सीओ नकारात्मक बीटा का क्षय कर स्थायी आइसोटोप निकिल-60 (60एनआई) में बदल जाता है। सक्रिय निकिल परमाणु 1.17 और 1.33 एमईवी की दो गामा किरणों उत्सर्जित करता है।

इनको है ज्यादा खतरा

रेडिएशन का सबसे ज्यादा खतरा एक्स-रे, सीटी स्कैन मशीनों, न्यूक्लियर पॉवर प्लांट आदि में काम करने वाले लोगों और इनके पास रहने वाले लोगों को होता है। नियमानुसार एक्स-रे, सीटी स्कैन आदि उपकरणों को जिनमें रेडियोएक्टिव तत्वों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें आवासीय इलाकों में नहीं लगाया जाना चाहिए।

रेडिएशन की जांच जरूरी

रेडिएशन की जांच के लिए रेडिएशन मॉनीटर प्रयोग किया जाता है। जब भी किसी व्यक्ति को उपचार के लिए रेडिएशन से गुजारा जाता है या फिर वह किसी ऐसे संस्थान में काम करता है, जहां रेडिएशन होता है तो उसे यह उपकरण रखना होता है। इस मीटर के आंकड़ों की स्टडी परमाणु ऊर्जा नियामक एजेंसी करती है। यदि विकिरण अधिक हो रहा होता है तो उसे कम किया जाता है।

पांच फीसदी खतरा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर प्रतीक कुमार बताते हैं कि १क्क् लोगों को एक-एक मिली सीवर्ट रेडिएशन दिया जाए तो अधिकतम इनमें से पांच लोगों को कैंसर हो सकता है। उन्होंने बताया कि चिकित्सा में इसकी मात्रा एक मिली सीवर्ट के लाखवें हिस्से के बराबर दी जाती है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, एक व्यक्ति साल में २क् मिली सीवर्ट रेडिएशन के संपर्क में आने पर भी उसे कोई नुकसान नहीं होता।

सूरज यादव

SURAJ YADAV
Assistant Professor,
Swami Shraddhanand College

Thursday, April 29, 2010

Bihar Government TURNS BLIND EYE TO THOSE BLINDED AT A GOVT EYE CAMP






NCP exposes the real face of SUSHASHAN of Nitish Government in Bihar
31 persons blinded at a Government Eye Camp at Kasba, Purnea, Bihar left to beg for living.

New Delhi , the 29th April, 2010

Nationalist Congress Party National Media Convenor Prof Suraj Yadav has submitted Memorandum to the President Of India, Union Health Minister, National Human Rights Commission and the Governor of Bihar complaining about apathy of Bihar Government and its insensitivity on ignoring repeated representation of 31 poor citizens from SC/ST, backward class and minority sections of society who have lost their eyesight, some becoming totally blind after operation at Eye Camp at Kasba, Purnea (Bihar) in Jan. 2009, and getting no response from Govt. of Bihar for treatment at Govt. Cost and Compensation. Prof Yadav said that such incidents, which are not exceptions, expose the ‘sushashan’ of Nitish Government in Bihar. The District Magistrate, Purnea enacted a farce of enquiry to reject the genuine demands of the hapless citizens and also for the conspiracy to protect the guilty doctor. It has been tried not to let the story appear in the media lest it depicts the ‘sushashan’ of Nitish Government in bad light.
31 poor and downtrodden citizens belonging to SC/ST, backward classes and minority sections of society who went for eye operation (for cataract) at a Free Cataract operation camp organized by District Blindness Control Committee, Purnea (Bihar) and a NGO-National Consumer Organization, ‘SAVERA’ from 24.01.2009 to 27.01.2009, by the Medical Officer Dr. Srikant Chowdhary, were blinded. All the patients operated at this camp lost their eyesight and some became totally blind. Some patients complained that the Doctor deliberately operated the healthy eye, and since this eye was also lost, eventually they became totally blind. As a result most of these poor patients have been left with begging as the only source of living.
NCP leader Sh Tariq Anwar has assured the poor and affected citizens of raising the matter at appropriate levels to grant justice to them and also to punish the doctor , if found guilty of negligence.

Suraj Yadav
Assistant Professor,DU.
National Convenor, Media Department,
Nationalist Congress Party.

Saturday, April 24, 2010

Happy Birthday Sachin.


