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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, March 22, 2015

अधिग्रहण की बात :




मुहाजिर हैं मगर एक दुनिया छोड़ आए हैं,
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं।
अब अपनी जल्दबाजी पर बोहत अफ़सोस होता है,
कि एक खोली की खातिर राजवाड़ा छोड़ आए हैं।।
2007 के जून में मुरहो, मधेपुरा में रेल फैक्ट्री बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध मैंने इसलिए किया था, क्योंकि खाली ज़मीन होने के बावजूद खेती की ज़मीन को ली जा रही थी। उस जगह के बजाए जहाँ अंततः अधिग्रहण हुआ वहाँ आज भी कई समस्याएँ हैं।
अभी हाल में मधेपुरा ग्रीन फील्ड रेल इंजन कारखाने के लिए अधिग्रहित की गई भूमि का कम मुआवजे को लेकर भूदाता किसानों ने चकला रेल क्रासिंग के निकट धरना दिया। भूदाता भूअर्जन कानून 2013 के आलोक में मुआवजा भुगतान की मांग कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि रेलवे द्वारा 2008 में स्वीकृत इस योजना के तहत 1116.66 एकड़ भूमि का अधिग्रहण अधिसूचना 2008 में ही प्रकाशित किया गया था। किसानों की मांग थी कि अभी नौ हजार रूपये प्रति कट्ठा की दर से मुआवजा दिया जा रहा है जबकि नये दर पर 38 हजार रूपये प्रति कट्ठा की दर से उसका चौगुना मुआवजा नियमानुसार मिलना चाहिए। इसके लिए किसानों ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका भी दायर की है।
इसके पहले मुरहो गाँव के लगभग सभी क्षेत्र का अधिग्रहण होना था, और जून 2007 को हमIरे धरना के बाद स्व बी पी मंडल जी का समाधी स्थल को छोड़ दिया गया था। यह भी एक संयोग था की इस नक़्शे के अनुसार मुरहो गांव में मेरा घर व ज़मीन अधिग्रहण क्षेत्र में नहीं थे। फिर आन्दोलन का दौर शुरू हुआ। इधर अफवाह यह थी क़ी सरकार २७ लाख प्रति एकड़ का भुगतान करेगी, जबकि सच्चाई यह थी क़ी यह रेट असल में 1 लाख 80 हज़ार प्रति बीघा थी।
पूरे प्रकरण में मीडिया का साथ रहा। सहारा समय टी वी ने मुरहो से भूमि अधिग्रहण पर 30 जनवरी,2008 को एक ज़ोरदार कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया, जिसका शीर्षक था - 'मंडल पर वार'। इस कार्यक्रम में लगभग 150 ग्रामीण ने हिस्सा लिया और सभी ने एक स्वर में इस अधिग्रहण का विरोध किया। शायद लालू जी तक मेसेज पहुँच गया था। अंततः रेल मंत्रालय ने अधिग्रहण क्षेत्र दूसरे जगह बदले जाने की घोषणा क़ी।
दिनांक १४ जुलाई,2008 को इस फैसले पर मैंने लालू प्रसाद जी को धन्यवाद् देते हुए कुछ सुझाव प्रस्तुत किये. मैंने अपने ज्ञापन में लिखा -
"आपसे सादर निम्नलिखित निवेदन कर रहा हूँ, जिस पर आशा करता हूँ क़ी सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे -
१. रेल इंजन कारखाना हेतु भूमि अधिग्रहण को कम से कम किये जाने का प्रावधान करने क़ी कृपा जाये.(९०० एकड़ का प्रस्ताव था).
२. भूमि अधिग्रहण के कवायद में कम से कम कृषि योग्य भूमि, घरों, मंदिर, मस्जिद को नुकसान पहुंचे.
३. अधिग्रहण किये गए भूमि का अधिक से अधिक बाज़ार भाव के मूल्य पर मुआवजा दिया जाये. मुआवजा पूर्णतः नगद न होकर बांड के माध्यम से किये जाने का प्रावधान किया जाये.
४. जिनकी भूमि का अधिग्रहण हो उनके परिवार जनों को उनके योग्यता के अनुरूप रेलवे द्वारा नौकरी दिया जाये.
५. अगर किसी कारण वस् कारखाना शुरू न हो सके अथवा किसी समय बंद हो तो इसे वापस भूस्वामियों को देने का एकरारनामा किया जाये.
......................................सेज के अंतर्गत किसानो के कृषि योग्य भूमि अधिग्रहण किये जाने के विवाद में भी एक उचित दिशा-निर्देश देंगे."

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