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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Saturday, November 9, 2013

मंडल कमीशन:


दरअसल कई साथी यह जानना चाहेंगे कि मंडल कमीशन क्या है?

देश की आज़ादी के बाद समाज के सबसे कमजोर तपके, जिन्हें अनुसूचित जाति और जनजाति कहा गया, के बारे में यह मानते हुए कि यह वर्ग समाज में वर्षों से कई बाधाओं और विकृतियों से जूझ रहा है और उनके उत्थान के लिए विशेष अवसरों कि आवश्यकता होगी, उन्हें आरक्षण और विशेष अवसरों का प्रावधान किया गया। लेकिन इसके पीछे एक इतिहास थी और यह इतना आसान भी नहीं था क्योंकि आज़ादी के संघर्ष के दौरान दलित नेता डा बी आर आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए समझौतों के कारण, खास तौर से हिन्दू समाज को एक रखने के लिए संविधान में यह आया।

परन्तु यह भी बात उठी कि इन वर्गों के अलावे कई और सामाजिक तपके हैं, जिन्हें भी विशेष अवसरों कि आवश्यकता होगी। सामाजिक और शैक्षणिक रूप से इन पिछड़े वर्गों का पता लगाने के लिए संविधान के धारा 340 के अनुसार एक आयोग बनाने का प्रावधान किया गया, जिसे पिछड़ा वर्ग आयोग कहा जाना था।

पंडित नेहरू पर इस बात का दबाब बढ़ने पर 29 जनवरी, 1953 को काका कालेलकर की अध्यक्षता में पहले पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया जिसने 30 मार्च 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।इस रिपोर्ट के अनुसार 2,399 जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया, जिनमें 837 जातियों को अति-पिछड़ा घोषित किया गया। लेकिन इस आयोग के रिपोर्ट कि सबसे दिलचस्प पहलु यह थी कि आयोग के अध्यक्ष ने रिपोर्ट के साथ माननीय राष्ट्रपति को दिए गए अपने पत्र में अपनी ही रिपोर्ट को ख़ारिज कर दी।

इसी पत्र के आधार पर वर्षों तक पिछड़े वर्ग के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। 1977 के लोक सभा चुनाव में नवगठित जनता पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में पिछड़े वर्ग के लिए विशेष उपाय पूरे संजीदगी से उठाया गया और उस चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस को पहली और करारी हार दी।

जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री बी पी मंडल भी थे जो बिहार में जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी थे।(उन्होंने ने ही लालू प्रसाद को उस चुनाओ में टिकट दी थी)। बी पी मंडल मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र से शानदार विजय प्राप्त किये और इस बात का कयास लगाया जा रहा था की जनता पार्टी कि पहली गैर-कांग्रेसी केंद की सरकार उन्हें कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय दी जायेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इसी बीच पैर टूटने के इलाज़ के दौरान मंडल जी बम्बई के जसलोक अस्पताल में भरती थे, जहाँ उनसे मिलने प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई पहुंचे। मोरारजी भाई ने बी पी मंडल से कहा की मैंने आपको मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया क्योंकि आपको एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना चाहता हूँ। मंत्री तो कई लोग बनते हैं लेकिन यह जिम्मेदारो इतना विशेष है की मरने के बाद भी लोग आपको याद करेंगे।

राष्ट्रपति ने 1 जनवरी, 1979 को पिछड़ा वर्ग आयोग कि गठन कि अधिसूचना जारी की जिसके अध्यक्ष बिहार के पूर्व मुख्य-मंत्री बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल (बी पी मंडल) को बनाया गया। उन्हीं के नाम पर इस आय़ोग को मंडल आयोग के नाम से जाना गया। बी पी मंडल ने 31 दिसंबर,1980 को नई दिल्ली के विज्ञानं भवन में राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह को रिपोर्ट सौंप दी।