Sachin Ramesh Tendulkar. सचिन रमेश तेंडुलकर ( born 24 April 1973) is an Indian cricketer widely regarded as one of the greatest batsmen in the history of cricket. He is the leading run-scorer and century maker in Test and One Day International cricket. He is the only player to score a double century in an innings in the history of ODI cricket. In 2002, Wisden ranked him the second greatest Test batsman of all time, behind Donald Bradman, and the second greatest one day international (ODI) batsman of all time, behind Viv Richards. In September 2007, the Australian leg spinner Shane Warne rated Tendulkar as the greatest player he has played with or against.Tendulkar was the only player of the current generation to be included in Bradman's Eleven. He is sometimes referred to as Little Master or Master Blaster.

Friday, April 23, 2010

बाबू कुंवर सिंह के याद में शत शत प्रणाम. REMEMBERING BABU KUNWAR SINGH




Babu Kunwar Singh .
Babu Veer Kunwar Singh (1777 – 1858), one of the leaders of the Indian rising of 1857 belonged to a royal PANWAR/PARMARRajput house of Jagdishpur, currently a part of Bhojpur district, Bihar state, India. At the age of 80 years, during India’s First War of Independence (1857), he actively led a select band of armed soldiers against the troops under the command of the East India Company, and also recorded victories in many battle.
Kuvwar Singh, king of Jagdishpur,was born in 1777, Jagdishpur, near Arrah in the state of Bihar. He belongs to Panwar/Parmar(Commonly known as Ujjain Rajputs) royal race. His ancestors belong to great Raja Vikramadity,Raja Bhoj .... of malwa.
Babu Kuvwar Singh was nearly eighty and in failing health when he was called upon to take up arms. The great warrior that he was, he gave a good fight and harried British forces for nearly a year and remained invincible till the end.[1] Kunwar Singh assumed command of the soldiers who had revolted at Danapur on July 5, . Two days later he occupied Arrah, the district headquarter. Major Vincent Eyre relieved the town on August 3, defeated Kunwar Singh's force and destroyed Jagdishpur. Kunwar Singh left his ancestral village and reached Lucknow in December 1857. In March 1858 he occupied Azamgarh.[2] However, he had to leave the place soon. Pursued by Brigadier Douglas, he retreated towards his home in Bihar. On April 23, Kunwar Singh had a victory near Jagdishpur over the force led by Captain Le Grand, 26 April 1858 he died in his village. The mantle of the old chief now fell on his brother Amar Singh who, despite heavy odds, continued the struggle and for a considerable time ran a parallel government in the district of Shahabad. In October 1859, Amar Singhjoined the rebel leaders in the Nepal Terai..
In his last battle, fought on April 23, 1858, near Jagdishpur, the troops under the control of the East India Company were completely routed. While crossing the Ganga on way to his ancestral seat at Jagadishpur, Babu Kunwar Singh was wounded in the arm. Undaunted, Babu Kunwar Singh severed the injured limb and flung it into the river Ganga as is was his last offering to Ganga. Soon after, he completely routed the British forces in the battle on 23 April 1858 and died the next day (24 April 1858).
To honour his memory and his contribution to India’s freedom movement, the Republic of India issued a commemorative stamp[4] on 23 April 1966. Veer Kunwar Singh University named after him, was established by Government of Bihar near his birth place.

Thursday, April 15, 2010

"KAL- VAISHAKI" Cyclone brings death and distruction in East India.








"Kal-Vaishaki" the storm that hit West Bengal and some districts of Eastern Bihar has brought death and distruction there. I am posting heart rendering images of the killer trail, courtsey my friend Pankaj Bharatiya. You will feel the need to reach out to these victims and give them much needed help.

