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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, July 28, 2013

आरक्षण पर भ्रम -


आरक्षण के लागू किये जाने में कई तरह के भ्रम पैदा किये जाते रहें हैं और कई बार ऐसा जान-बूझ कर किया जाता है, जिससे उल्टा आरक्षण लागू होता है। उधारण के लिए 100 पदों पर अगर नियुक्ति होनी है तो पहले 50 पर प्रतियोगिता में सफल कोई भी उम्मीदवार भले वह सामान्य, अनुसूचित जाति / जनजाति, पिछड़े वर्ग से हो शामिल होंगे। उसके बाद के 50 पदों पर 27% पर पिछड़े वर्ग और फिर 22.5 % पर अनुसूचित जाति। जनजाति नियुक्त होंगे।

परन्तु अक्सर पहले सभी आवेदकों में से अनुसूचित जाति/ जनजाति के 22.5 % और पिछड़े वर्ग के 27% छाँट दिए जाते हैं और बचे 50.5 % के लिए उन्हें अलग रखा जाता है जिससे सामान्य वर्ग के लगभग 15% उच्च जातियों के लिए यह 50.5 % एक तरह से अरक्षित हो जाता है।

मंडल कमीशन के रिपोर्ट दिए जाने के समय बिहार में कर्पूरी ठाकुर द्वारा पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए लगभग इसी तरह व्याख्या की गयी थी, और उधर कर्पूरी ठाकुर के उच्च जाति के पक्ष में किये गए क्रियान्वन के बावजूद उनके विरुद्ध इस पर राजनैतिक घमाशन शुरू हो गया था। इसी दौरान कर्पूरी फार्मूला के तहत मंडल कमीशन के अनुशंसाओं से अलग हटकर एनेक्सचर 1 और 2 लागू किया गया। परन्तु उनके बाद जब रामसुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बने तो बी पी मंडल के सलाह पर उन्होंने इस गलती की सुधार की।

इस विषय पर मंडल कमीशन के रिपोर्ट में भी स्पष्टीकरण देते हुए महत्वपूर्ण अनुशंसा की गयी है और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न फैसलों और भारत सरकार के कार्मिक विभाग के आदेश पर स्थिति स्पष्ट है।

मंडल कमीशन की रिपोर्ट इस पर एक महत्वपूर्ण अनुशंसा करते हुए कहता है कि ^ अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित अभ्यर्थियों को एक खुली प्रतियोगिता में योग्यता के आधार पर भर्ती 27 प्रतिशत से उनके आरक्षण कोटे में समायोजित नहीं किया जाना चाहिए।^
(Candidates belonging to OBC recruited based on merit in an open competition should not be adjusted against their reservation quota of 27 per cent.)

इधर भारत सरकार के कार्मिक विभाग के 13 अगस्त, 1990 के आदेश संख्या "No. 36012/31/90-Estt. (SCT) के अनुसार ^ (iii) SEBC से संबंधित अभ्यर्थियों को सामान्य उम्मीदवारों के लिए निर्धारित एक ही मानकों पर एक खुली प्रतियोगिता में योग्यता के आधार पर भर्ती होने पर 27 प्रतिशत के आरक्षण कोटे में समायोजित नहीं किया जाएगा।
(iii ) Candidates belonging to SEBC recruited on the basis of merit in an open competition on the same standards prescribed for the general candidates shall not be adjusted against the reservation quota of 27 percent .


उम्मीद है इन मापदंडों पर ही आरक्षण नीति को क्रियान्वित किया जायेगा।

भारत रत्न अमर्त्य सेन और पंडित रविशंकर की शादियाँ -


वैसे तो निजी ज़िन्दगी अलग होती है, लेकिन जो भारत रत्न हों उनके बारे में जानकारी हमेशा कौतुहल का विषय रहता है। संयोग से पंडित रविशंकर और अमर्त्य सेन को माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत रत्न दिया, जो खुद शादी नहीं किये थे।