मंडल कमीशन रिपोर्ट तो पूरे विज्ञानिक आधार के बनायी गयी की वर्षों बाद सर्वोच्च न्यायलय के सम्पूर्ण बेंच द्वारा भी इसमें किसी तरह कि कमी नहीं निकाली जा सकी। रिपोर्ट में 1931 में हुए आखिरी जाति आधारित जनगणना के अनुसार भारत के 52% जनसंख्या जिसमें 3,743 अलग अलग जातियों को समाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा या ‘backward’ घोषित किया गया। परन्तु चुकी पहले से अनुसूचित जाति/जनजाति को 22.5% आरक्षण प्राप्त था अतः कई अन्य अनुशंसाओं के साथ साथ उनके लिए 27% आरक्षण का प्रावधान करने के लिए कहा गया, जिसे जोड़ने के बाद आरक्षण का कुल प्रतिशत 49.5 होता था जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय सीलिंग 50% से कम था।

स्व बी पी मंडल की मृत्यु रिपोर्ट सौंपने के लगभग एक वर्ष बाद 13 अप्रैल, 1982 को हो गयी। इस तरह कांग्रेस के सरकार में रिपोर्ट को ढंडे बस्ते में डाल दिया गया।
1989 का लोकसभा चुनाव पूर्ण हुआ। कांग्रेस को भारी क्षति उठानी पड़ी। उसे मात्र 197 सीटें ही प्राप्त हुईं। विश्वनाथ प्रताप सिंह के राष्ट्रीय मोर्चे को 146 सीटें मिलीं। भाजपा के 86 सांसद थे और वामदलों के पास 52 सांसद के समर्थन से राष्ट्रीय मोर्चे को 248 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो गया और वी. पी.सिंह प्रधानमंत्री बने। दिसंबर 1980 से ठन्डे बस्ते में पड़ी मंडल आयोग के रिपोर्ट को 9 अगस्त, 1990 को आंशिक रूप से लागू कर इस देश के 52% से भी अधिक पिछड़े वर्ग को केंद्र सरकार की नौकरियों में 27% आरक्षण देकर समाजिक न्याय दिलाने का प्रयास किया, जिससे तमाम उच्च जातियां उनकी 'दुश्मन' बन बैठे, की उनकी मृत्यु पर भी उन्हें मिलने वाले सम्मान से वंचित किया गया।

और उधर 1991 में मंडल कमीशन का भीषण विरोध शुरू हो गया। परन्तु देश का बड़ा मौन प्रतिशत में भी इसकी प्रतिक्रिया हो रही थी और बिहार में लालू प्रसाद एवं उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव इसी मंडल आंदोलन के कारन मुख्य मंत्री बने और बने रहे। अतः वास्तव में मंडल कमीशन की सिफारिशों से भारतीय राजनीति और समाज में भूचाल आया।



आज भारतीय राजनीति में पिछड़े वर्ग की पहचान भी मंडल कमीशन से जुडी हुई है। यहाँ तक की राजनैतिक और ऐतिहासिक तौर पर आज़ाद भारत को मंडल पूर्व और मंडल पश्चात जाना जाने लगा है।

1 comment:

  1. सभी लोगो से निवेदन हैं कि सफलता और कामयाबी के लिए कृपया इस मंत्र को पढ़े और अपने जीवन में फर्क देखे ||

    वेदमाता (वैदिक गायत्री मंत्र )

    ॐ स्तुता मया वरदा वेदमाता प्र चोदयन्तां पावमानी दिजानाम |
    आयुः प्राणं प्रजां पशुं कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम |
    मह्यं दत्त्वा व्रजत ब्रह्मलोकम || (अथर्व वेद :१९.७१.१ , देवता -गायत्री )

    अर्थ : स्तुति करते हम वेद ज्ञान की ,
    जो माता हैं प्रेरक -पालक ,
    पावन करती मनुज मात्र को |
    आयु बल , सन्तति , पशु कीर्ति ,
    धन, मेधा , विधा का दान |
    सब कुछ देकर हमें दिया हैं ,
    मोक्ष मार्ग का पावन ज्ञान ||

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