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I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, September 14, 2014

ब्लू जींस : (Blue Jeans -Hindi)



जर्मनी के बेवेरिया में जन्मे लेवी स्ट्रॉस 18 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ 1847 में अमेरिका गए थे। स्ट्रॉस के दो भाइयों का न्यूयॉर्क में कपड़े का बिजनेस था। लेवी ने एक साल इनसे काम सीखा। फिर रिश्तेदारों के पास केन्टुकी गए। यहां उन्होंने तीन साल तक फेरी लगाकर कपड़े बेचे। इसी दौरान उन्होंने अपना स्टोर खोलने का मन बनाया। सेन फ्रांसिसको आकर बहनोई डेविड स्टर्न के साथ मिलकर स्टोर खोला, जिसे लेवी स्ट्रॉस एंड कंपनी नाम दिया।

लेवी जर्मनी से साथ लाए मोटा कपड़ा खदान मजदूरों को बेचने लगे। रफ एंड टफ होने के कारण मजदूर इसका पैंट सिलवाते थे। मांग ज्यादा होने के कारण जल्द ही कपड़े का स्टॉक खत्म हो गया। लेवी ने इसका विकल्प ढूंढ़ लिया। वे फ्रांस के शहर नाइम्स से मोटा डेनिम फेब्रिक मंगवाने लगे, जिसे नीला करने के लिए नील से डाई करवाते थे। मजदूरों ने इसे भी हाथों हाथ लिया। अगले 13 वर्षों में लेवी का बिजनेस तीन गुना बढ़ गया।

1872 में लेवी को नेवादा के टेलर जैकब डेविस का पत्र मिला, जिसने लेवी को ऑफर दिया कि अगर वे उसकी नई तकनीक के पेटेंट की फीस भर दें तो वह इससे होने वाली कमाई का आधा हिस्सा उन्हें देगा। कभी लेवी की दुकान से कपड़े खरीदने वाले जैकब ने पैंट में धातु के हुक (रिबिट) लगाने का तरीका ढूंढ़ा था। लेवी और उसके बहनोई को ऑफर अच्छा लगा। इस स्टाइल का पेटेंट कराकर 20 मई 1873 को लेवी ने अपने घर में ही कारखाना खोला और पहली ब्लू जींस बनाई। हालांकि तब मजदूर इसे ‘ओवरऑल' कहते थे। इस साल मंदी होने के बावजूद उनका नया बिजनेस प्रभावित नहीं हुआ। काम बढ़ा तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री भी स्थापित कर दी। इसी दौरान जनवरी 1874 में स्टर्न की मौत हो गई।

1886 में लेवी ने पहली बार जींस की वेस्ट पर लेदर टैग लगाया। इस पर जींस को विपरीत दिशा में खींचते दो घोड़ों की फोटो के साथ 501 नंबर प्रिंट था। उम्र बढ़ने पर लेवी ने बिजनेस अपने भतीजों जेकब और लुईस स्टर्न को सौंप दिया और सामाजिक कार्यों से जुड़ गए। 1902 में लेवी के निधन के चार साल बाद भूकंप व आग से बैट्री स्ट्रीट पर कंपनी का मुख्यालय और फैक्ट्री पूरी तरह नष्ट हो गए। कंपनी दोबारा खड़ी की गई। इस मुसीबत के बाद मंदी ने उनके बिजनेस को और नुकसान पहुंचाया। इससे निपटने के लिए 1912 में कंपनी ने अपना पहला इनोवेटिव प्रोडक्ट बच्चों का प्लेसूट बाजार में उतारा। इसकी सेल से कंपनी कुछ संभली।



1950 के दशक में मजदूरों की देखा देखी हिप्पीज़ और युवाओं ने भी डेनिम पहनना चालू किया। रिंकल फ्री और फिक्स साइज इनके बीच ज्यादा पॉपुलर हुए। 1960 में इसे जींस नाम मिला। 1964 तक दो प्लांट वाली लेवी स्ट्रॉस के 80 के दशक में 50 प्लांट हो गए थे। 35 से ज्यादा देशों में उसके ऑफिस काम करने लगे थे। 1991 में अमेरिका के कोलंबस ओहियो में पहला स्टेार खोला। इसके बाद जॉर्ज पी सिंपकिंस के नेतृत्व में कंपनी ने अमेरिका के बाहर 23 प्लांट खोले। साथ ही डॉकर्स, डेनिजिन, सिगनेचर और लेवाइस जैसे कई ब्रांड बाजार में उतारे। जींस मार्केट में दुनिया के टॉप बैंड लेवाइस के भारत सहित 110 देशों में स्टोर हैं। हाल में लेवाइस ने खादी ब्रैंड पेश किया है। जिन लेवी स्ट्रॉस ने दुनिया को जींस दी, उन्होंने खुद इसे कभी नहीं पहना।

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