इसलिए जानकारी हेतु -

भारत रत्न अमर्त्य सेन की शादियाँ -

3 नवम्बर, 1933 शान्तिनिकेतन, पश्चिम बंगाल में जन्में अमर्त्य सेन एक स्वयंभू नास्तिक है। उनकी पहली शादी नाबनीता देव सेन से है, जो एक लेखिका और विद्वान हैं। इस शादी से उन्हें दो बेटियां हैं - अंतरा, एक पत्रकार और प्रकाशक, और नंदना, एक बॉलीवुड अभिनेत्री। सेन 1971 में लंदन चले गए कुछ ही समय बाद उन्होंने शादी को तोड़ दिया।

1973 में सेन ने ईवा कोलोर्नी से दूसरी शादी की जिनकी 1985 में कैंसर से मृत्यु हो गई। इस शादी से भी उन्हें दो बच्चे हैं - इंद्राणी, जो न्यू यॉर्क में एक पत्रकार हैं और कबीर, जो छायादार हिल स्कूल में संगीत सिखाता है।

अमर्त्य सेन ने 1991 में एम्मा जिओर्जिना रोथ्सचाइल्ड से तीसरी शादी कर ली। वे और एम्मा कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स, में अपने घर पर रहते हैं।




भारत रत्न पंडित रविशंकर की शादियाँ -

1999 में ही, जिस अमर्त्य सेन को भारतं रत्न मिला, उसी वर्ष 1920 में जन्में पंडित रविशंकर को भी रत्न गया था।

रविशंकर 1941 में अलाउद्दीन खान की बेटी अन्नपूर्णा देवी से शादी की जिनसे 1942 में शुभेन्द्रशंकर का जन्म हुआ। 1940 के दशक के दौरान रविशंकर अन्नपूर्णा देवी से अलग होकर कमला शास्त्री नामकी एक नर्तकी के साथ रिश्ता बनाया।

इसके बाद सूए जोन्स से प्रेम प्रसंग हुआ जिससे 1979 में नोरा जोन्स का जन्म हुआ जो न्यू यॉर्क में कॉन्सर्ट निर्मात्री हैं।

1981 में कमला शास्त्री से अलग होने के बाद, सुकन्या राजन से अनुष्का शंकर का जन्म हुआ। हालाँकि 1986 तक वे सूए जोन्स के साथ ही रहते थे। 1989 में 1970 के दशक से सम्बन्ध में रहने वाली सुकन्या राजन से रविशंकर ने शादी की।

Saturday, July 27, 2013

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के विवादास्पद फैसले -


सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के विवादास्पद फैसले -

जज और खास तौर से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को विवाद से परे होना चाहिए। इसके पहले 22 सितम्बर, 2012 के अपने Facebook पोस्ट में अल्तमस कबीर साहब के ऍफ़ डी आई पर सरकार समर्थक खुले विचारों पर मैंने टिप्पणी की थी।

अब भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर अपने कार्यालय demit करने से कुछ घंटे पहले दिए गए शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश और आरक्षण पर दो महत्वपूर्ण फैसले के कारण ताजा विवाद में फंस गए हैं।

पहले फैसले में अल्तमस कबीर ने कहा है की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी स्तर पर आरक्षण की कोई छूट नहीं किया जा सकता है। मेरिट केवल मापदंड होना चाहिए। कार्यकर्ता वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कबीर साहब के फैसले में संभवतः हितों का टकराव था क्योंकि मुख्य न्यायाधीश महोदय उसी समय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सुपर स्पेशियलिटी पदों में आरक्षण के मुद्दे से प्रभावित होने वाले डाक्टरों के इलाज़ में थे। वैसे भी पद छोड़ने से कुछ घंटे पहले ऐसे महत्वपूर्ण फैसले को टाला जा सकता था।

दूसरा फैसला भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा देश के सभी मेडिकल और बीडीएस पाठ्यक्रमों के लिए एक एकल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा को रद्द करने को लेकर है। इस फैसले से सरकारी मेडिकल कालेजों के प्रवेश प्रक्रिया में फेर बदल से सरकार और आम लोगों का नुकसान हुआ, वहीं निजी मेडिकल कालेजों की चंडी हो गयी है।
पर विवाद इस बात पर था की यह फैसला निजी मेडिकल कालेजों को लीक कर दिया गया था जिससे कपिटेशन फीस में वे भरी रकम कमा लिए। एक कानूनी वेबसाइट ने तो यह भी पहले ही कह दिया था की तीन न्यायाधीशों में एक कौन इस फैसले के खिलाफ जायेगा।

