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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Tuesday, March 6, 2018

संसद की फाइल से : एट्रोसिटी ऑन हॉरिजंस (हरिजनों पर अत्याचार डिबेट में बी पी मण्डल) #BPMandal


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय के प्रणेता, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष स्व बी पी मंडल कई बार विधान सभा व संसद के लिए चुने गए।
6 अप्रैल,1978 को पार्लियामेंट (लोक सभा) में "Atrocities on Harijans" पर उनका भाषण। ( अब 'हरिजन' के जगह 'दलित' शब्द का प्रयोग होता है।) 24 मार्च 1977 को मोरारजी मंत्रिमंडल ने शपथ ली। बमुश्किल 2 महीने बाद ही 27 मई 1977 को बिहार का बहुचर्चित बेलछी कांड हो गया। 1 दर्जन दलितों का नरसंहार किया गया था। इंदिरा गांधी ने बेलछी का दौरा किया। वे हाथी पर सवार होकर बेलछी पहुंची थीं। इसके बाद भी दलितों पर एट्रोसिटी हुए। इसी के सन्दर्भ में लोक सभा में चर्चा थी।
ध्यान दें, बिहार और केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी और श्री मंडल जनता पार्टी के ही सांसद थे।
श्री बी पी मण्डल (मधेपुरा) :
सभापति महोदय, मैं पहले आपको धन्यवाद दूँ जो आपने मेरा नाम लिया।
सभापति महोदय, मुझे इस बात अफ़सोस होता है जबकि हमारे ट्रेजरी बेंच से होम मिनिस्टर या उनके स्टेट मिनिस्टर लोग बिहार में हरिजन पर होने वाले अत्याचार को छिपाना चाहते हैं। और सभापति जी, यह कोई स्टेट की रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं हो सकती है। अगर अमरीका में नीग्रो पर जुल्म होता है, तो उससे कम जुल्म हमारे यहाँ हरिजन पर नहीं होता है। अमरीका की फेडरल गवर्नमेंट और प्रेसिडेंट यह कहें कि फलाँ स्टेट में जुल्म होता है, हमारी रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं है, यह कभी टेनेबल नहीं हो सकता। इसलिए जो जुल्म हरिजनों पर होता है, जिस धर्म में हमलोग हैं, उस धर्म की बुनियाद इसीपर है। मैं काँग्रेस वालों को क्या दोष दूँ। कोई सरकार रहे, चाहे अँगरेज़ रहे, मुसलमान रहे या हिन्दू पीरियड रहा हो, हज़ारों साल से हरिजनों पर जुल्म इस देश में हो रहे हैं। दुनिया के किसी भी देश से कम जुल्म नहीं, यहाँ सबसे ज्यादा ज़ुल्म होता है। मैं इसका एक उदहारण दूँगा।
दुनिया का कौन सा ऐसा देश है जिसमें खानदान के खानदान, बाबा, बेटा, पोता, परपोता जाति के आधार पर बरसों से पखाना माथे पर ढोए। हमलोग हरिजनों से यह काम करा रहें हैं। आपकी म्युनिसिपैलिटी में भी किसी दूसरी जाति के लोग पखाना नहीं ढोते। यह हमारे समाज की जड़ में है। इसको यह कह देना मखौल है कि काँग्रेस में क्या हुआ, महाराष्ट्र में क्या हुआ, फलाँ जगह क्या हुआ। इस आड में हम नहीं बच सकते। यह काँग्रेस या जनता पार्टी की बात नहीं है। हमारे समाज की जड़-जड़ में, अंग-अंग में और कण-कण में यह है कि जात-पात के द्वेष के आधार पर हमारा समाज बना हुआ है। किसी भी सरकार के लिए यह शर्म की बात है, खासकर जनता पार्टी के लिए अगर हम पुरानी लकीर के फ़क़ीर हों।
हिन्दुस्तान में ऐसी बड़ी क्रांति हुई, रेवोल्यूशन हुआ, जनता पार्टी यहाँ आई, काँग्रेस वालों को हटा कर जनता पार्टी को लाया गया और हम अब भी पुराने लकीर के फ़क़ीर हों, यह कहाँ की बात है? आंध्र में कितना होता है, कर्नाटक में कितना होता है, इससे हमारा कोई भी केस सुधरने वाला नहीं है। यह हमारे लिए शर्म की बात है। आज हमको टोटल रिस्पॉन्सिबिलिटी लेनी चाहिए कि ईस समाज को हम परिवर्तित करेंगे और हरिजनों पर ज़ुल्म नहीं होंगे।
एक माननीय सदस्य : अगर हरिजन ज़ुल्म कर दें हम पर तो ?
