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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Saturday, April 27, 2024

ओबीसी पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को जवाब।

ओबीसी विरोधी भाज पार्टी, आरएसएस, अडाणी, मोदी, शाह की #ईवीएम_सरकार। 

पिछले 10 वर्षों से ओबीसी के नाम पर सत्ता में आने वाले नरेंद्र मोदी और आरएसएस ने सबसे अधिक नुक्सान ओबीसी का ही किया है। 

कैसे? आईये सिलसिलेवार तरीके से देखें। 

1990 में वीपी सिंह की अगुवाई में बनी जनता दल की सरकार को भाज पार्टी और कम्युनिस्ट का समर्थन प्राप्त था। 

परन्तु चंद्रशेखर और चौ देवीलाल से राजनैतिक अनबन होने पर जब 7 अगस्त 1990 में लालू प्रसाद जी, शरद यादव और रामविलास पासवान के दबाब में वीपी सिंह ने जैसे ही मण्डल कमीशन रिपोर्ट का एक प्रावधान लागू किया, आरएसएस की त्योरियाँ चढ़ गई, और मण्डल कमीशन के निर्णय को खत्म करने के इरादे से लाल कृष्ण आडवाणी ने तुरंत "राम रथ यात्रा" शुरू कर दी। यात्रा को रोकने के लिए बतौर मुख्यमंत्री बिहार लालू प्रसाद जी ने जैसे आडवाणी जी को गिरफ्तार किया, भाज पार्टी ने तुरंत जनता दल सरकार से समर्थन वापस ले लिया और वीपी सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। 

इस दौरान पूरे देश में भाज पार्टी और आरएसएस ने मण्डल कमीशन के खिलाफ अराजकता फैलाई और अपने प्रचार तंत्र से ओबीसी और दलितों के विरुद्ध माहौल बनाना शुरू किया। दुःख की बात थी की ओबीसी समाज अपने ही हक़ के लिए बने मण्डल कमीशन का रिपोर्ट का विरोध भी करने लगे। 

ओबीसी को यह समझने में की मण्डल कमीशन रिपोर्ट ही ओबीसी के मुक्ति का दस्तावेज है, लगभग एक दशक लग गए और आज भी कई ओबीसी जातियाँ ओबीसी समाज का सबसे बड़ा दुश्मन भाज पार्टी और आरएसएस का समर्थन करता है। 

2007 में ओबीसी के लिए एक और क्रांतिकारी कदम उठाया गया जब तत्कालीन कॉंग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह ने देश में केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली सभी उच्च शैक्षिक संस्थानों के एडमिशन और प्रोफेसर एवं नॉन टीचिंग पदों की नियुक्तियों में मण्डल कमीशन के अनुशंसा केआधार पर 27% आरक्षण लागू कर दिया। 

यह आरएसएस के लिए सबसे बड़ा सदमा था और तुरंत ही ओबीसी को मिलने वाली इस बड़े हक़ को रोकने के लिए उनका षड़यंत्र शुरू किया गया। 

इससे पहले आप पाएंगे की 1990 में मण्डल कमीशन रिपोर्ट के एक प्रावधान लागू होने के बाद तीन फैसलों के अमल पर त्वरित गति से कार्यवाई शुरू हुई। 

पहला देश में ईवीएम से चुनाव की प्रक्रिया को संसद में कानून पास करके इसे क़ानूनी जामा पहना दिया गया। दूसरा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में Collegium System कॉलेजियम व्यवस्था शुरू की गई। और तीसरा देश में बड़े पैमाने पर निजीकरण यानि Privatisation शुरू कर दी गयी। यह तीनों कदम जहाँ एक और ओबीसी को अपने हक़ को रोकने के लिए था, वहीं यह असंवैधानिक भी था।  

खैर, 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई। 

भाज पार्टी और आरएसएस जानती थी की मण्डल कमीशन रिपोर्ट के अनुशंसा को लागू करने से इस देश के ओबीसी, जो तथाकथित "हिन्दू" के लगभग 70% लोगों के उत्थान का रास्ता खोलेगा तो पूरे ओबीसी समाज को ही उन्हें "हिन्दू" कहलाने का गर्व देने के नाम पर उनके हित के लिए लिए जाने वाली सभी रास्तों को रोक दिया। आज भी कई ओबीसी इस बात को समझ नहीं पा रहें हैं। उन्हें पता नहीं की ब्राह्मण धर्म में "हिन्दू" सिर्फ द्विज को कहा जाता है। द्विज मतलब जिन लोगों का जनेऊ धारण यानि यज्ञोपवीत संस्कार होता है। यज्ञोपवीत संस्कार ब्राह्मणों और क्षत्रिय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसमें जनेऊ धारण के बाद उन्हें द्विज भी कहा जाता है अर्थात जिसका दो बार जन्म हुआ हो। ऐसा कहा जाता है कि जनेऊ संस्कार करने से लड़का दोबारा जन्म लेता है और वही हिन्दू है। बाँकी ये "गर्व" करने वाले नासमझ शूद्र कहलाते हैं। 

अतः हिन्दू तब वे खुद को कहते जब वे मुसलमानों के मुक़ाबले खड़े होते। इसके लिए सबसे पहले राम मदिर के नाम पर बाबरी मस्जिद का ध्वंस किया गया जिसमें लगभग सभी ओबीसी ही थे। 

विडंबना देखिये राम मंदिर के नाम पर सर्वश्र लुटा देने वाले ओबीसी समाज में से एक भी व्यक्ति "राम मंदिर" ट्रस्ट में नहीं है। और यह ट्रस्ट तथाकथित ओबीसी पीएम मोदी की सरकार द्वारा बनाया गया है। 

तो मोदी शाह की सरकार ने सबसे पहले रोजगार ही समाप्त कर दिए, इसलिए की न रहेगा बाँस और न बजेगी बाँसुरी। यानि रोजगार ही नहीं तो फिर 27% आरक्षण कहाँ लोगे। बचे हुए सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को त्वरित गति से अडाणी को बेच दिया गया। भाज पार्टी को इससे कई फायदे हुए : काफी बड़ी रिश्वत मिली, एक भी ओबीसी प्रायवेट में भी न आ पाए, इसकी तथा निजी क्षेत्र की सभी नियुक्तियाँ आरएसएस के ही टट्टे बट्टे का होने की गारंटी।

मोदी शाह के सरकार में ओबीसी विरोधी कुछ नई बातें देखने को आयी। एक बिना नियम, कानून और संवैधानिक प्रावधान के रोस्टर में फेर बदल करके ओबीसी आरक्षण खत्म कर देना। दूसरा  बिना नियम, कानून और संवैधानिक प्रावधान केओबीसी कोटा को सभी नियुक्तियों में 27% से कम कर देना तथा सवर्णो के लिए लागू EWS आरक्षण को नियमतः 10% से अधिक बढ़ा देना। तीसरा ओबीसी पदों पर NFS यानि नन फाउंड सूटेबल करके नियुक्ति ही रोक देना। 

