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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Sunday, September 18, 2016

बढ़ता रेल किराया और घटती रेल सुविधा :

हम 'मोदी, मोदी, मोदी.....' करते रह गए, और हे 'प्रभु' तूने यह क्या कर दिया।

मोदी सरकार के तमाम कदम के पीछे आम जनता से उसूले जा रहे पैसे को बढ़ाना और कॉरपोरेट के कदम में डालना ही रहा है। सुरेश प्रभु जैसे मंत्री, जिनके जात पर मंत्री पद तय होता है, जनता से कोई सरोकार नहीं है।
रेल ने किराया बढ़ाने को 'सर्ज प्राइसिंग' कहा है, उसे इस तरह से समझें। आप को सुलभ शौचालय जाना है, जोरों का प्रेशर है, अब वहाँ कर्मचारी आपके 'अर्ज' को देखते हुए अधिक पैसे लेगा। शौचालय कब जा पाएंगे, यह तय नहीं। लोग प्रेशर के साथ लाइन में लगते जायेंगे और 'सुलभ' का सुविधा का दाम बढ़ता जायेगा! तो यह है 'अर्ज प्राइसिंग'!
देश में इस समय 42 राजधानी, 46 शताब्दी तथा 54 दुरंतो ट्रेनें चल रही हैं। रेलवे ने 9 सितंबर के बाद की तिथि पर 'फ्लैक्सी किराया प्रणाली' लागू करने का फैसला लिया है। जिससे बुकिंग बढ़ने के साथ ही किराया भी बढ़ता जाएगा। मांग के अनुसार बढ़ते किराए की व्यवस्था के तहत 10 से 50 प्रतिशत तक अधिक किराया देना पड़ेगा। विमान किराए की तर्ज पर बुकिंग आरंभ होने पर पहली 10 प्रतिशत सीटें मूल किराए पर बुक होंगी। इसके आगे सीटों की बुकिंग 10-10 प्रतिशत बढ़ने पर 10-10 फीसदी किराया भी बढ़ाने का प्रावधान है।
इधर, रेलवे ने हाफ टिकट का कॉन्सेपट बदल दिया है। अभी तक रेलवे में हाफ टिकट लेकर बच्चों के लिए पूरी सीट हासिल करने वाली प्रक्रिया अब समाप्त कर दी जाएगी। रेलवे में अभी 5 से 12 साल के बच्चों का हाफ टिकट लगता है और उन्हें पूरी सीट मिलती है। बच्चों के लिए अगर सीट मांगी जाएगी तो उनका किराया भी पूरा लगेगा। हाफ टिकट पर बच्चे अब माता-पिता या बड़ों की सीट को ही शेयर करेंगे। रेलवे द्वारा जब-जब किराया बढ़ाया जाता है, चंडीगढ़ के यात्रियों से एक रुपये के चार रुपये तक भी वसूले जाते हैं। राउंड फिगर के नाम पर यह दोहरा बोझ डाला जाता है। बुधवार को हुई रेल किराए की बढ़ोतरी में जन शताब्दी, गरीब रथ और इलाहबाद के लिए थर्ड एसी से यात्रा करने वालों को यह अतरिक्त बोझ उठाना होगा।
एक जमाना था जब मालभाड़ा और रेल किराया केवल रेल बजट में ही बढ़ता था. रेल बजट निकला और आम आदमी निश्चिंत हो जाता था साल भर के लिए. यही हाल आम बजट और उससे जुड़े करों का था लेकिन भाजपा ने सारी तस्वीर ही बदल दी है। अब कभी भी रेल किराया बढ़ जाता है और कभी भी अन्य कर लग जाते हैं।
अब लोग पूछ रहे हैं कि अच्छे दिन और उन वायदों का क्या हुआ?
दरअसल, हवाई जहाजों का बेहिसाब बढ़ता किराया रोकने की उम्मीद के विपरीत सरकार ने रेल किराया बढ़ा कर जनता को मंहगाई की मार झेलने के लिए मजबूर कर दिया है। कॉरपोरेट को न हो नुकसान, भाड़ में जाए जनता तमाम।

रेलवे को मुनाफे का जरिया बना कर रिलाएंस या अन्य कॉरपोरेट को सौंपने का विरोध हर देशभक्त का परम कर्तव्य है।

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