श्री बी पी मण्डल : जितना ज़ुल्म हमने हरिजनों पर किया है, अगर कोई हरिजन थोड़ा सा भी ज़ुल्म करता है, बदला लेता है तो वह जस्टीफाईड है। आपने हज़ारों वर्षों तक पुश्तैनी तरीके से ज़ुल्म किया है। अगर एक आध ज़ुल्म हरिजन करता है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर ज़ुल्म नहीं करता है तो यह आश्चर्य की बात है कि क्यों नहीं करता है ? इसलिए हरिजनों पर ज़ुल्म होता है।
कार्लमार्क्स का जन्म हिंदुस्तान में होता तो सोशलिज्म की डेफिनिशन में वह भी इकनॉमिक आधार नहीं मानते, सोशल एक्सप्लॉयटेशन का आधार मानते। जगजीवन बाबू इकनॉमिक आधार में किसी से कम नहीं, पॉलीटिकल आधार में बहुत ज्यादा, हिंदुस्तान में जीनियस, उन्होंने एक मूर्ति, स्टेचू का उदघाटन किया, अनावरण किया तो उस मूर्ति को गंगाजल से धोया गया। तो इसमें इकनॉमिक आधार नहीं है। हमारे देश में डबल एक्सप्लोइटेशन है और और दुनियाँ के देशों में एक एक्सप्लॉइटेशन है, वह है इकनॉमिक एक्सप्लॉयटेशन। हमारे यहाँ डबल एक्सप्लॉयटेशन है, एक है इकनॉमिक और दूसरी सोशल एक्सप्लॉयटेशन है। हरिजनों पर ज़ुल्म होता है। और भी बहुत सी जातियाँ हैं जो हरिजनों के समकक्ष जातियाँ हैं। हरिजन हरिजन में भी आपस में लड़ाई होती है, लेकिन समाज की बनावट ही ऐसी है कि ऊपर में एक जाति है ब्राह्मण और नीचे में एक जाति है हरिजन और बीच में 3 हज़ार जातियाँ हैं। इनसे पहले देश में 4 वर्ण थे लेकिन गुप्त वंश के बाद डेढ़ हज़ार वर्ष से हज़ारों जातियाँ ले गई। समाज का बनावट ही ऐसा है कि जाति जाति में लड़ाई होती है, लेकिन इसका सूत्रधार हरिजन नहीं है, पिछड़ा वर्ग नहीं है। इसके सूत्रधार वर्ण-व्यस्था को बनाने वाले मनु स्मृति है।
(हंगामा शोर-गुल व्यवधान )
इसलिए हम अपनी सरकार को कहेंगे कि यह आंकड़े न दें कि एक परसेंट हरिजन है और 15 परसेंट हरिजन हैं एक परसेंट भी ज़ुल्म हुआ, यह शर्म की बात है। इस किस्म के आंकड़ें देना ठीक नहीं होगा। इस पर हमें पार्टी लाइन से ऊपर उठना होगा। यह देश के नेशनल इंटरेस्ट का सवाल है, इसको हम पार्टी के दायरे में नहीं लेंगे। हमारे साथी ने जो कहा, इसका मतलब यह है कि 15 परसेंट तक क्राइम जस्टीफाईड होगा हरिजन पर ? जो लोग यह जवाब देते हैं, इन आंकड़ों को बनाने ब्यूरोक्रेट्स हैं, वह सब अपर क्लास के हैं और इन पर जो ज़ुल्म होता है, उसमें इनका हाथ रहता है। वही लोग परदे के पीछे से स्ट्रिंग पुल करते हैं, और जो ज़ुल्म होता है, उसको वे देखते हैं।
हरिजनों की नियुक्तियों के सम्बन्ध में तो रिजर्वेशन दिया गया है, लेकिन प्रोमोशन के मामले में उनके लिए कोई रिजर्वेशन नहीं है। पटना हाई कोर्ट साठ वर्ष से बना हुआ है। वहाँ आज तक एक भी हरिजन, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का जज नहीं हुआ है। पिछड़े वर्ग का एक जज वहाँ हुआ, जब मैं मुख्य मंत्री था। मैंने जस्टिस कन्हैया जी को जज बनाया। उसके बाद किसी ने नहीं बनाया।
