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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, August 6, 2017

पनगढ़िया " 'नीता' आयोग" क्यों छोड़ा ?


जो नीति आयोग ने जेल, सरकारी अस्पताल, स्कूल के साथ-साथ नीति आयोग को भी बेचने का प्रस्ताव दिया, जिसके उपाध्यक्ष अरविन्द पनगड़िया हैं, और लग रहा था की खुद ही खरीदे लेंगें नीति आयोग को, उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।
कारण उन्हें परमानेंट नौकरी चाहिए था, जहाँ पेंशन की भी ज़रूरी नहीं पड़े। इस तरह, 65 साल की उम्र में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जिस तरह की नौकरी मिल रही है वो मोदी और नीति आयोग के प्रस्तावित उपायों से भारत में तो अब कभी नहीं मिलेगी।
नौकरी स्थायी है।
अब ये देशद्रोही और गद्दार द्वारा सुधार के नाम पर कम कर्मचारी भर्ती करने, जल्दी रिटायर करने, पेंशन ख़त्म करने और आसानी से निकाल देने की नीतियां बनाते रहे हैं, ये कॉर्पोरेट भांड घूम-घूम कर, लिख-लिख कर इस व्यवस्था का प्रचार करते हैं और अब 65 साल की उम्र में भी अपने लिए स्थायित्व का जुगाड़ कर रहे होते हैं।
लग रहा था कि पनगढ़िया तथाकथित राष्ट्र निर्माण के नाम पर देश बेचने में लगे प्रधानमंत्री मोदी को छोड़ कर नहीं जाएंगे। पर नेहरूवादी योजना आयोग को ख़त्म कर नीति आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष बने राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया भीतर से निकले नेहरूवादी। बजाय अपनी योग्यता का बायोडेटा लेकर मार्केट में नौकरी खोजने के उन्होंने नौकरी में सुरक्षा को महत्व दिया है।
अपने लिए तो नियम अलग होंगें हीं।
इन गद्दारों और नक़ली देशभक्त से सावधान रहिये जो भारत में आकर ये लाखों शिक्षकों से ठेके पर नौकरी करवाने की वकालत करते हैं और अपने लिए अमेरिका में स्थाई नौकरी बचाने के लिए पत्राचार करते हैं।
निवेदन है की देश को और #साझा_विरासत बचाने वाले हमारे कृतसंकल्प साथी, देश के गद्दारों की बाज़ारवादी नीतियों का विरोध करें।

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