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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Saturday, December 10, 2011

मेरे ब्लॉग ' सूरज यादव ओपिनियन'के २५ हज़ार,२३५ हिट्स...

कम्प्यूटर से मैं कभी विशेष प्रभावित नहीं रहा. कालेज में प्राध्यापक के तौर पर कम्प्यूटर से दूर ही रहा, परन्तु २००९ में जब बीमार था, तो टेलीविजन से ऊब कर, लेप टॉप लिया, और बहुत कुछ सीखा, खास तौर से लिखने और सम-सामयिक विषयों पर टिपण्णी के शौक के कारण अपना ब्लॉग SURAJ YADAV OPINION २०१० में लिखना शुरू किया. यू ट्यूब पर कई विडियो बना कर पोस्ट किया, जो suraj _yadav2005 के नाम से उपलब्ध है.
इन्टरनेट के कारण राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बहुत फायदा है. अपनी बात को बेबाक अंदाज़ में कहने का यह सशक्त माध्यम है. मीडिया पर पूँजी और ऊँची जाति की पकड़ सर्वविदित है. फेसबुक पर टिपण्णी, ब्लॉग में लेख आदि सब के पहुँच में है, और आपकी बात सेंसर भी नहीं होता है. परन्तु हाल के दिनों में केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा नेट पर सेंसर लागू करने के प्रयासों की बात निश्चित तौर से चिंता का विषय है. इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए, सिर्फ मुक्त संवाद के लिए नहीं, बल्कि आम और शोषित समाज की बात को दबाये जाने से रोकने के लिए.
आज मेरे ब्लॉग ने २५ हज़ार २३५ हिट्स दर्ज किया है, तो मैं इसे अपने ब्लॉग पर लिखने की चाहत रोक नहीं पाया. आशा है अगर आप कभी मेरे ब्लॉग को क्लिक करें तो अपना टिपण्णी देने का भी कष्ट करें, मेहेरबानी होगी. धन्यवाद और जय हिंद.

Monday, December 5, 2011

यादें देव साहब से मुलाक़ात की....

शायद १९९० का वर्ष था और दिल्ली विश्वविद्यालय में 'फिल्म अप्रिसिएसन सोसाइटी' के अध्यक्ष के नाते मेरा, प्रो सिडनी रिबेरो और छात्र संघ के तत्कालीन सह-सचिव अतुल गंगवार व पूर्व अध्यक्ष नरिंदर टंडन के साथ मिलकर देव आनंद साहब को विश्वविद्यालय कला संकाय में सम्मानित करने का कार्यक्रम बना.
इसके लिए देव साब को एक दिन पूर्व रात के नौ बजे नई दिल्ली के मौर्या शेराटन में स्वागत करना था. देव साब की उडान दो घंटे लेट हो गई. इंतज़ार करते-करते रात के लगभग १२ बज गए. देव साब आये और उनके स्वागत की औपचारिकता पूरा करते एक-ढेढ़ घंटे और बीत गए. नींद आ रही थी, तो देव साब को कहा कि 'आप थक गयें होंगे, आराम करें'. सुनते ही देव साब तपाक से बोले, ' तुम लोग थक गए हो, आराम करो. मेरी चिंता मत करो'. उस समय ६७ वर्ष के नायक २२-२४ साल के छात्रों को जो कह रहे थे, अजीब लगा. वे उर्जा से भरे, और खुशमिजाज थे- इसीलिए उन्हें सदा-बहार कहते थे.
दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय(Arts Faculty) के नई दीक्षांत सभागार(New Convocation Hall) में दिख रहा था की देव आनंद सभी पीढ़ी के दिलों की धड़कन हैं - एक और कुलपति सहित विश्वविद्यालय प्रशासन के लगभग सभी प्रोफ़ेसर १०.३० बजे ही अपने स्थान पर बैठे थे, तो दूसरी और छात्र- छात्राएं ११०० लोगों के लिए बने सभागार के अन्दर - बहार भरे हुए थे. छात्रों की एक अकेस्त्रा को हम लोगों ने मंच पर देव आनंद के गानों को सुनाने के लिए कह रखा था, यह सोच कर की अगर वे विलम्ब से आएंगे तो श्रोताओं का ध्यान बटा रहेगा. परन्तु वे एक दम सही वक़्त पर ११ बजे पहुँच गए और हॉल में सभी लोगों ने खड़े होकर जोरदार तालियों के साथ उनका स्वागत किया, और उधर मंच पर उनके ही फिल्म का गाना , "पल भर के लिए कोई मुझे प्यार कर ले....." गाया जा रहा था. वो पल शानदार था, और देव आनंद का स्वागत अविस्मर्णीय बन गया.
देव साहब के मंच पर आते ही लगा की बिजली कौंध गयी. जब वे "Flying Kiss" देने लगे तो, पीछे से एक छात्रा कुर्सियों पर से कूदते हुए, कुलपति को लांघते हुए मंच तक पहुँच गयी, जब एक महिला पुलिस ने उसे रोक लिया. देव साब मुझे कहे की उसे आने दें, पर मैंने अदब से कहा की पूरा हॉल मंच पर आ जायेगा, और हम किसी को रोक नहीं पाएंगे. देव साब मान गए. लेकिन संबोधन उसी छात्रा का जिक्र करते शुरू किया.
उसके बाद हम लोग University Guest House में लंच पर गए. भीड़ इतनी थी की मेरे कंधे पर लटका हुआ कैमरा(Nikkon




MF II) कोई काट लिया. देव आनंद साहब खाने में सिर्फ सलाद खाए और बोले की चावल खाए मुझे बरसों बीत गए.
कल उनके ८८ वर्ष की उम्र में दुखद देहांत की खबर सुन कर वो पल एक-एक कर याद आने लगे, जिसे मैं आपसे बाँट रहा हूँ. इश्वर देव आनंद साहब के आत्मा को शांति दें. उनके जीवन और फिल्म से सीख हमेशा मिलती रहेगी.