चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में यहां सीबीआई की विशेष अदालत ने आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद नेता लालू प्रसाद तथा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत सभी 45 आरोपियों को दोषी करार दिया है।
वैसे यह राजनीती में अहंकार की पराजय भी है और सत्ता का मद में चूड़ नेताओं के लिए सबक भी है। लालू प्रसाद के विरुद्ध भी रहा हूँ और दो चुनावों में साथ भी दिया हूँ। इसलिए गीता सार को याद कर रहा हूँ - जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
इसलिए अफ़सोस सिर्फ इस बात का है कि अक्सर सामाजिक न्याय को बुलंद करने की बात जो नेता करते हैं वे भटक जाते हैं और भ्रष्टाचार के दलदल में फंस जाते हैं। इससे सामाजिक न्याय का आन्दोलन कमजोर पड़ता है।
पर इसमें खेल कांग्रेस का है जिसके कसीदे रोज़ लालू प्रसाद पढ़ रहे थे। क्या लालू प्रसाद कांग्रेस की चाल नहीं समझ पाए, तब भी जब उन्हें बचाने के यू पी ए अध्यादेश ड्रामे को राहुल बाबा ने नॉनसेंस करार दिया? और उन घोटालों का क्या जिसमें कांग्रेसी नेता शीला दिक्षित, सुरेश कलमाड़ी, चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, और स्वयं प्रधान मंत्री हैं और जिनकी आंच 10 जनपथ तक आती है?
अब कांग्रेस बिहार में नितीश कुमार को अपनाएगी, और नितीश भी जानते हैं की चारा घोटाले से बचाने के लिए फिलहाल उन्हें कांग्रेस की खवासी करनी होगी।
दरअसल, इस घोटाले के आरोपी एसबी सिन्हा के बयान के अनुसार चारा घोटाले का पैसा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी मिला था। एके झा ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश आरआर त्रिपाठी की अदालत में बताया कि घोटाले के आरोपी एसबी सिन्हा से बयान लिया गया था। इसी बयान में इसकी पुष्टि हुई है। एसबी सिन्हा ने बताया था कि 1995 के लोकसभा चुनाव में चारा घोटाले के आरोपी विजय कुमार मल्लिक द्वारा एक करोड़ रुपये नीतीश कुमार को भिजवाया गया। यह पैसा उन्हें दिल्ली के एक होटल में दिया गया। नीतीश ने पैसे लेकर धन्यवाद भी कहा। कुछ दिनों बाद फिर घोटाले के आरोपी एसबी सिन्हा ने नौकर महेंद्र प्रसाद के हाथ 10 लाख रुपये पटना में विधायक सुधा श्रीवास्तव के घर पर नीतीश कुमार के लिए भेजे। घोटाले के आरोपी आरके दास ने भी कोर्ट में दिये बयान में बताया था कि उसने पांच लाख रुपये नीतीश कुमार को दिये हैं। नीतीश कुमार 1995 में समता पार्टी के नेता थे। वह एसबी सिन्हा को कहते थे कि पैसा नहीं देने पर मामला उजागर कर दिया जाएगा। तत्कालीन विधायक शिवानंद तिवारी, राधाकांत झा, रामदास एवं गुलशन अजमानी को भी पैसा देने की बात सामने आई।