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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Tuesday, November 7, 2017

नोटबंदी : अब तक का सबसे बड़ा स्कैम.

नोटबंदी :
अब तक का सबसे बड़ा स्कैम,
गरीबों के खून पसीने की कमाई का मोदी सरकार द्वारा लूट।
8 नवम्बर, 2016 को रात आठ बजे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी टेलीविजन पर आए और बोले, "आज से 500 रु एवं 1000 रु के नोट कागज का टुकड़ा है, रद्दी बन गया है।"
दरअसल, नोटबंदी पर मोदी के झूठ के सिलसिला में यह पहला बड़ा झूठ था। क्योंकि घोषणा अनुसार भी जो नोट अमान्य हो गए थे, उन्हें बदला जा सकता था। लोग लाइनों में खड़े होकर नोट बदलते रहे। जैसा की हम सब देखे कि इस घोषणा के लगभग 38 दिनों बाद भी आप इन 500 व 1000 के नोटों से पेट्रोल खरीद सकते थे, डीजल खरीद सकते थे, लेकिन अनाज नहीं खरीद सकते थे, दूध, सब्जी, दाल नहीं खरीद सकते थे।
क्यों? इसलिए की पेट्रोल अम्बानी का है, और चावल, गेंहूँ, दूध, आलू वगैरह आम आदमी के हैं।
परिणाम ?
मोदी सरकार के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक को नोटबंदी से 16,000 करोड़ रुपये का फयदा हुआ, लेकिन नए नोट्स को छपाई में 21,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
एक खूबी है इस जुमलेबाज़ में, झूठ भी सच की तरह ही कॉन्फिडेंस से बोलता है।
15 अगस्त के भाषण में मोदी के झूठ सामने आने का सिलसिला जारी। नोटबंदी के बाद 91 लाख नए करदाता जुड़ने की बात निकली गलत।
असफल था। नोटबंदी का उद्देश्य काले धन को सिस्टम से बाहर करना था, अगर वो किसी न किसी रूप में बैंक में आ गया तो इसका मतलब है कि धन किसी तरह से काले धन में बदला गया है और सफेद धन बनकर बैंकिंग सिस्टम में आ गया है। ये इसकी असफलता दर्शाता है।
रिजर्व बैंक ने अपने इतिहास में पहली बार बैलेंसशिट जारी करने से हाथ खीच लिया है. ऐसा करने से नोटबंदी के प्रभावों का देश को पता तक नहीं चलेगा. आरबीआई के इस भगोड़े स्टैंड को अमित कुमार 2जी और कोल ब्लॉक घोटाला से भी बड़ा घोटाला बता रहे हैं जिसमें मोदी सरकार की गर्दन फंसी हुई है।
2G, कोल ब्लॉक आवंटन में तो सीएजी ने 1.75 लाख करोड़ और 2.8 लाख करोड़ के घोटाले का आभासी तथा सनसनीखेज आंकड़ा सनसनी पैदा करने के लिए दिया था। लेकिन इसमें तो सीधा-सीधा कैश का उटलफेर हुआ है। गौर कीजिए–
* आरबीआई स्पष्ट रूप से नहीं बता रहा कितने मूल्य के नए नोट जारी किये?
* कितने मूल्य के हज़ार और पांच सौ के पुराने नोट रद्द किए गए?
* कितने पुराने नोट वापस नहीं आये?
* कितने जाली नोट चलन में थे, कितने पकड़े गए?
* नोटबंदी का मौद्रिक रूप में क्या लाभ हुए?
घोटाले तीन तरह से हुए हैं — नए नोट छापकर बड़ी मात्रा में पहले ही आकाओं को दे दिए गए। इसके समायोजन के लिए भरसक प्रयास किया गया कि लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए हतोत्साहित किया गया। जिससे लोग पुराने नोट न जमा करें। दूसरा तरीका यह था कि आकाओं के नकली नोट बदले गये। तीसरा उनके काले धन के रूप में रहे पुराने नोट को एकबारगी में नए नोट से बदल दिए गये। इस तरह तीन-चार लाख करोड़ का महाघोटाला हुआ। यह आकंड़े बढ़ भी सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट में अपनी निष्पक्षता के विख्यात पूर्व मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक सर्वदलीय कमेटी से इसकी पूरी पारदर्शिता से जांच हो तो यह वैश्विक इतिहास का सबसे बड़ा महाघोटाला साबित होगा। यह अमरीका के इशारे पर किया गया, इसके भी सबूत हैं।
कंटपा ने बाहुबली को क्यो मारा ये तो आप को पता चल जाएगा , लेकिन नोटबंदी से क्या लाभ हुआ , ये हास्यपद और गोपनीय ही रहेगा ! मीडिया के पिछले जुमलो का स्मरण करिए , ये देखिये नक्सलियों की नोटबंदी से कमर टूटी , नोट बर्बाद हो गए , पाकिस्तान को मुह की पड़ी , आंतकवादी की कमी , इससे तो ज्यादा हास्यपद मीडिया दाऊद इब्राहिम की नोटबंदी से कमर टूटने , दहसत मे होने की ख़बर देता है !
