"There is equality only among equals. To equate unequals is to perpetuate inequality." ~ Bindheshwari Prasad Mandal "All epoch-making revolutionary events have been produced not by written but by spoken word."-~ADOLF HITLER.
About Me
- Suraj Yadav
- New Delhi, NCR of Delhi, India
- I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....
Monday, August 31, 2015
हार्दिक इच्छा !
हार्दिक पटेल चाहते है कि वह अपने आंदोलन का दायरा अन्य राज्यों में भी बढ़ाएं। पूरे देश में पटेल समुदाय को एकजुट करेंगे। इसके साथ ही आंदोलन में कुर्मियों और गुर्जर जैसी जातियों को भी शामिल करेंगे।
दिक्कत है कि अहमदाबाद के सहजानंद कालेज की डिग्री में 50 परसेंट से भी कम नंबर प्राप्त किए हार्दिक को पिछड़े वर्ग आरक्षण और आंदोलन के बारे में कई अहम जानकारियों की भारी कमी है या यूं कहें हैं की जिन्होंने उन्हें आगे किया है वे जानबूझ कर उन जानकारियों को दिया नहीं होगा।
पटेल समुदाय को आरक्षण देने का दबाव बनाने के लिए हार्दिक के प्रयास को अपनी जगह पर कुछ लोगों द्वारा ठीक माना जा सकता है।
लेकिन गुज्जरों की मांग अलग है। वे पिछड़े वर्ग में आते हैं और चाहते हैं की उन्हें अनुसूचित जाति का दर्ज़ा मिले जिसके विरुद्ध राजस्थान के मीणा कमर कस कर आंदोलन कर रहें हैं।
कुर्मी पिछड़े वर्ग में हैं और हालाँकि मंडल आंदोलन में कई जातियाँ दिल्ली विश्वविद्यालय के मंडल विरोधी आंदोलन की उग्रता से चुप थे या विरोध में शमिल थे, आज मंडल आरक्षण का पूरा फायदा उठा रहें हैं। तो कुर्मियों के हार्दिक आंदोलन में शामिल होना संभव नहीं है।
जहाँ तक जाट समुदाय का प्रश्न है, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि में वे पिछड़े वर्ग में हैं।लेकिन जैसे आजकल गैस पर मिलने वाले सब्सिडी कुछ लोग छोड़ देते हैं , वैसे ही हरियाणा के जाट नेताओं ने पिछड़े वर्ग का हिस्सा बनना स्वीकार नहीं किया था और पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर मंडल विरोधी आंदोलन के दिल्ली में वे कर्णधार थे। यह अलग बात है की आज वे आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहें हैं। परन्तु हार्दिक के प्रेस सम्मलेन गुज्जर और जाट नेताओं के अलग राय आने लगे।
दरअसल आज भी पिछड़े वर्ग के आरक्षण को ठीक से लागू नहीं किया गया है और आरक्षण नियमों के अवेहलना करते हुए पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए 22.5% आरक्षण की जगह जनरल केटेगरी की लिए 50% रिजर्व कर दिया जाता है यानि उसमें अगर OBC/SC/ST प्रतियोगिता के आधार पर आते भी हैं तो उन्हें छांट 27 व 22.5 % में दे दिया जाता है। ऊपर से जब पसमांदा मुसलमान पिछड़े वर्ग में ही आते हैं फिर भी आंध्र में अलग से मुस्लिम कोटा और हिज़डों के लिए भी इसी 27% में एडजस्ट करने के लिए आदेश दिया जाता है। 27 % आँख की किरकिरी है, हार्टबर्न का कारण !
पर हार्दिक को इससे क्या ? वे आधुनिक सरदार पटेल बनने की ख्वाहिश रखते हैं। पर सरदार बनना इतना आसान नहीं है। वैसा कद बनाना पड़ेगा, मूर्तियों का नहीं अपना !
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