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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Thursday, December 6, 2012

राज्य सभा में FDI पर अरूण जेटली का प्रभावी भाषण -

आज राज्य सभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली ने सिलसिलेवार ढंग से FDI पर मनमोहन सरकार के सभी दावों को निरस्त कर दिया। उन्होंने ने याद दिलाया की यही डा मनमोहन सिंह ठीक एक दशक पहले 6 दिसंबर,2002 को FDI को ख़ारिज करते हुए सदन में कहा था की इससे छोटे दुकानदार, रेहड़ी पटरी वालों के रोज़गार पर विपरीत असर होगा, बेरोज़गारी बढ़ेगी और हिंदुस्तान के लिए उपयुक्त नहीं है। अंतराष्ट्रीय व्यापारिक रियायतों में हमेशा कोई भी देश बदले में कुछ रियायतें प्राप्त करता है, जो दिख नहीं रहा है। सबसे महत्वपूर्ण, लगभग 12 वर्षों से हिंदुस्तान पर रिटेल में FDI लागू करने का अमरीकी दबाब है, परन्तु पता नहीं क्यों पिछले सत्र तक 'आम सहमती' बनाने की बात करने वाली सरकार अचानक इसे लागू कर दिया?

अरुण जेटली ने 'सुधार' के पश्चिमी परिभाषा को चुनौती देते हुए कहा की अमरीका भारत में नौकरियों के आउटसोर्स किये जाने को समाप्त करने की बात कर जब चाहे 'सुधार' को ठेंगा दिखा देता है, लगभग सभी पश्चिमी देश अपने किसानों को वालमार्ट जैसे स्टोर से निपटने के लिए और बाज़ार में अपने उत्पाद की सही कीमत दिए जाने ले लिए प्रतिदिन हजारों डॉलर सब्सिडी देता है, परन्तु हमें मना किया जाता है। ऐसे 'सुधार' को लागू नहीं करना हीं राष्ट्र हित में है।

यह अत्यंत हास्यास्पद हीं है की सत्ता पक्ष इस मुद्दे को ऐसे प्रस्तुत कर रहा था जैसे वालमार्ट कोई धार्मिक या स्वयंसेवी संस्था हो जो भारत आकर यहाँ परोपकार और लोक-कल्याण के कार्य करना चाहती है, और विपक्ष उन्हें रोक रहा है। अगर कांग्रेस नीत यु पी ए सरकार को खुली छूट मिले तो यह कहते हुए की यह भवन बहुत पुरानी हो चुकी है, संसद भवन को हीं वालमार्ट को स्टोर खोलने के लिए बेच दें।

वैसे जो लोग लोक सभा में इस मुद्दे पर अरुण जेटली के विद्यार्थी जीवन के समकालीन लालू प्रसाद अथवा अन्य कांग्रेसी वकील कपिल सिब्बल का भाषण भी सुने हों उन्हें फर्क पता चल गया होगा।



ध्यान दिलाना चाहूँगा की जब लालू प्रसाद पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे, उन्ही दिनों श्रीराम कालेज ऑफ़ कॉमर्स के विद्यार्थी अरुण जेटली भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। दोनों 1974 में कांग्रेस और इंदिरा गाँधी द्वारा जबरन आपातकाल लागू कर तमाम विपक्ष के नेताओं को जेल भेजे जाने के विरोध में जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन में शामिल थे। दोनों नेता कनून की डिग्री प्राप्त किये हैं। और जब 1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ तो अरुण जेटली जनता पार्टी के सबसे युवा राष्ट्रिय कार्यकारिणी के सदस्य थे। परन्तु 1977 वे चुनाव नहीं लड़े। लालू प्रसाद को 1977 में बिहार में जनता पार्टी संसदीय दल के अध्यक्ष स्व बी पी मंडल ने, जय प्रकाश बाबु के अनुशंसा पर और बाबु सत्येन्द्र नारायण सिंह और कर्पूरी ठाकुर के आपत्ति के बावजूद, 'राजपूत सीट' छपरा से लोक सभा का टिकट दिया जहाँ से वे छोटे उम्र में सांसद चुने गए।

2 comments:

  1. आज़ादी के दिनों से हीं स्वंत्रता आन्दोलन में वकीलों का योगदान रहा है। दादाभाई नोरोजी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरु, महात्मा गाँधी, सी आर दास, लाला लाजपत राय, सी राजगोपालचारी डा बी आर अम्बेदकर, डा राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि सभी पेशे से वकील ही थे। अतः आज भी वकील राजनीती में हैं, और यह ठीक ही है।

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  2. 1974 में जब लालू प्रसाद पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे, तब उसी छात्र संघ में सुशील मोदी सचिव थे। सुशील मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से थे, और लालू जी किसी दल से असम्बद्ध थे।

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