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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Wednesday, July 18, 2012

सुपरस्टार राजेश खन्ना को आखिरी सलाम....


राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसम्बर 1942 - मृत्यु: 18 जुलाई 2012) एक भारतीय फिल्म जगत के सबसे  पहले सुपरस्टार अभिनेता थे।उन्होंने कई हिन्दी फिल्में भी बनायी और राजनीति में भी कुछ समय के लिये रहे।
उन्होंने कुल 163 फीचर फिल्मों में काम किया, 128 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 106 में उनका मुख्य रोल रहा, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फिल्मों में काम किया। उन्हें तीन वार फिल्म फेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला। अधिकतम चार वार हिन्दी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी उनके नाम रहा।2005 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थेI 1966 में उन्होंने आखिरी खत नामक फिल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की। राज़, बहारों के सपने, आराधना व आनन्द उनकी बेहतरीन फिल्में मानी जाती हैं।
29 दिसम्बर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज, बहारों के सपने, औरत के रूप जैसी कई फिल्में उन्होंने कीं लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली। इसके पश्चात एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में देकर उन्होंने हिन्दी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का तमगा अपने नाम किया।
1971 में राजेश खन्ना ने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी, अन्दाज नामक फिल्मों से अपनी कामयाबी का परचम लहराये रखा। बाद के दिनों में दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम, हमशक्ल जैसी फिल्में भी कामयाब रहीं। 1980 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा। बाद में वे राजनीति में आये और 1991 में वे नई दिल्ली से कांग्रेस की टिकट पर संसद सदस्य चुने गये। 1994 में उन्होंने एक बार फिर खुदाई फिल्म से परदे पर वापसी की कोशिश की। आ अब लौट चलें, क्या दिल ने कहा, जाना, वफा जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया लेकिन इन फिल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली।
जून 2012 में यह सूचना आयी कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं। 23 जून 2012 को उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी जटिल रोगों के उपचार हेतु लीलावती अस्पताल ले जाया गया जहाँ उनका सघन चिकित्सा कक्ष में उपचार चला और वे वहाँ से 8 जुलाई 2012 को डिस्चार्ज हो गये। उस समय वे पूर्ण स्वस्थ हैं ऐसी रिपोर्ट दी गयी थी।14 जुलाई 2012 को उन्हें मुम्बई के लीलावती अस्पताल में पुन: भर्ती कराया गया। उनकी पत्नी डिम्पल ने मीडिया को बतलाया कि उन्हें निम्न रक्तचाप है और वे अत्यधिक कमजोरी महसूस कर रहे हैं।
अन्तत: 18 जुलाई 2012 को यह खबर प्रसारित हुई कि सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे।

यह डायलोग फिल्म 'दाग' से है......
"आप क्या जाने मुझको समझते हैं क्या? मैं तो कुछ भी नहीं,
इस क़दर प्यार  
इतनी बड़ी क़दर भीड़ का मै रखूँगा कहाँ ?
इस क़दर प्यार रखने के काबिल नहीं                  http://youtu.be/SeCgXUetgqo
मेरा दिल मेरी जान
मुझको इतनी मोहब्बत न दो दोस्तों-2 
सोच लो दोस्तों 
इस क़दर प्यार कैसे संभालूँगा  मै?
मै तो कुछ भी नहीं 

प्यार ?
प्यार इक शख्स का अगर मिल सके तो
बड़ी चीज़ है जिंदगी के लिए 
आदमी को मगर ये भी मिलता नहीं 
ये भी मिलता नहीं
मुझको इतनी मोहब्बत मिली आपसे-2
ये मेरा हक नहीं मेरी तकदीर है 
मै ज़माने की नज़रों में कुछ ना था-2
मेरी आँखों में अबतक वो तस्वीर है 
इस मोहब्बत के बदले मै क्या नज़र दूँ ?
मै तो कुछ भी नहीं 

इज्ज़ते 
शोहरते 
चाहते 
उल्फ़ते 
कोई भी चीज़ दुनिया में रहती नहीं 
आज मै हूँ जहां कल कोई और था -2
ये भी इक दौर है वो भी इक दौर था 

आज इतनी मोहब्बत ना दो दोस्तों -2
की मेरे कल की खातिर ना कुछ भी रहे 
आज का प्यार थोडा बचा कर रखो -2
मेरे कल के लिए 
कल?
कल जो गुमनाम है 
कल जो सुनसान है 
कल जो अनजान है 
कल जो वीरान है 
मै तो कुछ भी नहीं हूँ 
मै तो कुछ भी नहीं "


राजेश खन्ना के famous dialogues...
कब, कौन, कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता है (आनंद)
बबुमोशाई, ज़िन्दगी और मौत उपरवाले के हाथ है. उसे ना आप बदल सकते हैं, ना मैं (आनंद)
यह भी तो नहीं कह सकता, की मेरी उम्र तुझे लग जाये! (आनंद)
मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता. (सफ़र)
यह तो  मैं ही जानता हूँ की ज़िन्दगी के आखरी मोड़ पर कितना अँधेरा है (सफ़र)
किसी बड़ी ख़ुशी के इंतज़ार में ... हम यह छोटे छोटे खुशियों के मौके खो देते हैं. (बावर्ची).
यह लो, फिर तुम्हारी आँखों मैं पानी! मैंने तुमसे कितनी बार कहा है की, पुष्पा मुझसे ये आंसू देखे नहीं जाते. I hate tears. (अमर प्रेम)
इस एक ग्लास में एक मजदूर की एक महीने की रोटी है और परिवार की सांस. कभी सोचा है की इस एक ग्लास को पीते ही हम एक परिवार को भूखा मार देते हैं. (नमक हराम).

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