सरकार को चाहिये की इन विवादास्पद फैसलों पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करें। लेकिन क्या भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय विरोधी यू पी ए सरकार और उसके कानून मंत्री कपिल सिब्बल ऐसा करेंगे? शायद नहीं।

http://economictimes.indiatimes.com/photo/21155845.cms

My Facebook Post of 22nd September, 2012 -

Justices are freely praising 'reforms'. So will they not be prejudiced in their dealing cases on these issues? Is it not against judicial propriety?
Former Chief Jusitice Y K Sabharwal had observed in ' Canons of Judicial Ethics
- Speech as part of MC Setalvad Memorial Lectures Series' -
" Almost every public servant is governed by certain basic Code of Conduct
which includes expectation that he shall.... not take part in party politics; not be
associated with activities that are pre-judicial to the interests of the sovereignty
and integrity of India or public order; ...A just and humane Judge will always be non-partisan...... He would be above narrow considerations and not prone to external influences......Regard for the public welfare is the highest law (SALUS
POPULI EST SUPREMA LEX)....."
Hoping that Justice is seen to be done.

CJI S.H. Kapadia and CJI-designate Altamas Kabir praise Prime ...
indiatoday.intoday.in › India › North‎

Thursday, July 25, 2013

24 जुलाई, 1987, मौरिस नगर चौक, दिल्ली विश्वविद्यालय, कार्यक्रम - भ्रष्टाचार के विरूद्ध विश्वनाथ प्रताप सिंह की सिंहगर्जना।



1 अप्रैल, 1987 को राजीव गाँधी की सरकार से भ्रष्टाचार के गंभीर मुद्दे पर विवाद के बाद वित्त-मंत्री के पद से विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। एक दो दिन बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र नेता होने के नाते मैं और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव नरेन्द्र टंडन विश्वनाथ प्रताप सिंह से मिल कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध दिल्ली विश्वविद्यालय में एक सभा संबोधित करने का निवेदन किया। उस समय परीक्षाएं चल रही थी, इसलिए राजा साहब(मैं इसी तरह उन्हें संबोधित करता था) ने छुट्टियों के बाद विश्वविद्यालय खुलने पर 24 जुलाई को आने को राजी हुए। वर्तमान सांसद जगत प्रकाश नड्डा जी, जो उस समय विद्यार्थी परिषद् से संबधित थे, मुझे कार्यक्रम करने को प्रोतसाहित करते किया। परन्तु 23 जुलाई की देर शाम सेंट स्टीफेंस कॉलेज में आते वक़्त NSUI के कर्यकर्ताओं द्वारा विश्वनाथ प्रताप सिंह पर पेट्रोल बम से जानलेवा हमला किया गया। राजा साहब बाल-बाल बचे।

अगली सुबह सभी अख़बारों के सुर्ख़ियों में यह हमला था। मुझे लगा की 24 जुलाई का कार्यक्रम फ्लॉप हो जायेगा और रद्द करना पड़ेगा। किसी तरह मैंने श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी को कार्यक्रम में आने के लिए राजी कर लिया। और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों, कर्मचारियों और प्रोफेसरों ने जो समर्थन दिया, और जो भीड़ हुई वह अभूतपूर्व था।

समापन भाषण में मैंने कहा, : ऐसा नहीं है की दिल्ली विश्वविद्यालय में किसी सम्मानीय व्यक्ति को सुनने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। हमारे पास ऑडिटोरियम है, लेक्चर हाल हैं, ग्राउंड है। लेकिन कांग्रेस के इशारे पर कुलपति ने हमें कोई भी सुविधा देने से इनकार कर दिया और इस सभा पर पाबन्दी लगा दी। मजबूर होकर हमें यह सभा वहिंकरनी पद रही है जहाँ श्रीमति इंदिरा गाँधी के विरुद्ध पहली बार जयप्रकाश नारायण ने सभा की थी जिसके परिणामस्वरूप श्रीमति गाँधी सत्ता से हटी थी। आज की सभा का अपरिणाम फिर वही होगा। कांग्रेस सत्ता से हटेगी और भावी प्रधानमंत्री राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह का मैं स्वागत करता हूँ। जय हिन्द .:

Wednesday, July 17, 2013

सूर्य पूजा के चमत्कारी फल व उनको पाने का खास उपाय -


हिन्दू धर्मशास्त्रों में सूर्य को जगत की आत्मा पुकारा गया है। व्यावहारिक नजरिए से सूर्य की चमक से ज्ञान प्राप्ति, गति से कर्म, पथ व दिशा से अनुशासन व मनोयोग की सीख मिलती है। वहीं, विज्ञान के लिए भी सूर्य ऊर्जा व शक्ति का भंडार व कालगणना का आधार है।

यही वजह है कि धार्मिक उपायों से सूर्य पूजा हो या वैज्ञानिक तरीकों से सूर्य की रोशनी या ऊर्जा को पाना, दोनों ही तन व मन को पुष्ट कर स्वास्थ्य, द्रव्य (रुपया-पैसा) व सुख-शांति रूपी धन बटोरने की राह असान बनाने वाले ही सिद्ध होते हैं।

धार्मिक नजरिए से सूर्य पूजा से जुड़े लाभ देखें तो भविष्य पुराण के मुताबिक हर रोज श्रद्धा व आस्था से सूर्य पूजा के शुभ प्रभाव से सूर्य भक्त कई शक्तियों व गुणों का स्वामी बन जाता है। इससे सांसारिक जीवन में बेजोड़ सफलता व प्रतिष्ठा मिलती है। जानिए सूर्य पूजा से कैसी शक्तियां व गुण प्राप्त होते हैं?

- सूर्य भक्त अद्भुत सहनशीलता पाकर हर मानसिक, शारीरिक व व्यावहारिक द्वंद्व पर विजय पाता है।
- सूर्य भक्ति निर्भय व वीर बनाकर नीति और ज्ञान संपन्न भी बनाती है।
- सेवा भावी और परोपकारी बनाती है।
- सूर्य उपासना विद्वान, सारगर्भित व प्रभावी वाणी का स्वामी, बुद्धिमान बनाती है।
- आचरण पवित्र करने के साथ भद्र व प्रसन्नात्मा या खुशमिजाज बनाती है।
- सूर्य भक्ति अहं, क्रोध, लालच, कामना, कपट और बुरे विचारों का भी अंत कर देती है।

सूर्य की पहली किरण ही दिन की शुरुआत में ही सफलता की प्रेरणा देती है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सूर्य उपासना भी निरोगी जीवन के साथ यश, सम्मान व प्रतिष्ठा देने वाली मानी गई है।

यही वजह है कि हर सुबह खासतौर पर रविवार को सूर्य उपासना के लिए शास्त्रों में उगते सूरज के सामने विशेष मंत्र का स्मरण मात्र भी बेजोड़ सफलता से पद, प्रतिष्ठा देने वाला माना गया है।

- सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक जल पात्र यथासंभव तांबे के कलश में पवित्र जल लें। जल में अष्टगंध, लाल फूल व अक्षत डालकर ऊँ सूर्याय नम: इस सरल मंत्र से उदय होते सूर्य को अर्घ्य दें।
अर्घ्य के बाद जमीन पर माथा टेक नीचे लिखे सूर्य मंत्र यश व सफलता की कामना के साथ बोलें -
ऊँ खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।
निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।
त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।
भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।
- बाद में देवालय में सूर्य की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा कर गुड़ का भोग लगाकर धूप, दीप या कर्पूर आरती करें।

Friday, July 5, 2013

क्या मिलिए ऎसे लोगों से / साहिर लुधियानवी - मेरा मनपसंद गाना

क्या मिलिए ऎसे लोगों से / साहिर लुधियानवी :

क्या मिलिए ऎसे लोगों से, जिनकी फितरत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे।

