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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Saturday, May 10, 2014

क्या नरेन्द्र मोदी 1977 को दोहराएंगे ?


1977 में पहली बार केंद्र में गैर-काँग्रेसी सरकार बनी, जब जनता पार्टी ने सरकार बनायीं थी। जनता पार्टी इंदिरा गांधी के प्रधान मंत्रित्व काल में 1974 में लागू की गयी आपातकाल की ज्यादतियों के विरुद्ध कई पार्टियों के साथ आने पर बनी थी। चौ चरण सिंह के नेतृत्व की भारतीय लोक दल जिसमें भारतीय क्रांति दल(चौ चरण सिंह), स्वतन्त्र पार्टी (गायत्री देवी, मीनू मसानी, पीलू मोदी आदि), सोशलिस्ट पार्टी ( जे पी , जॉर्ज फर्नांडिस आदि), उत्कल काँग्रेस (बीजू पटनायक), भारतीय जन संघ (अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी), काँग्रेस(ओ) (मोरारजी देसाई, नीलम संजीव रेड्डी, सत्येन्द्र नारायण सिन्हा आदि), काँग्रेस फॉर डेमोक्रसी (जगजीवन राम, हेमवती नंदन बहुगुणा आदि) तथा काँग्रेस पार्टी से विद्रोह करने वाले चन्द्रशेखर, कृष्णकांत, मोहन धारिया, रामधन, चंद्रजीत यादव आदि शामिल हुए। बाद में काँग्रेस(अर्स) के देवराज अर्स भी शमिल हो गये।

1977 में 16 से 20 मार्च के बीच लोक सभा चुनाव हुए।1977 के चुनाव में 32 करोड़ मतदाताओं से 60% ने वोट किया। 23 मार्च को घोषित परिणाम में कह गया की 43.2% लोकप्रिय वोट और 271 सीटें हासिल करके जनता पार्टी ने एक व्यापक और अभूतपूर्व विजय हासिल की थी। अकाली दल और कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी के समर्थन के साथ, यह एक दो तिहाई, या 345 सीटों की पूर्ण बहुमत बन चुक था। कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी ने 28 सीटें जीती और जगजीवन राम एक राष्ट्रीय दलित नेता के रूप में जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों को दलित वोट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मिलने के लिये काफी बड़ा प्रभाव डाला था।

इसके विपरीत दक्षिण भारत में जहाँ इमरजेंसी का क़ोई खास प्रभाव नहीं था, वहाँ मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी ने 153 सीटों को जीता। जनता पार्टी भारत के दक्षिणी राज्यों से केवल छह सीटें जीती। हालांकि, जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने उत्तरी "हिंदी बेल्ट",विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार में कांग्रेस के उम्मीदवारों को हरा दिया। चुनाव का सबसे चौंकाने वाला परिणामों में से एक रायबरेली क था जहाँ कॉँग्रेस की अध्यक्षा और प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी अपने 1971 चुनाव से प्रतिद्वंदी रज नारायण से 55,200 मतों के अंतर से हार गयी। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कोई सीट जीत नहीं था और जनता उम्मीदवारों द्वारा 10 राज्यों और क्षेत्रों से उसका नामो- निशान मिटा दिया गया था।

इस तरह 1989 के लोक सभा चुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई में जनता पार्टी ने 17.79 % के वोटों के साथ 143 जीता। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 11.36 % वोट एवं 85 सीटें प्राप्त हुई। वाम दलों में सी पी आई को 2.57 % वोट और 12 सीट तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को 6.33 % वोट एवं 33 सीट मिली। इस तरह 39.33 % वोट और 197 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल होने के बावजूद भा ज पा और वाम दलों के सहयोग से वी पी सिंह के नेतृत्व में केन्द्र में जनता दल कि गैर काँग्रेसी सरकर बनी।

1999 के लोक सभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को 23.7% वोट और 182 सीटें मिली। सहयोगी दलों के साथ NDA को 40.8% वोट और 299 सीटें मिली।




अब 16 मई का इंतज़ार है और देखना है की नरेन्द्र मोदी के लहर से भा ज पा और NDA को कितने प्रतिशत वोट और सीटेँ मिलती है।