


भारत के सातवें प्रधान मंत्री स्व राजीव रत्न गाँधी ( २० अगस्त,१९४४- २१ मई,१९९१) की आज २०वीं पुण्य तिथि है. मुझे आज भी वह मनहूस रात याद है जब Gwyer Hall हॉस्टल में अपने साथी हरेन्द्र सिंह के कमरें में हम बातें कर रहे थे और बार बार कुत्ते की रोने की आवाज़ आ रही थी. मैंने कहा भी की कोई अपशकुन लग रहा है और इस बीच रेडियो पर खबर आई की एक बम विस्फोट में राजीव गाँधी मारें गए. बहुत दुःख हुआ. भागे भागे कामन रूम में टी वी पर खबर देखने पंहुच गए.
३१ अक्तूबर, १९८४ में श्रीमती इंदिरा गाँधी की दुखद मृत्यु के बाद वे प्रधान मंत्री बने थे. राजीव जी से उनके प्रधान मंत्रित्व काल में दो बार मिला था. उनसे बहुल प्रभावित भी था. ४० वर्ष में वे इस देश के सबसे कम उम्र के युवा प्रधान मंत्री थे. जिस समय उनकी असमय मृत्यु हुई वे ४६ वर्ष के थे. परन्तु मध्य १९८७ में जब बोफोर्स कांड सामने आया तो एक इमानदार, युवा और भ्रष्टाचार से लड़ने वाले नेता की उनकी छवि को धक्का पहुंचा. और १९८९ का आम चुनाव वे हार गए. १९९१ के चुनाव प्रचार के समय ही LTTE के आतंकवादियों ने श्रीलंका में भारतीय फ़ौज के दखलंदाजी का बदला लेने के लिए मानव बम से उन्हें उड़ा दिया.
१९९१ में जब कांग्रेस के सहयोग से विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार को गिरा कर चंद्रशेखर जी प्रधान मंत्री बने तो लगा की इतिहास दोहराया जा रहा है. हुआ यह था की १९८० में ठीक इसी तरह कांग्रेस के सहयोग से मोरारजी भाई के सरकार को गिरा कर चौ चरण सिंह प्रधान मंत्री बने थे. लेकिन इतिहास एक और तरह से दोहराया गया - जैसे ६ महीने बाद इंदिरा जी चौ साहेब की सरकार से समर्थन वापस ले लीं थीं, वैसा ही कुछ होने वाला था जिसकी उम्मीद चंद्रशेखर जी ने नहीं की थी. संसद में चंद्रशेखर जी की सरकार पर लगे अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने था, और कांग्रेसी सांसद राजीव जी के इशारे पर सांसद से गायब थे. चंद्रशेखर जी और उनके सलाहकार भाग दौड़ में लगे थे. चंद्रशेखर जी इस बीच संसद में जाकर अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी. माना गया की चंद्रशेखर जी ने इसे दिल पर लिया.
अब प्रश्न उठता है क्या राजीव जी की असमय मौत और क़त्ल सिर्फ LTTE का बदला था या और लोगों का बदला ? वैसे फ़ायदा किसका? LTTE से जुड़े चंद्रशेखर जी के साथी चंद्रा स्वामी और पी वी नरसिम्हाराव ( जो संयोग से राजीव जी की मृत्यु उपरांत कांग्रेस को मिली बढ़त के दम पर प्रधान मंत्री बने) से कई सवाल उठे हैं जिनका जवाब अभी तक मिला नहीं है.