खुद से भी जो खुद को छुपाए, क्या उनसे पहचान करें
क्या उनके दामन से लिपटें, क्या उनका अरमान करें
जिनकी आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे।

दिलदारी का ढोंग रचाकर, जाल बिछाएं बातों का
जीते-जी का रिश्ता कहकर सुख ढूंढे कुछ रातों का
रूह की हसरत लब पर आए, जिस्म की हसरत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे।

जिनके जुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती हर गाँव में
दया धरम की बात करें वो, बैठ के सजी सभाओं में
दान का चर्चा घर-घर पहुंचे, लूट की दौलत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे।

देखें इन नकली चेहरों की कब तक जय-जयकार चले
उजले कपड़ों की तह में, कब तक काला संसार चले
कब तक लोगों की नजरों से, छुपी हकीकत चुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे।

क्या मिलिए ऎसे लोगों से, जिनकी फितरत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे।



http://sound12.mp3slash.net/indian/izzat/izzat03(www.songs.pk).mp3

Tuesday, July 2, 2013

मज़ाक पर मज़ाक - अमरीका द्वारा भारतीय दूतावास की जासूसी।

मज़ाक पर मज़ाक -

द गार्जियन अख़बार के नवीनतम खुलासे के अनुसार, जो अमरीका से पलायन किये पोल खोल कार्यकर्ता एडवर्ड स्नोडेन से प्राप्त जानकारी को धीरे धीरे जारी कर रही है, अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी, भारतीय दूतावास सहित 37 अन्य दूतावासों और मिशनो को "लक्ष्य" मानते हुए बग, विशेष एन्टीना आदि की मदद से व्यापक जासूसी कर रही थी।

अब समझ में नहीं आ रहा की विश्व बैंक के पूर्व मुलाजिम डा मनमोहन सिंह की सरकार रहते, अमरीका को भारतीय दूतावास की जासूसी क्यों करनी पर रही है? अगर जरूरत पड़े तो भारत सरकार मंत्रियों के चड्डियों के रंग और चरखाने की डिजाईन की जानकारी भी मुहैय्या कर देगी।

और इधर वाम दल अमरीका के विर्रुद्ध कार्यवाई की मांग कर रहें हैं। फिर मज़ाक। मनमोहन सरकार और अमरीका का विरोध? वाम दलों को धर्मनिरपेक्षता का ढकोसला जारी रखते हुए पिछले दरवाजे से अमरीका को मदद पर खुश रहना चाहिए, कार्यवाई की बात कर लोगों को हसाएं नहीं।

और मजाक - अमेरिकी जासूसी कारनामों को उजागर करने वाले सीआइए के पूर्व अधिकारी एडवर्ड स्नोडेन ने भारत से राजनीतिक शरण मांगी है। स्नोडेन मामले में विकीलीक्स की कानूनी सलाहकार सारा हैरिसन ने उनकी ओर से इस संबंध में आवेदन किया है। और हुआ वही - भारत ने एडवर्ड स्नोडेन की इस याचिका को अस्वीकार कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि स्नोडेन के भारत में राजनीतिक शरण की अपील को अस्वीकार कर दिया गया है।

और क्यों - गौरतलब है कि ओबामा प्रशासन ने पहले ही सभी देशों को चेतावनी दी है कि स्नोडेन को कोई भी देश शरण न दे, क्योंकि वह जासूसी तथा गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के आरोप में अमेरिका में वांछित हैं।

स्नोडेन ने दी धमकी -


स्नोडेन ने सोमवार को पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए ओबामा प्रशासन को धमकी दी है कि यदि उन्हें राजनीति शरण से वंचित रखने की कोशिश की गई तो वह खुफिया गतिविधियों से जुड़े और दस्तावेजों को सार्वजनिक कर सकता है। स्नोडेन ने ओबामा पर निशाना साधते हुए कहा, एक वैश्विक नेता को इस तरह की हरकत शोभा नहीं देती। ये राजनीतिक दादागिरी के पुराने और घटिया हथकंडे हैं। उनका मकसद मुझे डराना नहीं, बल्कि मेरा साथ देने वालों को प्रताड़ित करने का है।