इस तरह का गैर क़ानूनी और संस्थागत गुंडागर्दी दिल्ली पुलिस की नियुक्तियों से लेकर, UPSC सिविल सर्विसेस, कस्टम्स, इनकम टैक्स आदि में तो किये ही गए, पर सबसे अधिक आरएसएस की नियुक्ति गुंडागर्दी दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू तथा लगभग सभी केंद्र सरकार के उच्च शैक्षिक संस्थाओं में बिना रोक टोक के किये गए। 

इस तरह का ट्रेलर तो रोहित वेमुला शहादत या डॉ पायल तड़वी के स्यूसाइड में दिख गया था। 

फिर सभी आईआईटी और आईआईएम् की फ़ीस इतनी बढ़ा दी गयी की ओबीसी या कोई साधारण परिवार का बच्चा इन संस्थाओं में पढ़ ही नहीं सकें। 

NEET में तो ओबीसी को आरक्षण नहीं मिले इसके लिए मोदी शाह की सरकार ने 4 वर्षों तक लगभग 10 हज़ार ओबीसी पदों पर एडमिशन ही नहीं होने दी। 

मोदी शाह की सरकार द्वारा #जाति_जनगणना का विरोध का असल टारगेट ओबीसी ही हैं। 

एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने National Commission for Backward Classes  से #जाति_जनगणना पर राय मांगी थी।

मोदी शाह के निर्देश के विपरीत #NCBC ने कोर्ट  से कहा दिया था है कि जाति जनगणना होना चाहिए।

नतीजा यह हुआ कि एक सदस्य सुधा यादव को छोड़कर, अध्यक्ष सहित किसी भी सदस्य को भाजपा आरएसएस अडाणी मोदी की मनुवादी #ईवीएम_सरकार ने फिर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का और न ही किसी भी आयोग या समिति का सदस्य नहीं बनाया। 

मोदी शाह के सरकार में पीएमओ का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी ओबीसी नहीं है, किसी भी मंत्रालय का एक भी सेक्रेटरी ओबीसी नहीं है, किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय का वीसी ओबीसी नहीं है, दिल्ली विश्वविद्यालय का एक भी कॉलेज का प्रिंसिपल ओबीसी नहीं है, एक्का दुक्का छोड़कर एक भी हाई कोर्ट जज, सुप्रीम कोर्ट जज, किसी भी पीएसयू का सीएमडी, किसी भी भारत सरकार के प्रतिष्ठान का सर्वोच्च अधिकारी ओबीसी नहीं है। 

ये नरेंद्र मोदी या अमित शाह क्या बोलेंगे ?

जय भीम, जय मण्डल, जय संविधान। 

#ईवीएम_हटाओ_देश_बचाओ

#BanEvmSaveIndia  

#DefeatBJPSaveIndia


#लोकसभाचुनाव2024

#संविधान_बचाओ_संघर्ष_समिति

Monday, March 6, 2023

मंडल आयोग रिपोर्ट में बी. पी. मंडल, अध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग आयोग, भारत सरकार, 5. डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड, नई दिल्ली का अग्रेषित पत्र।

बी. पी. मंडल, अध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग आयोग, का अग्रेषित पत्र।

दिनांक: 31 दिसंबर, 1980

आदरणीय राष्ट्रपतिजी,

सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा से यह रिपोर्ट आपके समक्ष प्रस्तुत करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।

2. 20 दिसंबर, 1978 को, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री, श्री मोरारजीभाई ने संसद के पटल पर मेरी अध्यक्षता में चार अन्य सदस्यों के साथ पिछड़ा वर्ग आयोग नियुक्त करने के निर्णय की घोषणा की। वे थे :  श्री दीवान मोहन लाल, श्री आर. आर. भोले, श्री दीना बंधा साहू और श्री के. सुब्रमण्यम। संदर्भ की शर्तों की घोषणा सदन के पटल पर भी की गई थी।

3. हमारे एक सदस्य, श्री दीन बंधु साहू, स्वास्थ्य के आधार पर 5 नवंबर, 1979 को अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। 7 अक्टूबर, 1980 को वे इस दुनिया से चल बसे। काम के बीच में ही उनकी बहुमूल्य सेवाओं को खो देने का हमें खेद है। उनके इस्तीफे के कारण हुई रिक्ति को श्री एल आर नाइक को नियुक्त करके भरा गया था।

4. हमने 21 मार्च, 1979 को भारत के प्रधान मंत्री श्री मोरारजीभाई देसाई के उद्घाटन भाषण के बाद अपना काम शुरू किया और 12 दिसंबर, 1980 को  भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी समापन भाषण के साथ समाप्त हुआ। 

5. यह उल्लेख किया जा सकता है कि यद्यपि यह आयोग पिछली जनता सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था, श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार ने न केवल दो एक्सटेंशन दिए बल्कि हमारे काम के निर्वहन में सभी समर्थन और सहयोग दिया। यह स्पष्ट रूप से उनके समाज के दबे कुचले, लाचार और उत्पीड़ित लोगों के प्रति उनकी अनुराग और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

6. आयोग को अपना काम करने में कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे जुलाई 1979 में लोकसभा का विघटन, उसके बाद मार्च 1980 में नौ राज्य विधानसभाओं का विघटन। इससे आयोग के काम को धीमा करना पड़ा। आयोग को तीन विस्तार मिले, पहला 1 जनवरी से 31 मार्च, 1980 तक तीन महीने के लिए और दो और विस्तार 1 अप्रैल से 30 सितंबर और 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 1980 तक। इन सभी कठिनाइयों और समय की कमी के बावजूद, कमीशन ने दो साल से भी कम समय में अपना काम पूरा कर लिया।

7. हमारा कार्य हमारे संदर्भ की शर्तों तक ही सीमित था जिसके अनुसार हमें "सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को परिभाषित करने के लिए मानदंड निर्धारित करना था" और "इस संदर्भ में  पहचाने गए "नागरिकों के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करना" । तदनुसार, हमने ऐसे वर्गों की पहचान के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं और उनके उत्थान के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश की है। अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के अर्थ के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की अधिकतम मात्रा के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित आवश्यक कानून को भी हमारी रिपोर्ट में ध्यान में रखा गया है।

