"There is equality only among equals. To equate unequals is to perpetuate inequality." ~ Bindheshwari Prasad Mandal "All epoch-making revolutionary events have been produced not by written but by spoken word."-~ADOLF HITLER.
About Me
- Suraj Yadav
- New Delhi, NCR of Delhi, India
- I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....
Friday, May 18, 2018
नए संघर्ष का आगाज़ : 18 मई, 2018 को लोकतान्त्रिक जनता दल की नई दिल्ली तालकटोरा स्टेडियम में स्थापना। शरद यादव संरक्षक की भूमिका में।
सामाजिक न्याय, लोकतान्त्रिक व्यवस्था, संविधान और साझी विरासत के लिए संघर्षरत क्रांति कार्यकर्ता एक मंच पर नज़र आएंगे। मंच पर जहाँ एक ओर अम्बेडकर मंडल पक्ष के अधिकांश पढ़े लिखे नौजवान समर्थक होंगे जिनका ध्येय आरएसएस और भाजपा के कुशासन और षड्यंत्र से सामाजिक न्याय और संविधान को बचाना है वहीं दूसरी ओर लोहिया-जेपी के आदर्श पथों पर बढने के लिये कृत-संकल्पित सुलझे हुए अनुभवी नए राजनैतिक सोच के साथ देश को एक साथ पिरो कर नरेंद्र मोदी अमित शाह ब्रांड कॉर्पोरेट गुलामी और लोकतांत्रिक मूल्यों के ह्रास का मुक़ाबला करने वाले संघर्षशील नेतागण भी होंगे !
एक लम्बी राजनैतिक पारी खेलने वाले शरद यादव, आज इस मुहीम को आगे ले जाने के खिवैये के रूप में संरक्षक की भूमिका में होंगे। लोकतान्त्रिक जनता दल की स्थापना पर राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री फतेह सिंह अध्यक्ष, महाराष्ट्र की प्रो सुशीला मोराले, राष्ट्रिय महामंत्री एवं गाज़ियाबाद (यूपी) के डा लाल रत्नाकर, कोषाध्यक्ष होंगे।
दरअसल, 17 मई 1934 को में राजनैतिक पथ-प्रदर्शक लोकनायक जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्र देव एवं लोहिया जी के नेतृत्व में समाजवादी कांग्रेस पार्टी की नींव ये सोच कर रखी गई थी कि देश जब आजाद होगा तब हम तमाम तरह की गैरबराबरी को दूर करेंगे, हर हाथ को रोजगार एवं शोषितों-वंचितों को न्याय दिलवायेंगे। प्रारंभ में यह मुहीम सफल भी हुई, परन्तु लोहिया जी के असमय निधन से एक प्रखर मार्गदर्शक छीन गया, जिसका असर इस क्रांति पर भी पड़ा।
आज देश की परिस्थिति विकट है। रोजगार ख़त्म, आरक्षण समाप्त, उच्च शिक्षा बेचा जा रहा है , रेलवे बेचा जा रहा है, दलितों पर हमला, अल्पसंखयकों पर हमला, मौत का तांडव है। दिल्ली विश्वविद्यालय और सभी विश्वविद्यालयों में, रोहित वेमुला से अब तक लोग घुटन महसूस कर रहें हैं। प्रतिदिन लोकतंत्र और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। वर्तमान सरकार जनता से किये करार को पूरा करने के बजाय संवैधानिक संस्थाओं की अस्मिता और अक्षुण्णता को तार-तार करने में तल्लीन है। ऐसी तानाशाही सरकार जो हमारे लोकतंत्र के लिये खतरनाक साबित हो रही है। हम देश की वर्तमान परिस्थितियों से घोर चिंता में हैं।
माहौल अन्याय से भिड़ने का है। रण का है।
अनायास ही शरद यादव जी के यहाँ भीड़ जुट रही है। जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र, प्रोफेसर, जो खास तौर से सामाजिक न्याय के पक्ष के हैं - दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक आदि सब शरद यादव जी से इस अन्याय के विरूद्ध राजनैतिक मुक़ाबला करने के लिए नेतृत्व का निवेदन किये।
मोदी और अमित शाह ने तमाम विपक्षियों पर शिकंजा कस दिया है। अकेले शरद जी हैं जो मोदी के विरुद्ध दहाड़ने का हैसियत रखते हैं।
शरद यादव समझ रहें हैं और उन्होंने दो टुक कहा कि वे मंत्री नहीं बनेंगे। देश की साझी विरासत पर आरएसएस/ भाजपा और मोदी सरकार का हमला का मुक़ाबला के लिए वे तैयार हैं।
इधर, नरेंद्र मोदी की सरकार संसद के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में एक शरद यादव को अपमानित करने और सबक सीखाने में अपनी सारी ताक़त लगा दी है।
