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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Thursday, March 7, 2013

महिला दिवस - ऐ दादी माँ तुझे सलाम।


8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं उन सभी महिलाओं का इस्तेकबाल करता हूँ जिन्होंने अपने प्रकाश से किसी भी तरह से इस समाज, देश और मेरे जीवन को रौशन किया।

8 मार्च को महिला दिवस मनाये जाने की शुरुआत अमरीकी सोसलिस्ट पार्टी द्वारा पहली बार 28 फ़रवरी, 1909 को महिला दिवस मनाने से हुई। उसके बाद, रूस में 1917 में सोवियत क्रांति के उपरांत इस अवसर पर सरकारी छुट्टी दिए जाने एवं 1922 से चीन में कम्युनिस्टों और 1936 से स्पेनिश कम्युनिस्टों आदि कम्युनिस्ट और समाजवादी देशों में मुख्य रूप से मनाया जाने लगा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक लोकप्रिय घटना के रूप में पहली बार 1977 के बाद मनाया गया जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य राज्यों में महिलाओं के अधिकारों और विश्व शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में 8 मार्च का प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया गया।
वैसे तो कई महिलाओं, खास तौर से मेरी माँ का मुझ पर अमिट छाप रहा है, और अनेक महिलाओं से मैं प्रभावित रहा हूँ, जिनमें से कई फेसबुक पर भी हैं, लेकिन आज मैं एक विशेष व्यक्तित्व का यहाँ जिक्र कर रहा हूँ।

मेरे परदादा स्व रासबिहारी लाल मंडल के पिता स्व रघुवर दयाल मंडल एवं उनकी माता का देहांत तब हो गया था जब वे मात्र 6 वर्ष के थे। बिहार के मधेपुरा जिला की एक बड़ी ज़मींदारी मुरहो-रानीपट्टी का कार्यभार रासबिहारी बाबू की दादी जिनका नाम सकलवती मररायन था, के बूढ़े कंधो पर आ गयी। इस विशिष्ट महिला ने न सिर्फ अपने एक मात्र पोते का पालन-पोषण किया और श्रेष्ट शिक्षा दिलवाई, बल्कि ज़मींदारी का कार्य-भार भी बखूभी संभालीं। इसके लिए उस समय बिहार की सबसे विकट नदी कोसी के क्षेत्र में चांदी के हौदे में हाथी पर सवार होकर भ्रमण कर ज़मींदारी की देखरेख कीं। अकेले वारिस होने के कारण रासबिहारी बाबू की ज़िन्दगी पर भी अनेक खतरे थे, जिनका मुकाबला उनकी दादी माँ ने पूरी दृढ़ता से की।

महिला दिवस पर जानकी देवी की स्मृति को मेरी श्रद्धांजलि।