8. हमारी रिपोर्ट, हालांकि, राज्य, यदि  कमजोर वर्गों जैसे महिलाओं और गरीबों और अन्य लोगों के उत्थान के लिए कोई उपाय करना चाहते हैं, जो हमारे संदर्भ की शर्तों में शामिल नहीं हैं. तो यह रिपोर्ट उनके रास्ते में नहीं आती है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि उनके लिए और अधिक आरक्षण करने पर कोई रोक नहीं है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक सरकार ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 48% सीटें आरक्षित की हैं, जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग शामिल हैं और अन्य कमजोर वर्गों के लिए 18% से अधिक सीटें निर्धारित की गई हैं। उस सरकार के कुल 66% आरक्षण को न्यायपालिका में चुनौती दी गई और उसे बरकरार रखा गया। हालांकि, अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत ओबीसी के लिए आरक्षण सुभाषिनी बनाम राज्य (AIR 1966 Mys 401) में किसी अन्य मानदंड से संबंधित किसी भी अन्य आरक्षण के साथ सम्मिलित नहीं किया जाना चाहिए, यह "आरक्षण की वैधता" के लिए निर्धारित किया गया था। सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग, एससीएस और एसटीएस के अलावा अन्य वर्गों को अनुच्छेद 14 की आवश्यकता के आधार पर परीक्षण करना था। इस तरह के आरक्षण को अनुच्छेद 15(4 )के तहत विशेष आरक्षण के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। बालाजी मामले में निर्धारित ऊपरी सीमा, केवल अनुच्छेद 15(4) के तहत किए जाने वाले आरक्षण के लिए आवेदन किया है। 11 में अन्यथा किए गए किसी भी आरक्षण को शामिल नहीं किया गया है। कुछ उत्तरी राज्यों में आरक्षण का छोटा प्रतिशत भी सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों तक नहीं पहुंच रहा है, जैसा कि अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत इस तरह के जुड़ाव के कारण विचार किया गया है।

9. भारत के कोने-कोने में हमारे व्यापक दौरे के आधार पर, आम जनता से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर, मैं यह कहना चाहूंगा कि इस देश के पिछड़े वर्ग हमारी सिफारिशों पर सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया से बहुत उम्मीदें रखते हैं। हमारे सामने सही आशंका व्यक्त की गई थी कि अगर मेरे आयोग की रिपोर्ट का भी काका कालेलकर के आयोग के समान हश्र होता है, तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की वैध आशाएं और आकांक्षाएं, जो आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, समाप्त हो जाएंगी और उनका वाजिब हक़ मिटटी में समा जाएगी।

10. 1931 की जनगणना के बाद जाति गणना के आंकड़ों के अभाव में हमें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। भविष्य में ऐसी कठिनाइयों से बचने के लिए मेरे द्वारा इस  संदर्भ दिया गया 15 जून, 1979 और 18 अगस्त 1979  के पत्र , क्रमशः सर्वश्री एच.एम. पटेल और वाई.बी. चव्हाण को संबोधित किया गया था। मैंने 31 मार्च, 1980 के अपने पत्र में इस आशय के गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह से भी अनुरोध किया था। मुझे सूचित किया गया था कि यह निर्णय लिया गया था कि 1981 की जनगणना के दौरान जाति गणना नहीं की जाएगी और यह कि वर्तमान भारतीय जनगणना में जाति की गणना नहीं किये की निति जारी रहेगी, जिस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।

11. हम आपको एक सर्वसम्मत रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद कर रहे थे और आयोग के सभी सदस्य इस बिंदु पर सहमत थे। अंतिम क्षण में जब रिपोर्ट पर हस्ताक्षर होने वाले थे, सदस्यों में से एक श्री एल.आर. नाइक ने असहमति का एक मिनट दर्ज करने का फैसला किया और यह रिपोर्ट का खंड VII बनता है।

12. श्री नाइक का मुख्य तर्क यह है कि अन्य पिछड़े वर्गों की राज्य-वार सूची को दो भागों में विभाजित किया जाना चाहिए: एक मध्यवर्ती पिछड़े वर्गों से संबंधित और दूसरा अति पिछड़े वर्गों से संबंधित। अति पिछड़े वर्गों के तहत, उन्होंने उन जातियों को समूहबद्ध किया है, जो उनके अनुसार, पिछड़े वर्गों के सबसे वंचित और लाचार वर्ग हैं।  उनका तर्क है कि उन्हें लाभ और लाभ के उद्देश्यों के लिए एक अलग इकाई के रूप में माना जाना चाहिए। रिपोर्ट में अनुशंसित समूह  पर इनका मानना है कि इन दो श्रेणियों को मिलाने से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेगा। इन दो समूहों को लाभ का असमान वितरण होना चाहिए।

13. जबकि आयोग श्री नाइक के तर्क के बिंदु को देखते हुए मानता है की उनके दृष्टिकोण को स्वीकार करने से ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी जो संविधान के अनुच्छेद 15(4) के प्रतिकूल है। मैसूर के बालाजी वी राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "पिछड़े वर्गों की दो श्रेणियों को पेश करने में, जो आदेश लागू किया गया है, उसका सार यह है कि उन सभी वर्गों के नागरिकों के लिए उपाय तैयार करना है जो उनकी तुलना में कम उन्नत हैं। राज्य में सबसे उन्नत वर्ग, और यह, हमारी राय में, अनुच्छेद 15 (4) का दायरा नहीं है"। यह अवलोकन कई अन्य मामलों में दोहराया गया है और। अब तक, यह स्थापित कानून बन गया है। इसे देखते हुए, अन्य पिछड़े वर्गों को दो श्रेणियों में विभाजित करने के श्री नाइक के विचार से सहमत होना आयोग के लिए संभव नहीं था।

14. इसके अलावा, श्री नाईक द्वारा तैयार किए गए तथाकथित अति पिछड़े वर्गों की जनसंख्या की वैधता का कोई आधार नहीं हैं और शुद्ध अनुमान पर आधारित हैं।

15. यह भी बताया जा सकता है कि श्री नाइक ने इस तथ्य के बावजूद उपरोक्त बिंदु को अपनाना उचित समझा है हलांकि इससे पहले 10 से 14 नवंबर, 1980 तक, उन्होंने ओबीसी की राज्य-वार सूची के प्रत्येक पृष्ठ पर हस्ताक्षर किए थे, जो ओ.बी.सी. अन्य सभी पिछड़ा वर्ग एक समूह के रूप में मानता है ।

16. इस पत्र को समाप्त करने से पहले। यदि मैं इस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले अपने सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त नहीं करता तो मैं अपने कर्तव्य से चूक जाऊंगा। आयोग में अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्य और अनुसूचित जाति से एक श्री एल आर नाइक शामिल थे। श्री दीवान मोहन लाल. जो हमारे बीच सबसे बड़े हैं, अपना बहुमूल्य योगदान देने में कभी पीछे नहीं रहे और आयोग को उनकी उम्र के ज्ञान और उनके जीवन के विशाल अनुभव का लाभ मिला है। श्री न्यायमूर्ति आर आर भोले सांसद विधायिका और न्यायपालिका तथा भारत के ग्रामीण और शहरी जीवन का विविध अनुभव था, जो आयोग के लिए बहुत मददगार था। श्री के. सुब्रमण्यम, एक बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्ति थे, जिनके पास पत्रकारिता के अलावा ग्रामीण जीवन का विविध अनुभव था और जो दलितों की सेवा के लिए समर्पित थे, उन्होंने आयोग में बहुमूल्य योगदान दिया था। कई महीनों के अंतराल के बाद आयोग में नियुक्त किए गए श्री एल.आर. नाईक हमारे समूह के सबसे मेहनती सदस्य थे। जब अन्य सदस्य देश के व्यापक दौरे को जारी रखने के लिए थक जाते थे, तो वह हमेशा बिना थके काम करते रहते थे।

