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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, August 12, 2012

आमिर खान का नीतीश को पत्र, गया अश्विनी चौबे के कूड़े में..


सत्यमेव जयते जैसे कार्यक्रम से चर्चा में आये आमिर खान का एक एपिसोड जेनेरिक दवाओं को लेकर था। आमिर खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर यह आग्रह किया है कि वे राज्य में आम लोगो के लिए जेनेरिक दवाओं को सुलभ कराने की दिशा में प्रयास करें।

आमिर ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता बढ़ाए ताकि इससे मघ्य वर्ग और निम्नमघ्य वर्ग के लोगों को लाभ पहुंच सके। आमिर खान ने आगे लिखा है कि हाल में किए गए शोध से यह पता चला है कि जेनेरिक दवाऐं किसी भी सूरत में कमतर नहीं है और उनका असर मरीजों पर वही होता है जो महंगी दवाओं का होता है।


अब बेचारे आमिर हिन्दुस्तानी, क्यों सुशासन बाबु को राज्य में आम लोगो के लिए जेनेरिक दवाओं को सुलभ कराने की दिशा में प्रयास करने के आग्रह के लिए  पत्र लिख कर वक़्त बर्बाद कर रहे हैं? उन्हें कोई सूचना दे की बिहार में जेनेरिक दवाओं की क्या बात की जाये, सभी सदर और अन्य अस्पतालों में तमाम दवाइयों की सप्लाई स्वास्थ्य मंत्री के दफ्तर में केन्द्रित कर दिया गया है. यहाँ भी सप्लाई का एकाधिकार स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे (वही जो डाक्टरों के हाथ काटने जी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं) के नजदीकी रिश्तेदारों के पास है, जो केंद्र सरकार द्वारा अस्पतालों को दवाई खरीदने के लिए भेजे गए फंड से सिर्फ इनसे घटिया दवाई खरीदने को बाध्य हैं. इसमें भी सभी सिविल सर्जन से मोटे कमीशन की मांग की जाती है, और मधेपुरा सदर अस्पताल जैसे कई अस्पताल के सिविल सर्जन कमीशन देने से मना कर देते हैं, तो वहां दवाइयों को खरीदा ही नहीं जाता है, जिससे आम रोगियों को बिना अस्पताल के दवाई के ही रहना पड़ता है अथवा बाज़ार से महंगे दवाई का ही सहारा रह जाता है. और यह सब होता है पुरुष नहीं, बल्कि विकास पुरुष नितीश कुमार के पूरे सूचना में. तो बताईये बेचारे जेनेरिक दवाई के लिए कौन आमिर खान के पत्र की सुधि लेगा?

ब्रांडेड दवाएं बनाने वाली कम्पनियां जेनेरिक दवाएं भी बनाती है। आमिर ने बताया कि हिन्दुस्तान से साल भर में 35 हजार करोड़ रूपये की जेनेरिक दवाओं का निर्यात होता है। इससे यह स्पष्ट है कि हमारी कम्पनियां जेनेरिक दवाएं बनाती है। किन्तु वे इसका व्यापार करती हैं। वे इसे अपने देश की जनता को उपलब्ध नहीं कराती है। आमिर ने आशा व्यक्त किया है कि मुख्यमंत्री इन जेनेरिक दवाओं को राज्य की जनता को उपलब्ध कराने में अच्छी भूमिका निभा सकतें है।

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