बमुश्किल कोशी के लोग बाढ़ के तांडव को भुला भी नहीं पाए थे कि 13 अप्रैल कि रात कोशी एवं सीमांचल के इलाकों में चक्रवाती तूफ़ान ने जम कर तांडव मचाया.आधिकारिक तौर पर अब तक 74 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है जबकि गैर-सरकारी सूची के अनुसार यह संख्यां 100 से अधिक हो सकती है.चक्रवात का सर्वाधिक असर पूर्णिया,अररिया एवं किशनगंज,कटिहार तथा सुपौल जिला पर पड़ा है.समाचार प्रेषण तक सरकारी सहायता के नाम पर पीड़ितों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है.
मंगलवार रात 10 .30 बजे के आसपास 125 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से आये तूफ़ान ने बाईसी (पूर्णिया) के मल्हारिया गाँव के मो० शफीक की जिन्दगी ही बदल डाली.पत्नी मिन्हाज गर्भवती थी और जल्द ही शफीक के घर किलकारी गूंजने वाली थी.बीबी मिन्हाज अब सुपुर्द-ए-खाक हो चुकी है और जो घर किलकारियों से गूंजती वहां मातम एवं खौफ का पहरा है.अररिया के फरौठा गाँव के फखरूद्दीन की कहानी भी कुछ दीगर नहीं है.दो बेटे की जिन्दगी बचाने के लिए टीन के घर से भागकर काछे मकान में शरण लिया लेकिन किस्मत यहाँ भी दगा दे गई.बमुश्किल फखरूद्दीन की जान बची लेकिन बेटा शाहनवाज और शोएब तूफ़ान की भेंट चढ़ गया.
आपदा के 48 घंटे बीतने को है और हजारों बेघर लोग भगवान् भरोसे हैं.बिहार के मुख्यमंत्री ने राहत के तौर पर मृतकों को 1 .50 लाख रूपये और बेघरों को 2 क्विंटल अनाज और 250 रू० देने की घोषणा की है.लेकिन सच यह है कि लिखे जाने तक प्रखंड स्तर का भी कोई पदाधिकारी पीड़ितों तक नहीं पहुँच पाया है.तूफ़ान में सब कुछ लुटा चुके लोगों के लिए तत्काल समुचित राहत की जरूरत है.सिर्फ आश्वासन और घोषणा से पीड़ितों के दर्द को कम नहीं किया जा सकता है.फौरी जरूरत है एक ठोस और संवेदनशील पहल की.

China Quake Victims Need Help.

It is sad that nature's ire is on China and there has been so many deaths in the earthquake that took place yesterday.The death toll has risen to 617, Xinhua reported.
The trembler measuring 7.1-magnitude on Richter scale had hit the province in the Qinghai Tibetan plateau yesterday almost flattening Jiegu township, where more than 85 per cent of the houses collapsed.
Thousands of people had to spend a night without shelter in freezing temperatures.
Officials said that over 1,000 people buried under the debris have been rescued by the army, police and civil defence forces.
Near Jiegu Township, the epicentre of the tremor, many others are still buried under the debris of collapsed houses.
It is the duty of every indian to make effort for some help to China or at least pray for them.
Similarly, the victims of storm "Kal Vaishaki",the storm that hit West Bengal and parts of East Bihar also need our help.
May the Lord Almighty Be Gracious and forgive us.

Wednesday, April 14, 2010

Tribute to B R Ambedkar



"Born in a class considered low and outcast, Dr. Ambedkar fought untiringly for the downtrodden. The boy who suffered bitter humiliation became the first Minister for Law in free India, and shaped the country’s Constitution. A determined fighter, a deep scholar, human to the tips of his fingers."

New Delhi,the 14th April.2010.

Nationalist Congress Party National Media Convenor Suraj Yadav paying rich tributes to Late B R Ambedkar (14 April1891-6 December 1956) on his 119th birth anniversary has said that Ambedkar symbolises the quest of the people of India, which has the largest population of young persons in the world, for equality and modernity. We should contribute to make our nation truly " Sovereign,Secular, Socialist, Democratic Republic", as envisaged in the constitution of India, a notable contribution of Ambedkar.


SURAJ YADAV.
Assistant Professor,DU.
National Convenor, Media Department,Nationalist Congress Party.
M-09868490170

Lalit Modi and Shashi Tharoor , two side of same coin.

New Delhi, the 14th April,2010.

Lalit Modi and Shashi Tharoor feud is turning murkier, but the problem is the reasons for it, and there is much more to it than what meets our eyes. IPL itself is the biggest black money racket of sports world and its laws are absurd enough to let Lalit Modi remain its Commissioner even when he has been washed out of Rajasthan Cricket, which gave him the mandate to join BCCI in the first place and create IPL. Meanwhile, Shashi Tharoor is becoming the biggest embarassment to Congress and a liability for UPA Govt.
Advice- Lalit Modi and Shashi Tharoor better resign from their posts.

Thursday, April 8, 2010

NO OPTION WITH CENTER ON NAXALS THAN ACTION WITH ALL ITS MIGHT

New Delhi,9th April,2010.

Nationalist Congress Party National Media Convenor Prof Suraj Yadav expressing heartfelt condolences for martyrs of CRPF killed by Maoists in Chattisgarh's Dantewada district, has said that this has closed all options for Central Government and now time had come for the Center to act against those perpetuating war on the Indian Nation with all its might rather than to still declare that "all options were open." The coming session of Parliament should discuss and decide whether the sacrifice of so many sons of our motherland was not enough to declare emergency in affected states.
Prof Yadav has said that Maoists have dared because of support from across the border in all probabilities and immediate, planned and strong action would be appropriate homage and salute to the dead jawans.