हरिजनों को जो रिजर्वेशन दिया गया है, वह तो एक मखौल है। टॉप ऑफिसर्स, जो अपर कास्ट के होते हैं, हरिजन और वीकर सेक्शनस के सर्विस रिकार्ड्स को खराब कर देते हैं, जिससे उनका प्रोमोशन नहीं होता है। सरकार कहती है कि प्रोमोशन में रिजर्वेशन का सवाल ही नहीं उठता है, सिर्फ एपॉइंटमेंट में ही रिजर्वेशन है। इसलिए प्रोमोशन में भी रिजर्वेशन का कोटा फिक्स करना होगा।
हमने सुना है कि तमिलनाडु में जब डीएमके सरकार थी, तो उसने पहले के सब सर्विस रिकार्ड्स को कैंसल कर दिया, जो ब्राह्मण टॉप ऑफिसर्स द्वारा लिखे गए थे - वहाँ पर सिर्फ ब्राह्मण और नॉन-ब्राह्मण हैं, जब कि हमारे यहाँ चार पाँच अपर कास्ट्स हैं -, जिसके कारण आज वहाँ पर हरिजन टॉप ऑफिसर्स भी है।
बिहार में हाई कोर्ट जज को तो छोड़ दीजिए, एक भी डिस्ट्रिक्ट जज नहीं है। मुंसिफ हैं, सब-जज तक तो वे जाते हैं, लेकिन हाई कोर्ट तक, जो अपर कास्ट की मोनोपॉली है, उन्हें नहीं जाने दिया जाता है।
मैं कहना चाहता हूँ कि हरिजनों पर ज़ुल्म के मामले को इस तरह से नहीं लेना चाहिए कि 15 परसेंट और 1 परसेंट वगैरह पर्सेंटेज बता दिया, काँग्रेस शासन से तुलना कर दी, और दुनियाँ के सामने एक मखौल हो गया। उनकों इसमें पूरी दिलचस्पी लेनी चाहिए। ऐसा न हो कि "अति संघर्ष करे जो कोई, अनल प्रकट चन्दन से होई"। उनको आप दबाते चले जा रहें हैं, समझते हैं कि कुछ नहीं है। अगर आपका ऐसा ही रवैय्या रहा, तो जैसे की उस दिन श्री रामधन से कहा था, यह मामला यूएनओ में ले जायेंगे, ले ही जाना चाहिए। मैं हरिजन नहीं हूँ। लेकिन मैं समझता हूँ कि यह ह्यूमन राइट्स का सवाल है। अमरीका में निग्रोस की जो हालत है, हमारे यहाँ हरिजनों की हालत उससे भी बदतर है। इसलिए मैं समझता हूँ कि अगर इस सवाल को यूएनओ में ले जाया जाय, तो हमलोगों का भी उसमें समर्थन होगा।
इस बारे में एक कमीशन बैठा देने से काम नहीं चलेगा, अगर सिंसियरिटी ऑफ परपज नहीं है। वही लहँगा, वही साड़ी जो पहले थी, वह अब भी है। उनकी जगह पर आप बैठ गए, बड़ी बड़ी कोठियों में चले गए, बड़ी बड़ी गाड़ियों में बैठते हैं, इमरजेंसी में जो मारपीट हुई थी, वह सब भूल गए, और फिर वही जवाब देने लग गये, मैं इसको अच्छा समझता हूँ।
मैंने एक अमेंडमेंट दिया है, जिसका मतलब है कि पार्लियामेंट के रेस्पांसिबल मेम्बरों की एक कमिटी बनाई जाये, जो इस समस्या पर विचार करे।
श्री चंद्रशेखर सिंह (वाराणसी) :
सभापति महोदय, यह बहुत सीरियस बात है। क्या यहाँ कोई मेम्बर इरेस्पोंसिबल भी है ? माननीय सदस्य ने कहा है कि रेस्पोंसिबल मेमबर्स की एक कमिटी बनाई जाये।
श्री बी पी मण्डल : अगर मैंने रेस्पोंसिबल कह दिया, तो मेरा मतलब यह नहीं था कि बाँकी मेमबर्स इरेस्पोंसिबल हैं। इस तरह समझने का नतीजा है कि हिंदुस्तान में ये ज़ुल्म हो रहें हैं। बात बात पर भिनक जाते हैं।
मैंने यह अमेंडमेंट दिया है :
That in the Motion, ---
add at the end ---
"and recommends that a Committee of MPs be appointed to go into its causes and suggest preventive measures."

