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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Thursday, November 12, 2015

विकास की कीमत : दिल्ली में पेड़ो को अंधाधुन्द काटना।

दिल्ली वालों को दीपावली के मौके पर दिल्ली मेट्रो ने एक और तोहफा दिया है। जहांगीरपुरी से समयपुर बादली तक मेट्रो से सफर कर सकेंगे। इससे रोहिणी, बादली, यादव नगर, स्वरूप नगर समेत करीब एक दर्जन इलाके के 27 हजार यात्रियों को फायदा होगा। साथ ही सड़क से प्रतिदिन 10 हजार वाहन कम हो जाएंगे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने झंडी दिखाकर रवाना किया।
परन्तु इसे बनाने में हज़ारों पेड़ काटे गए।
इसका दिल्ली मेट्रो ने कोई भरपाई नहीं किया है।
पिछले 15 सालों में अंधाधुंध निर्माण से दिल्ली में करीब 32 हजार हेक्टेयर ग्रीन कवर खत्म हुआ है। दिल्ली में मेट्रो के दो फेज के विस्तार से 34 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटा गया। तीसरे फेज के लिए पहले ही 6 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं और 5 हजार पेड़ों पर काटे जाने का खतरा मंडरा रहा है।
दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है इसलिए यहां रहने वाले लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वो शहर के खो चुके ग्रीनरी को वापस लाने में सक्रिय सहयोग करें।
Trees being butchered at Baba Wala Bagh, Sector 19, Rohini and at Sector 18 Rohini, Delhi, India.

Tuesday, November 10, 2015

समीक्षा क्यों नहीं ? भाजपा टिकट बिकता है ?


अगर लोक सभा चुनाव में बिहार के परिणाम की समीक्षा हुई होती तो विधान सभा चुनाव में भाजपा की यह फजीयत नहीं होती। दरअसल बात मोदी लहर में बिहार के इस इलाके से 7 - 8 सीटें हारने को लेकर है।
लोक सभा चुनाव से पहले समझा जा रहा था की बहुत ही व्यवस्थित ढंग से सर्वे वैगेरह करके भाजपा के प्रत्याशियों को चयनित किया जा रहा था। परन्तु वास्तविकता में सुशील मोदी और उनके गुट के नेता सब कुछ मैनेज कर रहे थे। और इसमें पैसों का ज़बरदस्त खेल था। यहाँ तक की पासवान-कुशवाहा को हैसियत से अधिक सीटें देने के पीछे पैसों की ही सेटिंग थी।
मधेपुरा से, जहाँ से मैं भी दावेदारी कर रहा था, वहाँ पता चला की नितीश सरकार की मंत्री रेनू कुशवाहा के पति, जिनका एक मात्र योगदान और परिचय यही है, को 4 करोड़ के सौदे में सुशील मोदी ने टिकट दिलवा दी।
मधेपुरा में यादवों की बड़ी संख्या और राजद उम्मीदवार पप्पू यादव और जद(यू) प्रत्याशी शरद यादव थे।
इस अनर्गल फैसले का विरोध मधेपुरा और सहरसा जिला भाजपा इकाई ने पुरजोर तरीके से किया। सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव कहा गया कि," मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र से घोषित भा ज पा प्रत्याशी का संगठन के पंचायत स्तर से लेकर सहरसा और मधेपुरा ज़िला इकाई के एक एक कार्यकर्ता द्वारा विरोध हो रहा है और इकाइयों द्वारा चरणबद्ध आंदोलन भी हो रहा है।
श्रीमान से नम्र निवेदन है कि तत्काल केन्द्रीय नेतृत्व का एक शीर्ष नेता को ज़मीनी जानकारी लेने के लिए भेजा जाय और तब मधेपुरा से घोषित भा ज पा प्रत्याशी पर अंतिम निर्णय लिया जाय।
ज़िला इकाईयां किसी एक को टिकट देने के बारे में कोई माँग नहीं कर रही है, पर घोषित प्रत्याशी को बदलने कि मांग कर रहें हैं।
मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में कुल वोटर संख्या 1507610 (पंद्रह लाख छिहत्तर हज़ार छह सौ दस) है। जिनमें 789566 पुरुष और 718044 महिला है।
एक अनुमान के अनुसार इनमें लगभग 5 लाख यादव मतदाता हैं। मुसलमान और दलित लगभग 2 - 2. 50 लाख हैं। यादव छोड़ अन्य पिछड़ी जातियाँ भी लगभग 3 लाख हैं। अन्य पिछड़ी जातियों में कोइरी सबसे कम लगभग 30 - 35 हज़ार हैं। वैश्य लगभग 1 लाख हैं। ब्राह्मणों की संख्या भी लगभग 78 हज़ार और राजपूत की संख्या भी लगभग 79 हज़ार है।
ऐसी परिस्थिति में मधेपुरा कि सीट पर किस समीकरण से कुशवाहा, जो मधेपुरा का है भी नहीं, और जिसे मधेपुरा के 200 लोग भी नहीं जानते हैं, उसे उम्मीदवार बनाया गया है, यह आम कार्यकर्ताओं के समझ से परे है, और भा ज पा को इससे आस पास के सभी सीटों पर नुकसान हो रहा है।
अतः आशा है की तमाम कार्यकर्ताओं के इस अनुरोध पर गहराई से विचार करेंगे और संगठन के हित में फैसला लेंगे।"
परन्तु किसी तरह की कोई कार्यवाई नहीं हुई।
नतीजा हुआ की मधेपुरा सीट पार्टी हार गयी और साथ में यह मानते हुए की राजनैतिक रूप से संवेदनशील मधेपुरा का असर दूसरे क्षेत्रों पर भी हुआ होगा, भाजपा सुपौल, पूर्णियां, अररिया, कटिहार, किशनगंज, भागलपुर, बाँका भी हार गयी। लेकिन मोदी लहर में जीत के जूनून में इस पर ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा गया।
अभी विधान सभा में सुशील जी के सीधे हस्तक्षेप से मधेपुरा विधान सभा क्षेत्र से एक विवादास्पद व्यक्ति को टिकट दिया गया, जो माना जाता है की ढाई करोड़ उन पर न्योछावर किया। जनाब 40 हज़ार वोटों से हारे हैं।
तो अब हम यही देखना चाहेंगे कि क्या कार्यवाई होती है।