SURAJ YADAV.
Assistant Professor,DU.
National Convenor, Media Department,Nationalist Congress Party.
M-09868490170.

Puja of Rail Minister for restarting rail services proves successful


The people of Madhepura were led by NCP leader Suraj Yadav in a unique protest of offering Puja and Kirtan to Rail Minister Mamta Bannerji and UPA Chairperson Sonia Gandhi to persuade Railways to restart their services to Dauram Madhepura Railway Station temporarily suspended for three months for felicitating conversion of railway tracks from meter gauge to broad gauge, but left unattended for three years. The protesters said, " Rail services in 1910 here, why no service in 2010".

Eventually, Rail services were resumed a week later.



रेल परिचालन के लिए ममता व सोनिया की पूजा-अर्चना
Mar 14, 12:02 am

मधेपुरा। वर्षो से ठप पड़े मधेपुरा-सहरसा रेल परिचालन शुरू करने के लिए धरना प्रदर्शन से आजिज लोग अब नेताओं का वंदना करने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक प्रो.सूरज यादव के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ताओं ने शनिवार को मधेपुरा रेलवे स्टेशन पर रेलमंत्री ममता बनर्जी तथा यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी के तस्वीर की पूजा अर्चना की। पार्टी नेताओं ने पहले रेलमंत्री ममता बनर्जी तथा अध्यक्षा सोनिया गांधी के तस्वीर का आरती उतारा तत्पश्चात उन्हें खुश करने के लिए ममता तथा सोनिया वंदना भी तामझाम के साथ गाया। इसके बाद उन्हें मनाने के लिए मंत्रोच्चारण के बाद अनुष्ठान भी किया गया गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मीडिया संयोजक प्रो.सूरज यादव ने कहा कि वर्ष 1910 में यहां रेल परिचालन हो रहा था किंतु सौ साल बाद 2010 में वर्षो से यहां रेल परिचालन बाधित है। रेल परिचालन बाधित रहने के कारण यहां के लोग गाड़ी पकड़ने के लिए सहरसा जाते हैं जिस दौरान हुई सड़क दुर्घटना में अब तक 70 लोगों की जानें चली गयी है। रेल परिचालन शुरू करने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा कई बार धरना-प्रदर्शन समेत चरणबद्ध आंदोलन भी किया गया किंतु इसके बदले विभागीय पदाधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन ही मिलता रहा। अब इस आंदोलन से तंग लोग नेताओं को भगवान समझकर उनका पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि क्षोभ का विषय है कि मधेपुरा के सांसद शरद यादव एक बार भी संसद में इस विषय को नहीं उठाया है। इधर रेल प्रशासन द्वारा कई बार रेल परिचालन शुरू करने की घोषणा तो की गयी है किंतु आज तक रेल सेवा बाधित है। इतना ही नहीं मधेपुरा रेलवे स्टेशन पर जितना भी निर्माण का कार्य किया गया है उसमें भारी गड़बड़ी है। उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की। पार्टी के जिलाध्यक्ष अंगद यादव ने कहा कि इस युग में कौन नेता कैसे खुश होते हैं वह कहना मुश्किल है किंतु हमलोगों ने ममता दीदी की जो पूजा अर्चना की है उससे खुश होकर वे जरूर हमारी समस्या को सुनेगी तथा प्रसन्न होकर शीघ्र रेल परिचालन शुरू कराएगी। उन्होंने कहा कि अगर इसके बाद भी परिचालन शुरू नहीं हुआ तो हमलोग पूरे हिन्दू रीति रिवाज से रेलमंत्री का श्राद्धकर्म करेंगे। राकांपा जिला महासचिव गणेश यादव ने ममता वंदना तथा आरती को लय ओर सूर में बांध कर प्रस्तुत किया। पंडित तेजनारायण यादव ने संस्कृत में मंत्रोच्चारण कर अनुष्ठान को संपन्न कराया। कार्यक्रम में अशोक कामती, संतोष कुमार आनंद, श्रीदेव साह, मुर्शीद आलम, दिलीप यादव, जनार्दन यादव, सुलोचना देवी, हेमलता यादव, वार्ड पार्षद मुकेश कुमार, राम ठाकुर, लक्ष्मण ठाकुर, हेमेन्द्र कुमार, दिलीप पेंटर, पप्पू पासवान, लक्ष्मण यादव, चेतन यादव, रामबाबू यादव, अमरेन्द्र कुमार, गूगल पासवान, नरेश यादव आदि मौजूद थे। लोगों ने सांसद शरद यादव की तस्वीर पर भी माल्यार्पण किया तथा धूप-अगरबत्ती दिखाया