कारण - पूरे विपक्ष में अकेले शरद यादव हैं जो मोदी सरकार के कॉर्पोरेट के सेवार्थ जनविरोधी क़दमों और सभी मापदंड को लांघते हुए आम लोगों पर कहर ढा रहे नीतियों के विरोध में चट्टान की तरह खड़े हो गए हैं। दिल्ली से शुरू और फिर देश के अलग अलग जगहों में सांसद अली अनवर के साथ, सभी विपक्षी पार्टियों के सहयोग से #साझी_विरासत_बचाओ मुहीम के तहत की जा रही कार्यकर्मों की शानदार सफलता से घबरा कर मोदी सरकार ने अब अपनी पूरी ताक़त से इसकी खबरों को दबाने लगे हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि जब भी #मोदी_गोदी_मीडिया खबरों को दबाता है, तब सोशल मीडिया उसे फ़ैलाने में काम आता है। खबर छुपाने की कोशिश हुई, लेकिन सन्देश लोगो तक पहुंच गया है।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी राष्ट्रिय राजनीति को नई गहराई तक ले गए हैं और अब धरातल में पहुँचा चुके हैं। उनकी नीति है की विपक्ष के नेता की जो कमजोरी हो, उसी के आधार पर उन्हें ब्लैक मेल करके चुप करा दिया जाय। कांग्रेस नेतृत्व भी ऐसे तत्वों के गिरफ्त में है कि विपक्ष की भूमिका अच्छी तरह निभा नहीं पा रही है। सरकारी रोजगार समाप्त, आरक्षण ख़त्म, प्रायवेट रोजगार का अता पता नहीं, छोटे व्यापारियों का कारोबार ख़त्म, किसान आत्महत्या को मजबूर, विश्वविद्यालयों में सीटें ख़त्म, राजस्थान में सभी सरकारी स्कूल बंद किये गए, सीमा पर शहीद होने वाले जवानों की संख्या में लगातार 400% वृद्धि, दुनिया में जब पेट्रोल का दाम सबसे कम तो, भारत में अम्बानी को भरपूर लूटने के लिए पेट्रोल का दाम रोज बढ़ाते बढ़ाते दुनिया में सबसे अधिक कर दिया गया है, सरकारी कर्मचारी को 1% डीए, रेलवे के 4 लाख नौकरी ख़त्म (और इस वजह से भी रोज रेल हादसे जिसमें हज़ारों लोगों की मौत), अल्पसंख्यकों पर हमला, लिंचिंग, सभी संस्थाओं पर आरएसएस का कब्ज़ा, सिर्फ एक जाति का वर्चस्व आदि आदि के विरुद्ध बोलने वाले कौन? तो शरद यादव।
नतीजा शरद यादव मोदी सरकार की आँख की किरकिरी बन चुके हैं।
इसका बदला लेने के लिए मोदी सरकार, शरद यादव को अपमानित करके, उनपर नित्य नए हमले करना, शुरू कर चुका है।
बता दें कि शरद यादव संसद के वरिष्ठतम सदस्य हैं। वे 1974 में पहली बार लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के समय जबलपुर से संयुक्त विपक्ष की ओर से लड़कर लोक सभा के सदस्य बने। वे सात बार लोक सभा सदस्य चुने गए हैं और 2 बार राज्य सभा के सदस्य चुने गए हैं। तीन बार उन्होंने संसद से इस्तीफा दिया है। शरद यादव को सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरष्कार से भी सम्मानित किया गया है।
लेकिन अमित शाह का निशाना शरद यादव राज्य सभा मेम्बरी समाप्त करने के तरफ है। चुकी चुनाव आयोग से लेकर संसद के दोनों सदन के कार्यालय, देश की न्यायपालिका अभी आरएसएस की कब्जे में है तो यह तिकड़म अमित शाह के लिए आसान है।
सभी कानून को ताक पर रखते हुए, और बिना उनके वरिष्टता का ख्याल रखते हुए, शरद यादव को नोटिस दी गयी है की 7 दिन के भीतर बताएँ की क्यों नहीं उनकी सदयस्ता रद्द की जाए? इधर बिना कोई समय दिए चुनाव आयोग ने फैसला सुना दिया है कि 'तीर' निशान नितीश के पास रहेगा। शरद यादव ने नए सिरे से फिर 'तीर' पर दावा किए हैं।
लोहिया जी ने कहा थाः
"जब सड़कें सुनसान हो जायेगी, तो संसद आवारा हो जायेगी"
आज उनका कथन सत्य होता प्रतीत हो रहा है। इसलिए बतौर दिशा निर्देशक लोकपुरूष श्री शरद यादव ने लोहिया, जेपी, बिरसा, अबुल कलाम और अंबेडकर के सपनों को वर्तमान और भविष्य में संरक्षण के लिये एक आंदोलन का आगाज किया है, जो लोकतांत्रिक जनता दल के बैनर तले आगे बढेगा
कल (18 मई 2018) को इस आंदोलन का मुख्य रूप "लोकतांत्रिक जनता दल" का स्थापना सम्मेलन तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित हो रहा है। राष्ट्र निर्माण के इस महायज्ञ का हिस्सा बनने के लिये हम आप सभी को आमंत्रित करते हैं।
~ डा सूरज मंडल.
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