सवालों से घिरा मोदी सरकार।
नोटबंदी के मोदी जी ने तीन फ़ायदे बताए थे
1. नक़ली नोट ख़त्म
2. काला धन रद्दी का टुकड़ा हो जाएगा
3. आतंकवाद और उग्रवाद की कमर टूट जाएगी।
मोदी जी ख़ुद बता दें कि देश को लाइन में क्यों खड़ा किया?
इस 3 फ़रवरी को कोलकाता में एक क़त्लेआम-सा हुआ। इस दिन आनंदबाजार पत्रिका समूह के 700 स्टाफ़ से इस्तीफ़ा लिखवा लिया गया। उनमें से ज़्यादातर पत्रकार और कर्मी वैसे हैं, जो उम्र के इस पड़ाव पर नई नौकरी शायद ही खोज पाएँ। ऑफ़िस में लोग रो रहे थे। चीख़ रहे थे।
कंपनी कह रही है नोटबंदी के कारण करना पड़ा। आनंदबाजार किसी दौर में देश का सबसे बड़ा अखबार था। जागरण और भास्कर से भी बड़ा। टेलीग्राफ़ भी इनका ही है।
नोटबंदी से जब देश को लाभ हुआ है तो फिर उस लाभ का कुछ हिस्सा किसानों को देने में मोदी सरकार को क्या दिक़्क़त है...???
दरअसल नोटबंदी से क्या दिक्कत है, पढ़िए :
Ø बंद नोटों का 99 प्रतिशत बैंकों में जमा होना इस बात का प्रमाण है कि नोटों की शक्ल में कालाधन था ही नहीं और यदि था तो भी केवल उस 6 प्रतिशत का भी एक छोटा भाग क्योंकि भारत की जी0डी0पी0 में नोटों का हिस्सा केवल 6 प्रतिशत है। जबकि नोटबंदी का सबसे बड़ा कारण कालाधन वापस लाना बताया गया था जो सरासर गलत साबित हुआ।
Ø यह फैसला न तो भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में था न ही आम जनता के पक्ष में क्योंकि भारत में 93 प्रतिशत कामगार असंगठित क्षेत्र से संबद्ध है जो नकद पर निर्भर करते हैं यानि हमारी अर्थव्यवस्था में 78 प्रतिशत विनिमय नकद में किया जाता है जो एकाएक ठप हो गया। जिसके परिणाम स्वरूप हजारों छोटे एवं मंझोले उद्योग धंधे, कल-कारखाने बंद हो गये एवं बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि हुई।
Ø इस प्रकार पुराने नोटों को बदलने संबंधी नियमों को 40 दिन में 60 बार बदला गया जो दर्शाता है कि बिना सोचे समझे लिया गया फैसला था जिससे आम लोगों की परेशानियां बढ़ी।
Ø यह सरकार की असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा का प्रमाण है कि बैंकों से अपना पैसा पाने के लिए लोगों को लंबी कतारों में लगना पड़ा, सैंकड़ों लोग मरे, कई लोगों ने आत्महत्याएं कर ली-इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह किसी अन्य देश में हुआ होता तो प्रधानमंत्री अपने पद पर नहीं होते।
Ø नोटबंदी से कालाधन तो वापस आया नहीं बल्कि उल्टे नोटों की छपाई पर करीब 12 हजार करोड़ रूपये जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे बर्बाद किये गये।
Ø नोटबंदी के कारण पिछले छः तिमाहियों में जी0डी0पी0 विकास दर 9.2 प्रतिशत से गिरकर 5.7 प्रतिशत पर आ गया जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हुआ।
Ø नोटबंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी, खाद्य-बीज एवं खेतों की जुताई आदि के लिए नकद का ही प्रचलन है लेकिन नोटबंदी के कारण किसान बैंकों के चक्कर काटने लगे जिससे भारतीय कृषक और कृषि पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ा।
Ø बड़े पैमाने पर अस्पतालों एवं नर्सींेग होम में नकदी के अभाव में मरीजों का ईलाज प्रभावित हुआ।
Ø नोटबंदी के एक वर्ष पूरा होने पर जनता सरकार से पूछना चाहती है कि कालेधन, आतंकी-धन प्रवाह कहां गया? और इस पूरी प्रक्रिया से देश और अवाम को क्या लाभ हुआ है इसके बारे में प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री को जवाब देना होगा।
नोटबंदी एक धोखा है, घोटाला है, देशद्रोह है।
आईये 8 नवम्बर को इसका विरोध कर मोदी सरकार को यह जनता का सन्देश दें की इस धोखा का परिणाम मोदी को अगले चुनाव में भगतना पड़ेगा।
#मोदी_भगाओ_देश_बचाओ

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