संघ लोक सेवा आयोग, सिविल सेवा परीक्षा में बारबार परिवर्तन कर ग्रामीण और पिछड़े प्रतियोगियों के लिए बाधाएं उत्पन्न कर रहा है। सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में 2011 से बदलाव किए जा चुके हैं। इसमें वैकल्पिक विषयों को खत्म किया जा चुका है। इस वर्ष भी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं क्योंकि तय समय पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने इसका विज्ञापन नहीं निकाला है। इसलिए यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस बार मुख्य परीक्षा में बदलाव का ऐलान हो सकता है।
ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के प्रतियोगियों को परीक्षा का पैटर्न समझने में ही समय (उनका उम्र) निकल जाता है। जब तक वे परीक्षा के कायदे और बर्रेकियों को समझते हैं तब तक संघ लोक सेवा आयोग 'प्रतियोगिता के नियमों' को ही बदल देता है।(They change the rules of the game). इससे कम से कम ग्रामीण क्षेत्र के उम्मीदवारों का चयन हो पता है।
मौजूदा 26 वैकल्पिक विषयों को हटाकर सिर्फ दो प्रश्न पत्र रखे जाएं। ये दोनों प्रश्न पत्र कॉमन और वस्तुनिष्ठ होने चाहिए। पहला प्रश्न पत्र सामान्य अध्ययन एवं दूसरा उपरोक्त 26 विषयों का कॉमन प्रश्न पत्र होगा। इसके अलावा भाषा के प्रश्न पत्रों को पूर्ववत रखे जाने की संभावना है।
इसके पहले कांग्रेस नीत सोनिया-मनमोहन की यू पी सरकार शिक्षा का बाजारीकरण, आई आई टी और आई आई एम् के फीस व्यवश्ता में भीषण बढ़ोतरी कर यह सन्देश दिया है की शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा, गरीबों के लिए नहीं है। औब यह भी तय किया जा रहा है की कलक्टर , एस पी और इनकम टैक्स अफसर होना भी गरीबों के बूते नहीं रहे।
दूसरी ओर चुकी पिछड़े क्षेत्रों के अधिक प्रतियोगी अरक्षित वर्ग के होते हैं, इसलिए सामान्य श्रेणी में वे नहीं आ पाते हैं। नियमतः सभी प्रतियोगी पहले 50% सीटों के लिए चयनित हो सकते हैं, लेकिन उसके बाद वे आरक्षण के आधार पर ही आ सकते हैं। आरक्षित वर्गों के साथ भेदभाव साक्षात्कार के नियमों में भी हो रहा है। नियमों के विरुद्ध अरक्षित वर्गों का साक्षात्कार दोपहर बाद अलग से लिया जा रहा है। गौरतलब है की सिविल सेवा से देश के सर्वोच्च पदों के लिए नौकरशाह चयनित होते हैं, और अगर फेक्टरी में ही खराबी हो तो उत्पाद अच्छा कैसे मिलेगा?
2011 के सिविल सेवा परीक्षा में 25 शीर्ष उम्मीदवारों में 13 दिल्ली से परीक्षा दिए थे, 2 से 3 जयपुर, मुंबई और चंडीगढ़ से, और 1 -1 हैदराबाद, चेन्नई, दिसपुर, पटना और जम्मू केन्द्रों से। इनमें से अधिकांश IIT, IIM और यहाँ तक की लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के पूर्व छात्र थे।
और संघ लोक सेवा आयोग की
संरचना देखा जाय - डा डी पी अग्रवाल (अध्यक्ष), प्रो पुरषोत्तम अग्रवाल ( आरक्षण विरोध के कारण ही कांग्रेस द्वारा मनोनीत), प्रशान्त कुमार मिश्र, डा वेंकटरामी रेड्डी, रजनी राजदान, डा के के पॉल, विजय सिंह (पूर्व आईएस), मनबीर सिंह (पूर्व आई ऍफ़ एस), अलका सिरोही, आई एम् जी खान, डेविड र सिएम्लिएह। इन सदस्यों में अन्य पिछड़े वर्ग से एक भी सदस्य नहीं है, और न ही शायद दलित समुदाय से। तो इस फेक्टरी से कैसा समान निकलेगा, यह समझा जा सकता है। और इनके नीतियों से हमारी आशंकाओं को और बल मिलता है।
बदल गया सिविल सेवा परीक्षा का पैटर्न
ReplyDeleteनई दिल्ली, हिन्दुस्तान टीम:
संघ लोक सेवा आयोग की ओर से हर साल आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न में इस साल से बदलाव किया गया है। नए बदलावों के मुताबिक अब मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषयों विषयों के दो ही प्रश्न पत्र ही होंगे जो कुल 500 अंकों के होंगे।
संघ लोक सेवा आयोग ने नए बदलावों के साथ मंगलवार को अधिसूचना जारी कर 2013 के परीक्षा कार्यक्रमों की घोषणा कर दी है। 26 मई को प्रारंभिक परीक्षा होगी। 4 अप्रैल 2013 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यूपीएससी की नई परीक्षा प्रणाली में मुख्य परीक्षा हालांकि 1800 अंकों की ही होगी। नई व्यवस्था में अब समान्य अध्ययन के पेपर 600 अंकों की जगह 1000 अंकों के होंगे।
100 अंकों का अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंसन सारांश लेखन का पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि इसका स्तर 10वीं के बराबर का रखा गया है। लेकिन ये अंग्रेजी ज्ञान की अनिवार्यता दर्शाता है। यूपीएससी पोर्टल डॉट कॉम के अजय अनुराग के मुताबिक समान्य अध्ययन के हिस्से में वैश्विक जरूरतों के हिसाब से नए संदर्भ जोड़े गए हैं। 250 अंकों का नैतिकता, अंखडता और अभियोग्यता जैसे नए संदर्भ जोड़े गए हैं जिसके सिलेबस छात्रों को समझना होगा।
संघ लोक सेवा आयोग की ओर से हर साल आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न में इस साल से बदलाव किया गया है। 100 अंकों का अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंसन सारांश लेखन का पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। इससे अंग्रेजी माध्यम के प्रतियोगियों को फायदा मिलेगा और हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषा के उम्मीदवार घाटे में रहेंगे।
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