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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Tuesday, August 23, 2016

काला धन पर मोदी सरकार का भद्दा मज़ाक :

मनमोहन सिंह की सरकार काला धन के लिए इससे अधिक सुविधा नहीं दे सकते थे की उन्होंने अपने प्रधान मंत्री दायित्व के कार्यकाल में स्विस बैंकों के ब्रांच भारत में ही खोलने की अनुमति दे दिए।
इस दौरान 2014 में खबर आई कि वाशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 1948 से 2008 के बीच भारतीयों ने विदेशी बैंकों में करीब 28 लाख करोड़ रुपये काला पैसा जमा कराया।
देश व्यथित था और 12 फ़रवरी, 2014 को 'चाय पर चर्चा' कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी ने कसम खाई की वे काला धन को वापस स्वदेश लायेंगे और देश को भरोसा दिया की काला धन वापस लाकर देशवासियों में उसे बाटेंगे। प्रत्येक के हिस्से में 15 लाख रुपये तो आएगा ही।
27 अक्टूबर, 2014 को ब्लैक मनी के मुद्दे पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में आठ नामों का खुलासा किया। जो नाम जाहिर किए गए उनमें गोवा के खनन कारोबारी राधा एस टिम्बलू, राजकोट के कारोबारी पंकज चमनलाल लोढिया और डाबर समूह के प्रदीप बर्मन शामिल थे। खुलासा किया गया कि मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी का दिसंबर 2006 में 100-100 करोड़ रुपया स्विस अकाउंट में जमा था। रिलायंस इंडस्‍ट्रीज का 500 करोड़ रुपये एक अकाउंट में था। मोदी सरकार ने कालेधन के मामले में 60 लोगों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई शुरू की जिनके नाम पर विदेशी बैंकों में काला धन जमा था। पर धीरे से ये कार्यवाई रोक दी गई। कारण यह था कि इन लोगों में बड़े कॉर्पोरेट घरानों से जुड़े लोगों के नाम भी शामिल हैं। इस बीच स्विट्जरलैंड की बैंकिंग प्रणाली की गोपनीयता के खिलाफ वैश्विक स्तर पर चल रहे अभियान के बीच स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि करीब एक-तिहाई यानी 33 प्रतिशत घटकर 1.2 अरब फ्रैंक (करीब 8,392 करोड़ रुपये) रह गई है।
अब यह समाचार है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की चेयरपर्सन रानी सिंह नायर ने आज कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था में काले धन पर लगाम लगाने के लिए तीन लाख रुपये से अधिक के नकद लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने की एसआईटी की सिफारिश पर गौर कर रही हैं।
दरअसल काले धन पर रोक लगाने के उपाय जो एम् सी जोशी कमिटी ने सुझाए थे उसमें प्रमुख था भ्रष्टाचार पर रोक के उद्देश्य से प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट को कड़ा बनाने के लिए उसमें संशोधन करना।
इस पर कोई कार्यवाई नहीं है। अलबत्ता रेडियो पर काला धन रोकने के प्रचार पर रोज करोड़ों खर्च हो रहा है। अच्छा होता अगर यह विज्ञापन हिंदी में न होकर अंग्रेजी या स्विस भाषा में होती।
कहाँ तीन ख़रब रुपये पकड़ना था और तीन लाख पर पर कार्यवाई की धमकी दी जा रही है? इससे अधिक बड़ा मज़ाक और क्या हो सकता है?
यह धमकी यह है की आप 15 लाख मांगने के चक्कर में कहीं खुद जेल की हवा न खाएँ। और कॉरपोरेट का धन काला हो या पीला इससे आपको क्या ?

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