मैं फिर से यह कहना चाहता हूँ कि इस रेवोल्यूशन के बाद जनता पार्टी की जो रिस्पांसिबिलिटी है, उसको देखते हुए यह बिलकुल अवांछनीय है कि एक भी हरिजन को जलाया जाये। अगर ऐसी बात होती रहे, तो यह शर्म की बात है।
संकलन -
डा सूरज मण्ड़ल (SSN College, University of Delhi)
डा रतन लाल (Hindu College, University of Delhi).

Sunday, March 4, 2018

SSC पेपर लीक मामला: विरोध में सड़को पर सैकड़ो छात्र, CBI जांच की मांग:

पिछले दो दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों ने एसएससी(SSC) का पेपर लीक होने का गंभीर आरोप लगाया है। इसको लेकर छात्रों की मांग है कि इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में छात्रों ने यह गंभीर आरोप लगाया है कि एसएससी द्वारा आयोजित सीजीएल 2017 के टियर 2 की परीक्षा के प्रश्न पत्र और अनसर की लीक हो गई थी। इसके बाद ही छात्र सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने में जुटे है। छात्रों ने यह आरोप गंभीर आरोप लगाया है कि एसएससी परीक्षा में घोटाला किया जा रहा है।
इस बीच, ‘बड़े पैमाने पर’ धोखाधड़ी के विरोध में हजारों एसएससी उम्मीदवार सड़कों पर उतर आए। विरोध कर रहें एक छात्र ने कहा कि, ‘यह कम से कम 1,000 करोड़ का घोटाला है, कोई भी हमें सुनने के लिए तैयार नहीं है हम अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे और इस भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ेगे।’
छात्रों का कहना है कि सीबीआई इसमें निष्पक्ष तरीके से पूरी जांच करें और इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बता दें कि, एसएससी उम्मीदवार दिल्ली में कमीशन के कार्यालय के पास विरोध कर रहे हैं, बड़े पैमाने पर पीड़ित छात्र सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
**तुम क्या जानो फर्जी डिग्री वाले चौकीदार, ये स्टूडेंट्स से पूछो कितनी मेहनत लगी है एग्जाम क्लियर करने में यार, दोस्तों में आपके जज्बे को धन्यवाद देता हूँ - लड़ेंगे तो जीतेंगे।
~ Jignesh Mevani.
** #sscscam
SSC CGL 2017 mains paper leaks, India’s youth on streets, jobs being sold openly through private agencies.
For 2 days, hapless youth protest without food and water near Khan Market, Delhi yet a failed Modi Govt arrogates & refuses to listen.
Where are the jobs Modiji?
~ Randeep Singh Surjewala.
** हज़ारों छात्र SSC exam scam की CBI enquiry की माँग कर रहे है। ये मुद्दा हज़ारों छात्रों के भविष्य से जुड़ा है। केंद्र सरकार को छात्रों की माँग तुरंत मान कर CBI enquiry करानी चाहिए।
~ Arvind Kejriwal
**‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस तरह से एसएससी की संयुक्त स्नातक स्तर की परीक्षा पत्र लीक हो गया है और अब परीक्षा रद्द कर दी गई है। 30 लाख से अधिक सपने बिखर गए कौन हमें कुछ लाखों लोगों के भविष्य के साथ खेलने की अनुमति देता है?
~ Dr. Kumar Vishwas.
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