17. मुझे यह रिपोर्ट आपको प्रस्तुत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और आशा है कि आपको हमारी सिफारिशों को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होगा और हमारे देश के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों का निवारण होगा।

सस्नेह,

सादर,

हस्ताक्षर /-

(बी. पी. मंडल)


सेवा में ,

श्री नीलम संजीव रेड्डी,

भारत के राष्ट्रपति।

राष्ट्रपति भवन,

नयी दिल्ली।





Forwarding Letter of B. P. MANDAL, CHAIRMAN, BACKWARD CLASSES COMMISSION, in the Mandal Commission Report :

 Forwarding Letter of B. P. MANDAL, CHAIRMAN, BACKWARD CLASSES COMMISSION, GOVERNMENT OF INDIA,5. Dr. Rajendra Prasad Road, New Delhi.

Dated: December 31, 1980, in the Mandal Commission Report :



Respected Rashtrapatiji.
By the grace of God Almighty. I have got the privilege of presenting this report to you.
2. On the 20th December, 1978, Shri Morarjibhai, the then Prime Minister of India announced on the floor of the parliament the decision to appoint Backward Classes Commission under my Chairmanship, with four other members. They were: Shri Dewan Mohan Lal. Shri R. R. Bhole, Shri Dina Bandha Sahu and Shri K. Subramaniam. The terms of reference were also announced on the floor of the House.
3. One of our Members, Shri Dina Bandhu Sahu. resigned his membership on 5th November, 1979 on grounds of health. He left this world on 7th October, 1980. We are sorry to have lost his valuable services in the midst of our work. The vacancy caused by his resignation was filled up by appointing Shri L. R. Naik.
4. We started our work after the inaugural speech of Shri Morarjibhai Desai, Prime Minister of India on 21st March, 1979 and ended with the valedictory Address by Smt. Indira Gandhi, Prime
Minister of India on 12th December, 1980.
5. It may be mentioned that although this Commission was appointed by previous Janata Government, Smt. Indira Gandhi's Government not only gave two extensions but extended all support and co-operations in the discharge of our work. This clearly shows her devotion and commitment to the cause of the suppressed, depressed and the oppressed.
6. The Commission had to face many difficulties and challenges in carrying out its work like the dissolution of Lok Sabha in July 1979, followed by further dissolution of nine State Assemblies in March 1980. As the State machineries were engaged in preparation for polls, the Commission's work had to be slowed down. The Commission got three extensions, first for three months from 1st January to 31st March, 1980 and two more extensions from 1st April to 30th September and 1st October to 31st December, 1980. In spite of all these difficulties and time constraints, the Com- mission finished its work in a short period of less than two years.
7. Our task was confined to our terms of reference according to which we had to "determine the criteria for defining the socially and educationally backward classes" and "to recommend steps to be taken for the advancements of the socially and educationally backward classes of citizens so identified". We have, accordingly, fixed the criteria for the identification of such classes and recommended the steps to be taken for their upliftment. The necessary law laid down by the Supreme Court regarding the maximum quantum of reservation for the socially and educationally backward classes, under the meaning of Article 15(4) and 16(4) has also been kept in view in our report.
8. Our report, however, does not stand in the way of the States if they want to take any measure for the upliftment of the weaker sections of the people like the women and the poorer and others who are not covered by our terms of reference. It may be noted that there is no bar jo make further reservation for them. For example, the Karnataka Government has reserved 48% seats for the socially and educationally backward classes, which includes SCs, STs and OBCs and further more 18% has been earmarked for the other weaker sections. The total reservation of 66% of that Government was challenged in the judiciary and it was upheld. The reservation for OBCs under Article 15(4) and 16(4) should not, however, be amalgamated with any other reservation pertaining to any other criteria In Subhashini Vs State (AIR 1966 Mys 401 it was held "The validity of the reservation for classes other than socially and educationally backward classes SCS and STS had to he tested on the basis of the requirement of Article 14. Such reservations should not be mixed up with the special reservation under Article 1514). The upper limit laid down in Balaji case, has application only to reservation to be made under Article 15(4). 11 does not include any reservation otherwise made". In some of the Northern States even a small percentage of reservation is not reaching the socially and educationally backward classes of people as contemplated under Article 15(4) and 16(4) due to such linking.
9. On the basis of our extensive tour throughout the length and breadth of India the response received from the general public at large, I would like to state that the Backward Classes of this country repose high hopes in the Government's positive response to our recommendations. Ap- prehensions were rightly expressed before us that in case the report of my Commission also meets the same fate as that of Kaka Kalelkar's Commission, the legitimate hopes and aspirations of the socially and educationally backward classes, which constitute a bulk of the population will be dashed to ground.
10. We had to face enormous difliculties in the absence of caste enumerations figures after the 1931 Census. To avoid such difficulties in the future, a reference was made by me in my letter of 15th June, 1979 and 18th August. 1979, addressed to S/Shri H. M. Patel and Y. B. Chavan, respectively. I had also requested Giani Zail Singh, Home Minister to this effect in my letter of 31st March, 1980. I was informed that it had been decided that caste enumeration will not be carried out during the 1981 Census and that the present policy of not having enumeration of caste in Indian Census, will be continued, which needs reconsideration.
11. We were hoping to submit a unanimous Report to you and all the members of the Commis sion were agreed on this point. At the last moment when the Report was about to be signed one of the members, Shri L. R. Naik, decided to record a minute of dissent and it forms Volume VII of the Report.
12. Shri Naik's main contention is that the State-wise list of Other Backward Classes should be split into two parts: one pertaining to Intermediate Backward Classes and other to Depressed Backward Classes. Under Depressed Backward Classes, he has grouped those castes which, accord- ing to him, constitute the most deprived and under-privileged sections of the Backward classes His contention is that they should be treated as a separate entity for purposes of benefits and con- cessions recommended in the Report. Clubbing these two categories, he feels, will not result. inequitable distribution of benefits to these two groups.
13. Whereas the Commission sees the point of Shri Naik's contention, the acceptance of his approach will result in a situation which is repugnant to Article 15(4) of the Constitution. In the case of Balaji V State of Mysore the Supreme Court has clearly held "In introducing two categories of Backward Classes what the impugned order, in substance, purports to do is to devise measures for all the classes of citizens who are less advanced compared to the most advanced classes in the State, and that, in our opinion, is not the scope of the Article 15(4)". This observation has been repeated in a number of other cases and. by now, it has become established case-law. In view of this, the Commission did not find it possible to agree to Shri Naik's view of dividing other Backward Classes into two categories.
14. Further, the population ligures of the so-called depressed backward classes, worked out by Shri Naik, are also very arbitrary and based on pure conjecture.
15. It may also be pointed out that Shri Naik has deemed it proper to adopt the above line despite the fact that earlier from 10th to 14th November, 1980, he had signed every page of the State-wise lists of O.B.Cs, which treat all Other Backward Classes as one group.
16. Before I end this letter. I will be failing in my duty if I do not express my thanks to my colleagues, who have worked hard to finalise this report. The Commission consisted of members from Other Backward Classes and one Shri L. R. Naik from the Scheduled Caste. Dewan Mohan Lal. who is the eldest among us, never lagged behind to give his valuable contributions and the Commission has been benefited by the wisdom of his age and vast experience of his life Shri Justice R. R. Bhole. M.P. had varied experience of legislature and judiciary and rural and urban life of India, was of immense help to the Commission. Shri K. Subramaniam, an intelligent and experienced person, having had varied experience of rural life besides journalism and devoted to the service of the down trodden had made valuable contribution to the Commission. Shri L. R. Naik, who was appointed in the Commission after a lapse of several months, was the most hard working member in our lot. When other members were getting tired to continue the extensive tour of the country, he was ever unfatigued.
17. I have this signal privilege of submitting this report to you and hope you will have no hesita- tion in accepting our recommendations and redress the long felt grievances of the socially and edu cationally backward classes of our country.
With regards,
Yours sincerely,
Sd/-
(B. P. MANDAL)


