तो पी. चिदंबरम को पुनः वित्त मंत्री बनाया गया है. या तो कांग्रेस में talent की कमी है, अथवा सिर्फ tainted ही बचे है.
ये तमाशा देख कर हम आईना-बेज़ार हैं ,
ये तमाशा देख कर हम आईना-बेज़ार हैं ,
जिनके चेहरे ही नहीं वो आईना-बरदार हैं.
ऐ मेरी जम्हूरियत! तेरी कहानी है अजीब,
काबिल-ए-नफरत हैं जो, वो साहब-ए-किरदार हैं.
देखने वाली बात यह होगी की 2 जी में चिदंबरम की भूमिका के बारे में सुब्रमनियम स्वामी की सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिका में अगर प्रथम दृष्टया सही पाती है और कार्यवाई की आदेश देती है तो अगला वित्त मंत्री कौन होंगें?
पी.चिदंबरम पर अन्य आरोप- १) एयरसेल-मक्सिस सौदा विवाद, जिसमें उनके बेटे कार्तिक चिदंबरम पर आरोप है.
२)काला धन- चिदंबरम पर विदेशों में काला धन संचय करने के आरोप लगे है, जिसपर उसने कोई सफाई नहीं दी है.
३)एनरोन का वकालत- दिवालिया अमरीकी कंपनी एनरोन का वकील थे.
४) १० जुलाई १९९२ को भारत सरकार के वाणिज्य राज्यमंत्री पद से फेयरग्रोथ कंपनी, जो प्रतिभूति घोटाले में शामिल थी, में निवेश करने पर इस्तीफा दिया.
५) वित्तमंत्री रहते उनके स्वैच्छिक आय प्रकटीकरण योजना या Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना की निंदा करते हुए इसे वास्तविक करदाताओं के लिए अपमानजनक और धोखाधडी बताया.
६) महंगाई के अनेक कारण हैं. उनमें एक है पी. चिदंबरम की देन - पी नोट्स, जो पूरी दुनिया में सिर्फ भारत में लागू है - जिसका अर्थ है की विदेशों में जमा काले धन वाले बिना अपनी जानकारी दिए,सेबी के विरोध के बावजूद, शेयर बाज़ार में निवेश कर सकते हैं, और इसमें मॉरिशस को टैक्स में विशेष छूट है, नतीजा बेनामी निवेशक जम कर पैसा लगा रहे हैं, चीजें कम और रुपये अधिक, दाम बढ़ेंगे नही तो और क्या होगा? उधर तमाम विदेशी कम्पनी मॉरिशस में एक कमरा लेकर उसी पते से शेयर बाज़ार में पूंजी लगा रहे हैं, और टैक्स देने से भी बच रहे हैं! जय हो धोती-लुंगी वाले की.
७) अगस्त २००६ में राष्ट्रपति ऐ.पी. जे.अब्दुल कलाम ने इस बात के जांच के आदेश दिए थे की प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी.चिदंबरम चुनाव के वक़्त राजीव गाँधी foundation में लाभ के पद पर थे. आज तक चुनाव आयोग जाँच कर ही रहा है.
८) २००९ के लोक सभा चुनाव में अन्नादृमक के प्रत्याशी के विर्रुध चंद वोटों से जीत पर शिवगंगा लोक सभा क्षेत्र के चुनाव अधिकारी पर बेईमानी से जितने का आरोप सहित कई विवाद उठा.
९) हाल में ही रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के समर्थकों पर बीच रात में सोते हुए लोगों पर लाठी बरसवाने जैसे कायरतापूर्ण कार्यवाई और अन्ना हजारे की गिरफ़्तारी जैसे राजनैतिक भूल का श्रेय भी इन्ही महाशय का था.
ऐसी स्थिति में पी.चिदंबरम को मंत्री बनाना प्रतिभा की पहचान या एक दागी का सम्मान है- यह आप ही तय करें.
चिदंबरम और काला धन-यह कोई संयोग नहीं की चिदंबरम जब-जब वित्त मंत्री बने हैं, इन्हें काले धन को सफ़ेद बनाने की सबसे अधिक चिंता रही है, और इस मामले में ये NDA के समय के वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को भी कई मील पीछे छोड़ दिए हैं। समाचार है की संसद के आगामी बजट सत्र में वित्तमंत्री पी. चिंदबरम लगातार बढ़ते कालेधन की निकासी के लिए योजना का ऐलान कर सकते हैं। ऐसा इन्होने पहले भी किया है। उन्होंने P नोट्स नमक एक इंतज़ाम किया/योजना लायी जिसके अनुसार भ्रष्ट नेता, अफसर और उद्योगपति विदेशों में जमा काले धन को बिना अपनी पहचान ज़ाहिर किये और बिना कोई टैक्स दिए, सरकार से मामूली हिसाब कर, उसे शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं, और फर्जी कंपनी बना कर (ऐसे हजारों हैं), मोरिसिअस के रास्ते भारत ला सकते हैं। उनका तर्क यह रहता है की कम से कम काला धन वापस आ रह है, लेकिन परिणाम होता है चक्रवृति महंगाई। देश में बिना कोई प्रत्यक्ष कारण प्रॉपर्टी और सोना का दाम आसमान क्यों छू रहा है, यह आप समझ रहें होंगे। 10 करोड़ की गाड़ियाँ धरल्ले से क्यों बिक रही हैं, इसका भी अंदाज़ा आपको लग गया होगा। और, सोनिया-मनमोहन की यू पी ए सरकार एवं लुंगीवाले चिदंबरम के सौजन्य से इन्हें कोई टैक्स भी देना नहीं पड़ता। टैक्स देना तो सिर्फ नौकरीपेशा और कुछ व्यापारियों का कर्तव्य बन कर रह गया है।
ReplyDeleteइसके पहले चिदंबरम पर विदेशों में काला धन संचय करने के आरोप लगे है, जिसपर उसने कोई सफाई नहीं दी है। हालाँकि १० जुलाई १९९२ को भारत सरकार के वाणिज्य राज्यमंत्री पद से फेयरग्रोथ कंपनी, जो प्रतिभूति घोटाले में शामिल थी, में निवेश करने पर इस्तीफा दिया था। वित्तमंत्री रहते उनके स्वैच्छिक आय प्रकटीकरण योजना या Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना की निंदा करते हुए इसे वास्तविक करदाताओं के लिए अपमानजनक और धोखाधडी बता चुकी है। लेकिन जय बोलो बेइमान की।