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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, July 5, 2015

Vyapam : कब तक चलेगी इन मौतें का सिलसिला: कब तक हम देखते रहेंगे भ्रष्टाचार की नंगी नाच?

अब इन मौतों का फैसला STF से नहीं हो पायेगा, अदालतें तो कब की फेल हो चुकी हैं, कानून के आँख ही नहीं हाथ भी बंधे हुए हैं, और भगवान पर हम यह अन्याय छोड़ नहीं सकते हैं।
करना तो कुछ हमें ही पड़ेगा, देश की जनता को ही करना पड़ेगा वरना कई मेधावी छात्रों और आवेदकों के भविष्य की जान लेने वाली व्यापम घोटाला और भी जान लेता रहेगा।
मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले को कवर करने दिल्ली से गए पत्रकार अक्षय सिंह इस घोटाले में संदिग्ध परिस्थितियों में मारे गए लोगों के परिजनों का साक्षात्कार कर रहे थे। उसी दौरान उन्होंने बेचैनी की शिकायत की, और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे गुजरात के दाहोद में अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हो गई। 2013 में प्रकाश में आने के बाद व्यापमं घोटाले से जुड़े राज्यपाल राम नरेश यादव के पुत्र शैलेश यादव सहित अब तक 38 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। इधर आज यानि 5 जुलाई को व्यापम घोटाले की जांच से जुड़े मेडिकल कॉलेज के डीन डा अरुण शर्मा का शव होटल में मिला है।
व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश में नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों से जुड़े एक बड़े पैमाने पर प्रवेश और भर्ती घोटाला है जिसकी जांच में कुछ निकले की नहीं, उससे जुड़े सवाल पूछने वालों की भी मौतें होती रही हैं।
आज मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया की उन्होंने ने व्यापाम की जाँच करवाने का आदेश दिया। पर उन्हें कौन समझाएं की व्यापम घोटाले से जुड़े सभी मौतों के वे ही सीधे तौर से जिम्मेदार हैं। या फिर वे ही बताएं की इन मौतों के जिम्मेदार कौन है ?
व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश में नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों से जुड़े एक बड़े पैमाने पर प्रवेश और भर्ती घोटाला है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने 300 से अधिक अपात्र और अयोग्य उम्मीदवारों में कामयाब रहे और उनके मेरिट लिस्ट में आने कि रिपोर्ट के बाद कुछ छात्रों के माता-पिता द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) निम्न मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (MPPEB) और भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को नोटिस भेजा। प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में अनियमितताओं और कुटिल सौदों की शिकायतें कई अधिकारियों और नेताओं से जुड़े 2009 के बाद से सरफेसिंग रहे थे, लेकिन वर्ष 2013 में, एक प्रमुख घोटाले का पता लगाया गया था। प्रतिरूपण रैकेट डॉ जगदीश सागर के सरगना को गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में कई अन्य प्रभावशाली लोगों में पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, MPPEB के परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, MPPEB की प्रणाली विश्लेषकों नितिन महेंद्र और अजय सेन और राज्य पीएमटी की परीक्षा प्रभारी सी.के.मिश्रा सहित कई प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस घोटाले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इसमें साठगांठ कर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर भर्तियां की गई। इस घोटाले के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार कर रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी गईं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा इस घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं और केंद्रीय मंत्री और भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती का नाम भी इस घोटाले में सामने आ रहा है। इस पूरे घोटाले में 100 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है। कांग्रेस तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के इस घोटाले में शामिल होने के आरोप लगा रही है।
मध्यप्रदेश में जब लक्ष्मीकांत शर्मा शिक्षा मंत्री थे तो उनके व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम आ गया। शर्मा ने ओपी शुक्ला को अपना ओएसडी तैनात किया जबकि उनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज थी। शर्मा के कहने पर शिक्षा विभाग में तैनात पंकज त्रिवेदी को व्यापम का कंट्रोलर बना दिया गया।
त्रिवेदी ने अपने करीबी नितिन महिंद्रा को व्यापम के ऑनलाइन विभाग का हेड यानी सिस्टम एनालिस्ट बनाया। मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के एडमिशन का सीधा जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्रालय के पास था। सरकारी नौकरियों में भर्ती की परीक्षाएं भी इसी विभाग के जरिए करवाई जाती थीं। यह भी आरोप हैं लक्ष्मीकांत शर्मा ने सत्ताबल का प्रयोग करते हुए दूसरी भर्तियों में भी दखल दिया।
इस घोटाले की जांच के दौरान छापेमारी में इंदौर के जगदीश सागर का नाम आया। 7 जुलाई, 2013 को इंदौर में पीएमटी की प्रवेश परीक्षा में कुछ छात्र फर्जी नाम पर परीक्षा देते पकड़े गए। छात्रों से पूछताछ के दौरान डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया। सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया।

ग्वालियर का रहने वाला जगदीश सागर पैसे लेकर फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की भर्ती करवाता था। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में धांधली कर जगदीश सागर ने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली थी। जगदीश सागर के यहां छापेमारी के दौरान गद्दों के भीतर 13 लाख की नकदी, कई प्रॉपर्टी और करीब 4 किलो सोने के गहने मिले थे।
जगदीश सागर से एसटीएफ की पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह इतना बड़ा नेटवर्क है जिसमें मंत्री से लेकर अधिकारी और दलालों का पूरा गिरोह काम कर रहा है। जांच और पूछताछ में यह सामने आया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम का ऑफिस इस काले धंधे का अहम अड्डा था।
जगदीश सागर से खुलासे में पता चला कि परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख, फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख और सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपए लेकर फर्जी तरीके से नौकरियां दी जा रही थीं। सागर भी मोटी रकम लेकर फर्जी तरीके से बड़े मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को एडमिशन दिलवा रहा था। जगदीश सागर की गवाही इस पूरे घोटाले में अहम साबित हुई।
इस पूरे मामले में फर्जी तरीके से एडमिशन लेने वाले छात्रों के साथ ही मंत्री से लेकर अधिकारियों तक, प्रिंसिपल, दलाल आदि की एक के बाद गिरफ्तारियां हो रही हैं।

इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री का पूर्व एसओडी भी जांच के घेरे में है। पीएमटी घोटाले में अरविन्दो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भण्डारी और व्यापम के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी की गिरफ्तारियां हुईं। पूर्व मंत्री ओपी शुक्ला को घोटाले के पैसों के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इस घोटाले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं के शामिल होने की भी खबरें हैं।
पत्रकार अक्षय सिंह की दुखद मृत्यु पर मेरी गहरी संवेदना और दुखः।
डीन डा अरुण शर्मा का शव दिल्ली के एक होटल में मिला है। वे व्यापम घोटाले से जुड़ी जांच में शामिल थे। वे उस जांच टीम के प्रमुख थे जो मेडिकल प्रवेश परीक्षा में धांधली की जांच कर रही है। उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त कर रहा हूँ। साथ ही बताना चाहूँगा की व्यापम से जुडी और कितनी जानें गईं हैं।


अब तक 40 -
व्यापम की मौतें :
1. शैलेश यादव - राज्यपाल राम नरेश यादव के पुत्र थे और व्यापम घोटाले में आरोपी हुए। मार्च 2015 में लखनऊ में राज्यपाल आवास पर मृत पाए गए। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 50 साल की उम्र में परिवार के सदस्यों को मधुमेह था वह दावा किया था कि और मस्तिष्क रक्तस्त्राव की मृत्यु हो गई। समय नहीं बताया गया। हालांकि, एक टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के कारण उन्होंने विषाक्तता के निधन का उल्लेख है। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण पता नहीं चल सका है।
2. विजय सिंह - एक और आरोपी सिंह अप्रैल 2015 में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एक लॉज में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया।
3. नम्रता डामोर - एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर की छात्रा थी और 7 जनवरी, 2012 को वह कॉलेज के छात्रावास से रहस्यमय तरीके से लापता होने सूचना मिली थी और एक सप्ताह के बाद पर उज्जैन में कयता गांव में रेलवे पटरियों के पास उसे मृत पाया गया था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुचित साधनों का उपयोग कर पी एम टी -2010 में दाखिला के संदिग्धों की सूची में उनका नाम था।
4. डॉ डीके साकल्ले - जबलपुर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन थे और MPPEB घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए बर्खास्त कर दिए गए है छात्रों के दबाव से बचने के लिए एक 30 दिन की चिकित्सा अवकाश के दौरान खुद को आग लगा लेने से जलने से जुलाई 2014 में मृत्यु हो गई। (आज, 5 जुलाई 2015 को उनके बाद बने मेडिकल कॉलेज के डीन डा अरुण शर्मा का शव दिल्ली में एक होटल में मिला।
5. रामेंद्र सिंह भदौरिया - जनवरी 2015 को पंजीकृत एक प्राथमिकी के अनुसार इस 30 वर्षीय व्यक्ति की लाश ग्वालियर में अपने घर पर लटका पाया गया।
6. नरेंद्र सिंह तोमर - हाई प्रोफाइल MPPEB घोटाले में आरोपी की जून 2015 में इंदौर जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। 29 वर्षीय पशुचिकित्सा रात में सीने में दर्द की शिकायत की और महाराजा यशवंत राव अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत लाया घोषित कर दिया गया।
7. डॉ राजेंद्र आर्य - ग्वालियर में बिरला अस्पताल में तोमर की मौत के 24 घंटे के भीतर इस 40 साल वर्षीय डाक्टर की भी मृत्यु हो गई। व्यापम घोटाले में आरोपी वे एक वर्ष के लिए जमानत पर थे, और कोटा गए थे जहाँ से लौटते हुए उनकी हालत गंभीर हो गयी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार व्यापम घोटाले की जाँच कर रहे हैं एसआईटी की रिपोर्ट में अन्य आरोपियों के अलावे निम्नांकित को मृत घोषित किया गया है -
8. अंशुल सनचन
9. अनुज पांडे
10 विक्रम सिंह
11. अरविंद शाक्य
12. कुलदीप मरावी
13. अनंतराम टैगोर
14. आशुतोष तिवारी
15. ज्ञान सिंह (भिंड)
16. प्रमोद शर्मा (भिंड)
17. विकास पांडेय (इलाहाबाद)
18. विकास ठाकुर (बड़वानी)
19. श्यामवीर सिंह यादव
20. आदित्य चौधरी
21. दीपक जैन (शिवपुरी)
22. ज्ञान सिंह (ग्वालियर)
23. बृजेश राजपूत (बड़वानी)
24. नरेंद्र राजपूत (झांसी)
25. आनंद सिंह यादव (फतेहपुर)
26. अनिरुद्ध उजकेय (मंडला)
27. ललित कुमार पशुपतिनाथ जायसवाल
28. राघवेन्द्र सिंह (सिंगरौली)
29. आनंद सिंह (बड़वानी)
30. मनीष कुमार समादिया (झांसी)
31. दिनेश जाटव
32. ज्ञान सिंह (सागर)
उनकी मौत के बारे में जानकारी ज्यादा नहीं है, सिर्फ यह उनमें से ज्यादातर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के चंबल क्षेत्र में हुआ है।

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