Shri Neelam Sanjiva Reddy,
President of India.
Rashtrapati Bhavan,
New Delhi.
(*A.I.R. 1963 S.C. 649)




Saturday, March 4, 2023

मुरहो एस्टेट के मंडल परिवार का गौरवशाली अतीत : 1923 में बिहार उड़ीसा विधान परिषद के निर्वाचित सदस्य : बाबू भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल


बाबू भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल, प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और बिहार से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य बाबू रास बिहारी लाल मंडल के ज्येष्ठ पुत्र,(अन्य दो पुत्र बाबू कमलेश्वरी प्रसाद मंडल और बाबू बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल / #BPMandal ), 1923 में बिहार उड़ीसा विधान परिषद के लिए, आज के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से तीन या चार गुना बड़े निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। भुवनेश्वरी बाबू लगभग 1932 से 1948 तक भागलपुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के निर्वाचित चेयरमैन थे।
भारत सरकार अधिनियम 1919 के माध्यम से अधिनियमित मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों ने बिहार और उड़ीसा विधान परिषद को 43 से 103 सदस्यों तक विस्तारित किया। विधान परिषद में अब 2 पदेन कार्यकारी पार्षद, 25 नामांकित सदस्य (12 आधिकारिक, 13 गैर-सरकारी) और 76 निर्वाचित सदस्य (48 गैर-मुस्लिम, 18 मुस्लिम, 1 यूरोपीय, 3 वाणिज्य और उद्योग, 5 जमींदार और विश्वविद्यालय निर्वाचन क्षेत्र 1 सदस्य शामिल किये गए। सुधारों के Dyarchy सिद्धांत को भी पेश किया, जिससे कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय सरकार जैसी कुछ जिम्मेदारियां निर्वाचित मंत्रियों को स्थानांतरित कर दी गईं।
1923 में विस्तारित सदन के लिए हुए चुनाव में, 103 सदस्यों में से, वे सूची में मध्य भागलपुर गैर मुहम्मडन ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र (लिस्ट में संख्या 54) से सदन में चुने गए पिछड़े वर्ग के एकमात्र सदस्य थे।
दलित वर्ग के दो सदस्यों को मनोनीत किया गया था।
अन्य सभी सदस्य उच्च जाति के थे या अँगरेज़ थे।
मैं उनकी तस्वीर साझा कर रहा हूं जिसमें उनके सबसे बड़े बेटे न्यायमूर्ति राजेश्वर प्रसाद मंडल भी लॉन टेनिस रैकेट पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं, और माननीय सदस्यों की सूची, जिसमें पहले पृष्ठ पर उनका नाम उनकी खुद की लिखावट में है।
बिहार और उड़ीसा विधान परिषद
1924-29
माननीय खान बहादुर ख्वाजा मुहम्मद नूर - राष्ट्रपति।
चौधरी भगरात प्रसाद सामंतराय महापात्रा - उप अध्यक्ष।
श्री जे. ए. सॉन्डर्स, आईसीएस-सचिव।
माननीय सदस्य :
1. माननीय श्री मैकफर्सन, आईसीएस
2. माननीय श्री एस. सिन्हा।
3. माननीय सर सैय्यद मुहम्मद फखर-उद-दीन। खान बाबादुर (मंत्री)।
4, माननीय बाबू गणेश दत्ता सिंह (मंत्री)।
5. श्री ई. एल. एल. हैमंड (मनोनीत)।
6. श्री ई.एल. टान्नर। (मनोनीत)।
7. श्री जे.आर. दैन। (मनोनीत)।
8. श्री ए. एल. इंग्लिस (मनोनीत)।
9. श्री बी.ए. कोलिन्स। (मनोनीत)।
10. श्री डब्ल्यू.एस. ब्रेमनर, सीआईई (नामित)।
11. श्री एच. एल.आई. एल एलनसन। (मनोनीत)।
12. कर्नल एच. आइंसवर्थ। (मनोनीत)।
13. श्री बी.सी. सेन (मनोनीत)।
14. श्री डब्ल्यू स्वेन, सीआईई। (मनोनीत)।
15. श्री एच लैम्बर्ट (मनोनीत)।
16. श्री डब्ल्यू बी हेकॉक (मनोनीत)।
17. बाबू श्याम नारायण सिन्हा शर्मा - पटना प्रमंडल गैर मुस्लिम शहरी
18. श्री मुहम्मद यूनुस - पटना प्रमंडल मोहम्मडन अर्बन
19. बाबू चंडीपत सहाय। -पटना संभाग भूमि धारक।
20. महाराजा बहादुर गुरु महादेवाश्रम प्रसाद साही। पटना गैर-मोहम्मडन शहरी।
21. बाबू राजनधारी सिन्हा। पश्चिम पटना गैर-मोहम्मडन ग्रामीण
22. बाबू गुरु शाही लाल पूर्वी पटना गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
23. मौलवी सैय्यद मुहम्मद हुसैन - पूर्वी पटना मुहम्मडन ग्रामीण।
24. बाबू गुप्तेश्वर प्रसाद सिंह। पश्चिम गया गैर-मुबम्मदान ग्रामीण।
25. बाबू बिशुन प्रसाद। मध्य गया गैर-मुहम्मडन ग्रामीण
26. बाबू रामेश्वर प्रसाद सिंह। पूर्वी गया गैर-मुहम्मदें ग्रामीण।
27. खान बहादुर अशफाक इलुसैन।- गया मुहम्मडन रूरल
28. बाबू द्वारिका प्रसाद सिंह। आरा गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
29. बाबा शारदा प्रसाद सिंह - केंद्रीय शाहाबाद गैर-मुस्लिम ग्रामीण।
30. बाबू राजीवरंजन प्रसाद सिन्हा।- दक्षिण शाहाबाद गैर-मुस्लिम ग्रामीण।
31. श्री सैयद मुहम्मद अतहर हुसैन। - शाहाबाद मुहम्मडन ग्रामीण।
32. राय बहादुर द्वारिका नाथ। तिरहुत प्रमंडल गैर मुहम्मडन शहरी।
33. मौलवी मति-उर रहमान। - तिरहुत प्रमंडल मुबम्मदान अर्बन।
34. राय बहादुर कृष्णदेव नारायण महथा - तिरहुत संभाग के भू-स्वामी।
35. बाबू जलेश्वर प्रसाद। - उत्तर सारण गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
36. बाबू चंद्रकेतु नारायण सिंह।- दक्षिण सारण गैर-मुहम्मद-मदन कुराल।
37. मौलवी सैय्यद मुबारक अली -सारण मुहम्मदन ग्रामीण
38. बाबू लक्ष्मी मोहन मिश्रा। - उत्तरी चंपारण गैर मुस्लिम ग्रामीण।
39. बाबू केदारनाथ प्रसाद साह - दक्षिण चैनपरोन गैर-माबामदान ग्रामीण।
40. मौलवी मुहम्मद ज़बूरुल हक़- चंपारण मुहम्मडन रूरल।
41. बाबू शिव बचन सिन्हा। उत्तर मुजफ्फरपुर गैर मुस्लिम ग्रामीण।
