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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Saturday, November 16, 2013

कांग्रेस लीला के शिकार लालू प्रसाद: (Laloo Prasad)


सियासी ज़िन्दगी में हाल के दिनों में रोज़ कांग्रेस-सोनिया का नाम जपने वाले लालू प्रसाद को सी बी आई कोर्ट ने सजा सुनायी और उन्हें राहत देने वाले अध्यादेश को राहुल बाबा ने नॉनसेंस कह कर उसकी हवा निकल दी। इधर कांग्रेस जद(यू) से ताल-मेल की बात का खंडन नहीं किया। इस बेवफाई के बावजूद रा ज द का कांग्रेस-प्रेम बरक़रार रहा।

इधर हुंकार रैली में जैसे ही नरेंद्र मोदी ने यदुवंशियों से उन्हें समर्थन देने की अपील की,कांग्रेस कि नींद उड़ गयी। राजनैतिक जोड़-घटाओ करते हुए उन्हें नज़र आया कि अगर यादवों का एक अंश भी नरेंद्र मोदी के साथ हो जाता है तो बिहार में चुनाव नतीजों को भा ज पा के पक्ष में एक तरफ़ा माना जा सकता है।

तब उन्हें लगा कि बिना लालू प्रसाद को जेल से बाहर निकले और रा ज द से ताल-मेल किये , बात नहीं बनेगी।

इसके लिए माहौल बनाने का भार कांग्रेस नीत पत्रिका तहलका को सौंपा गया जिसमें इसके संवाददाता अजित शाही लिखते हैं:
चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सजा दिए जाने का कोई विशेष आधार नहीं है और फैसला अस्पष्ट, हलके और विकृत सबूत पर आधारित है।

निचले अदालत से सजायाफ्ता आजीवन कारावास पाये हुए पप्पू यादव उच्च न्यायलय से बाइज्जत बरी हुए हैं। तो क्या लालू प्रसाद को बचाना कांग्रेस के लिए बड़ी बात थी?



पहले फंसाओ और फिर बचा कर अहसान के बोझ तले दबा कर काम निकालो, कांग्रेस की निति रही है। लालू प्रसाद यह समझे कि नहीं, उनके समर्थक तो ज़रूर समझ रहें होंगे।

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