42. महंत दर्शन दासजी। - पूर्वी मुजफ्फरपुर गैर मुहम्मडन ग्रामीण।
43. बाबू राधा कृष्ण। - हाजीपुर गैर-मुहम्मद- मदन ग्रामीण।
44. मौलवी सैय्यद मेंहदी हसन। - मुजफ्फरपुर मुहम्मडन ग्रामीण।
45. महंत ईश्वर गिर। - उत्तर-पश्चिम दरभंगा गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
46. बाबू शिव शंकर झा। - उत्तर-पूर्व दरभंगा गैर-मुहम्मडन ग्रामीण
47. बाबू राम निबोरा सिंह। - दक्षिण-पूर्व दरभंगा गैर-मुहम्मडन ग्रामीण
48. बाबू रामाश्रय प्रसाद चौधरी, - समस्तीपुर गैर-मुहम्मडन ग्रामीण
49. मौलवी सैद-उल हक। - दरभंगा मुहम्मडन ग्रामीण।
50. बाबू मुरलीधर श्रॉफ। -भागलपुर संभाग गैर-मुस्लिम शहरी।
51, श्री अब्दुल वहाब खान। भागलपुर डिवीजन मुहम्मडन शहरी ..
52. राजा बाबादुर कीर्त्यानंद सिंह। भागलपुर संभाग के जमींदार।
53. बाबू राजेन्द्र मिश्र। - उत्तर भागलपुर गैर मुहम्मदाव ग्रामीण।
54. बाबू भुवनेश्वरी प्रसाद मंडल। मध्य भागलपुर गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
ग्राम मुरहो, डाकघर मधेपुरा, जिला भागलपुर।
55. बाबू अनंत प्रसाद..- दक्षिण भागलौर गैर-मुस्लिम ग्रामीण।
56. खान बहादुर सईद मुहम्मद नईम - भागलपुर मुहम्मदन भागलपुर। ग्रामीण।
57. राय बहादुर लछमी प्रसाद सिन्हा। - पूर्वी मुंगेर गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
58. राय साहिब खड़ग नारायण - उत्तर-पश्चिम मुंगेर गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
59. महाराजा बहादुर चंद्र मौलेश्वर प्रसाद सिंह - दक्षिण-पश्चिम मुंगेर गैर मुहम्मडन ग्रामीण
60. श्री शाह मुहम्मद याह्या। - मोंगबीर महामदान ग्रामीण।
61. राय बहादुर पृथ्वीवी चंद लाल चौधरी। - पूर्णिया गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
62. श्री सैय्यद मोइन-उद-दीन मिर्जा। - किशनगंज मुहम्मडन ग्रामीण।
63. मौलवी मीर फैयाज अली। पूर्णिया ग्रामीण। मुसलमान
64. बाबू जोगेंद्र नारायण सिंह। - संथाल परगना (उत्तर) गैर-मुहम्मडन ग्रामीण
65. बाबू रामेश्वर लाल मारवाड़ी। - संथाल परगना (दक्षिण) गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
66. मनियावी मुहम्मद उम्मिदी अली। -संथाई परगना मुकमम्मन ग्रामीण।
67 श्री मधुसूदन दास, सी.एल.ई. - उड़ीसा डिवीजन गैर-मुहम्मडन शहरी।
68. मौलवी सैय्यद तजम्मुल अली। उड़ीसा डिवीजन मुहम्मद-मदन ग्रामीण।
69. राजा राजेंद्र नारायण भंजदेव, ओ.बी.ई. उड़ीसा प्रभाग, भू-धारक'।
70. बाबू बीराबर नारायण चंद्र धीर नरेंद्र। उत्तरी कटक गैर-मुहम्मडन ग्रामीण
71. बाबू लक्ष्मीबार महंती - दक्षिण कटक गैर-मुस्लिम ग्रामीण।
72. बाबू राधारंजन दास। -उत्तरी बालासोर गैर-मुहम्मडन ग्रामीण.-
73. चौधरी भगवत प्रसाद सामंतराय महापात्रा, उप राष्ट्रपति। दक्षिण बालासोर, गैर-मुहम्मदम ग्रामीण
74. बाबू गोदावरी मिश्रा। -उत्तरी पुरी, गैर महम्मदान ग्रामीण।
75. बाबू जगबंधु सिन्हा। - दक्षिण पुरी गैर मुहम्मडन ग्रामीण।
76. बाबू राम नारायण मिश्रा। - संबलपुर गैर-मुहम्मद ग्रामीण,
77. श्री जीमूत बहन सेन छोटा नागपुर डिवीजन गैर-मुहम्मडन शहरी।
78. मौलवी शेख मुहम्मद हुसैन। - छोटा नागपुर मंडल मुहम्मदन ग्रामीण।
79. बाबू नागेश्वर बक्स रे। - छोटा नागपुर डिवीजन पोस्ट लैंडहोल्डर्स'।
80. राय बहादुर शरत चंद्र रे।- रांची गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
81. बाबू कृष्ण बल्लभ सहाय। हजारीबाग गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
82. ठकुराई ब्रह्मेश्वर दयाल सिंह। पलामू गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
83. बाबू बख्शी जगदम प्रसाद लाल। उत्तर मानभूम गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
84. बाबू नीलकंठ चटर्जी। दक्षिण मानभूम गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
85. दुलु मानकी। -सिंगबबम गैर-मुहम्मडन ग्रामीण।
86. ********* पटना विश्वविद्यालय।
87. श्री पी. कैनेडी, सीआईई। यूरोपीय निर्वाचन क्षेत्र। रोपण निर्वाचन क्षेत्र।
88. श्री ई. सी. डेनबी.. ढोली कंसर्न
89. ********** इंडियन माइनिंग एसोसिएशन।
90. बाबू नरेंद्र नाथ मुखर्जी। इंडियन माइनिंग फेडरेशन
91. राजा बहादुर हरिहर प्रसाद नारायण सिंह, ओ.बी.ई. मनोनीत...
92. खान बहादुर नवाबजादा सैय्यद अल्ह्रफ-उद-अहमद। मनोनीत।
93. बाबू देवकी नंदन प्रसाद सिंह। मनोनीत।
94. राय बहादुर ज्योतिष चंद्र भट्टाचार्य। नामांकित (अधिवासित बंगाली समुदाय)।
95. श्री एफ.ई.एल. मॉरिसन। - मनोनीत (एंग्लो-इंडियन कम्युनिटी)।
96. रेवरेंड इमानुएल सुख। - मनोनीत दलित वर्ग।
97. बाबू विश्वनाथ कार - मनोनीत दलित वर्ग।
98. रेव. ई.एच.. व्हिटली। - नामांकित आदिवासी।
99. रेवरेंड प्रीतम लूथर सिंह - मनोनीत आदिवासी।
100. लाला बैज नाथ। - मनोनीत श्रमिक वर्ग।
101. श्री धनजीशाह मेहरजी- भाई मदन। - बागान और खनन के अलावा नामांकित औद्योगिक हित।
102. रेव. एस.के. तरफदार। नामांकित भारतीय ईसाई समुदाय।
103. श्री जे.ए. सॉन्डर्स, सचिव। पटना।
* सूची का अंत
बी और ओ। जी.पी. (एल.सी.) नं. 114-200-8-2-1924.-जे.एम.आर.
डॉ सूरज यादव मंडल द्वारा टाइप की गई सूची :
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Glorious Past of Mandal Family of Murho Estate : Babu Bhuvneshwari Prasad Mandal, Elected member of Bihar Orissa Legislative Council in 1923.

 Babu Bhuvneshwari Prasad Mandal, eldest son of Babu Rash Behari Lal Mandal, Freedom Fighter, Social reformer and founder Member of Indian National Congress from Bihar, (the other two sons being Babu Kamleshwari Parasad Mandal and Babu Bindeshwari Prasad Mandal or #BPMandal ), my grandfather, was elected to Bihar Orissa Legislative Council in 1923, from a constituency three or four times bigger than todays Parliamentary Constituency.

The Montagu–Chelmsford Reforms enacted through the Government of India Act 1919 expanded the Bihar & Orissa Legislative Council from 43 to 103 members. The Legislative Council now consisted of 2 ex-officio Executive Councillors, 25 nominated members (12 official, 13 non-official) and 76 elected members (48 Non-Muslim, 18 Muslim, 1 European, 3 Commerce & Industry, 5 Landholders and 1 University constituencies). The reforms also introduced the principle of dyarchy, whereby certain responsibilities such as agriculture, health, education, and local government, were transferred to elected ministers.
In the election held for the expanded house in 1923, of the 103 members, he was the only member belonging to the Backward Classes elected in the house from Central Bhagalpur Non Muhammadan Rural Constituency Number 54 in the List.
Two members of Depressed Classes were nominated.
All the other members belonged to upper caste.
I am sharing his photo in which his elsest son Justice Rajeshwar Prasad Mandal is also seen holding a lawn tennis racket, and the image of the List of Hon'ble Members which has his name in the first page in his own handwriting.

BIHAR AND ORISSA LEGISLATIVE COUNCIL

1924-29

The Hon'ble Khan Bahadur KHWAJA MUHAMMAD NUR - President.

Chaudhuri BHAGARAT PRASHAD SAMANTARAI MAHAPATRA -Deputy President.

 Mr. J. A. SAUNDERS, ICS.-Secretary.

Hon’ble MEMBERS :

1.  The Hon'ble Mr. McPherson, ICS

2.  The Hon'ble Mr. S. Sinha.

3. The Hon'ble Sir Saiyid Muhammad Fakhr-ud-din. Khan Babadur  (Minister).

4, The Hon'ble Babu Ganesh Datta Singh (Minister).

5. Mr. E. L. L. Hammond (Nominated).

6. Mr. E. L. Tanner.  (Nominated).

7. Mr. J. R. Dain. (Nominated).

8. Mr. A. L. Inglis  (Nominated).

9. Mr. B. A. Collins. (Nominated).

10. Mr. W. S. Bremner, CIE (Nominated).

11. Mr. H. Ll. L. Allanson. (Nominated).

12. Col. H. Ainsworth. (Nominated).

13. Mr. B. C. Sen. (Nominated).

14. Mr. W. Swain, CIE. (Nominated).

15. Mr H Lambert (Nominated).

16. Mr W B Heycock (Nominated).

17. Babu Shyam Narain Sinha Sharma  - Patna Division Non-Mohammadan Urban

18.Mr Muhammad Yunus – Patna Division Mohammadan Urban

19. Babu Chandipat Sahay. – Patna Divison Land Holders.

20.  Maharaja Bahadur Guru Mahadevashram Prashad Sahi. Patn Non-Mohammadan Urban.

21. Babu Rajandhari Sinha. West Patna Non-Mohammadan Rural

22. Babu Guru Shai Lal East Patna Non-Muhammadan Rural.

23. Maulavi Saiyid Muhammad Hussain - East Patna Muhammadan Rural.

24. Babu Gupteshvar Prashad Singh. West Gaya Non-Mubammadan Rural.

25. Babu Bishun Prashad. Central Gaya Non-Muhammadan Rural

26. Babu Rameshvar Prashad Singh. East Gaya Non-Muhammaden Rural.

27. Khan Bahadur Ashfaq Ilusain.- Gaya Muhammadan Rural

28. Babu Dvarika Prashad Singh. Arrah Non-Muhammadan Rural.

29. Baba Sarada Prashad Singh - Central Shahabad Non- Muhammadan Rural.

30. Babu Rajivaranjan Pra shad Sinha.- South Shahabad Non- Muhammadan Rural.

31. Mr. Saiyid Muhammad Athar Husain. - Shahabad Muhammadan Rural.

32. Rai Bahadur Dvarika Nath. Tirhut Division Non- Muhammadan Urban.

33. Maulavi Mati-ur Rahman. - Tirhut Division Mubammadan Urban.

34. Rai Bahadur Krishna Deva Narayan Mahtha - Tirhut Division Landholders'.

35. Babu Jaleshvar Prashad. - North Saran Non-Muhammadan Rural.

36. Babu Chandraketu Narayan Singh.- South Saran Non-Muham- madan Kural.

37. Maulavi Saiyid Mubarak Ali -Saran Muhammadan Rural

38. Babu Lakshmi Mohan Misra. - North Champaran Non- Muhammadan Rural.

39. Babu Kedarnath Prashad Sah - South Chainparon Non- Mabammadan Rural.

40. Maulavi Muhammad Zaburul Haqq- Champaran Muhammadan Rural.

41. Babu Shiva Bachan Sinha. North Muzaffarpur Non- Muhammadan Rural.

42. Mahanth Darshan Dasji. - East Muzaffarpur Non- Muhammadan Rural.

43. Babu Radha Krishna. - Hajipur Non-Muham- madan Rural.

44. Maulavi Saiyid Mehdi Hasan. - Muzaffarpur Muhammadan Rural.

45. Mahanth Ishvar Gir. - North-West Darbhanga Non-Muhammadan Rural.

46. Babu Shiva Shankar Jha. - North-East Darbhanga Non-Muhammadan Rural

47. Babu Ram Nibora Singh. - South-East Darbhanga Non-Muhammadan Rural

48. Babu Ramasray Prashad Chaudhuri, - Samastipur Non-Muhammadan Rural

49. Maulavi Said-ul Haqq. - Darbhanga Muhammadan Rural.

50. Babu Murlidhar Shroff. -Bhagalpur Division Non- Muhammadan Urban.

51, Mr. Abdul Wahab Khan. Bhagalpur Division Muhammadan Urban..

52. Raja Babadur Kirtyanand Singh. Bhagalpur Division Landholders.

53. Babu Rajendra Misra. - North Bhagalpur Non- Muhammadao Rural.

54. Babu. Bhuvaneshvari Prashad Mandal. Central Bhagalpur Non- Muhammadan Rural.

Village Murho, Post Office Madhipura,

District Bhagalpur.

55. Babu Anant Prashad..- South Bhagalour Non- Muhammadan Rural.

56. Khan Bahadur Sayid Muhammad Naim - Bhagalpur Muhammadan Bhagalpur.Rural.

57. Rai Bahadur Lachhmi Prashad Sinha. - East Monghyr Non-Muhammadan Rural.

58. Rai Sahib Kharag Narayan - North-West Monghyr Non-Muhammadan Rural.

59. Maharaja Bahadur Chandra Mauleshvar Prashad Singh -South-West Monghyr  Non         Muhammadan Rural

60. Mr. Shah Muhammad Yahya. - Mongbyr Mahammadan Rural.

61. Rai Bahadur Pritliwi Chand Lall Chowdry. - Purnea Non-Muhammadan Rural.

62. Mr. Saiyid Moin-ud-din Mirza. - Kishanganj Muhammadan Rural.

63.  Maulavi Mir Faiyaz Ali. Purnea Rural. Muhammadan

64. Babu Jogendra Narayan Singh. - Santhal Parganas (North) Non-Muhammadan Rural

65. Babu Rameshvar Lal Marwari. - Santhal Parganas (South) Non-Muhammadan Rural.

66. Maniavi Muhammad Umidy Ali. - Santhai Parganas Mukammadan Rural.

67 Mr. Madhusudan Das, C.L.E. - Orissa Division Non- Muhammadan Urban.

68. Maulavi Saiyid Tajamul Ali. Orisss Division Muham- madan Rural.

69. Raja Rajendra Narayan Bhanja Deo, O.B.E. Orissa Division, Land- holders'.

70. Babu Birabar Narayan Chandra Dhir Narendra. North Cuttack Non- Muhammedan Rural

71. Babu Lakshmidbar Mahanti -  South Cuttack Non- Muhammadan Rural.

72.Babu Radharanjan Das. -North Balasore Non- Muhammadan Rural.-

73. Chaudhuri Bhagabat Prashad Samantarai Mahapatra, Deputy President. South Balasore, Non- Muhammadam Rural

74. Babu Godavaris Misra. -North Puri, Non-Mehammadan Rural.

75. Babu Jagabandhu Sinha. - South Puri Non Muhammadan Rural.

76. Babu Ram Narayan Misra. - Sambalpur Non-Muhammadan Rural,

77. Mr. Jimut Bahan Sen. Chota Nagpur Division Non-Muhammadan Urban.

78. Maulavi Shaikh Muhammad Husain. - Chota Nagpur Division Muhammadan Rural.

79. Babu Nageshvar Bux Ray. - Chota Nagpur Division Post Landholders'.

80. Rai Bahadur Sharat Chandra Ray.- Ranchi Non-Muhammadan Rural.

81. Babu Krishna Ballabh Sahay.  Hazaribagh Non-Muhammadan Rural.

82. Thakurai Brahmeshvar Dayal Singh. Palamau Non-Muhammadan Rural.

83. Babu Bakshi Jagdam Prashad Lal. North Manbhum Non- Muhammadan Rural.

84. Babu Nilkantha Chattarji. South Manbhum Non- Muhammadan Rural.

85. Dulu Manki. -Singbbbum Non-Muhammadan Rural.

86. *********  Patna University.

87. Mr. P. Kennedy, CIE. European Constituency. Planting Constituency.

88. Mr. E. C. Danby.. Dholi Concern

89. ********** Indian Mining Associa- tion.

90. Babu Narendra Nath Mukharji. Indian Mining Federation.

91. Raja Bahadur Harihar Prashad Narayan Singh, O.B.E. Nominated...

92. Khan Bahadur Nawabzada Saiyid Alhraf-ud-au Ahmad. Nominated.

93. Babu Devaki Nandan Prashad Singh. Nominated.

94. Rai Bahadur Jyotish Chandra Bhattacharji. Nominated (Domiciled Bengali Community).

95. Mr. F. E. L. Morrison. - Nominated (Anglo-Indian Community).

96. Rev. Emanuel Sukh. - Nominated  Depressed Classes.

97. Babu Bishwa Nath Kar. - Nominated  Depressed Classes.

 98. Rev. E. H.. Whitley. – Nominated Aborigines.

99. Rev. Prittam Luther Singh - Nominated Aborigines.

100. Lala Baij Nath. - Nominated Labouring Classes.

101. Mr. Dhanjishah Meherji- bhai Madan. – Nominated Industrial Interests other than Plantation and Mining.

102. Rev. S. K. Tarafdar. Nominated Indian Christian Community.

103. Mr. J. A. Saunders, Secretary. Patna.

*End of List

B.&O. G. P. (L. C) No. 114-200-8-2-1924.-J.M.R.