दोनों ओर से वीडियो जारी की जाती है, और उसे दोनों तरफ से 'फर्जी' कहा जाता है।
दोनों देश 'शांति' के समय एक दुसरे पर किये गए गोलाबारी से नुकसान को ख़ारिज करते हैं, जबकि अमूमन शांति के समय इस तरह की क्रिया को अंतराष्ट्रीय फोरम पर उठाया जाता है जिससे हमलावर राष्ट्र की चौतरफा निंदा हो।
परन्तु यह सच्चाई है कि हमारे फौजी रोज शहीद हो रहें हैं।
और हमारे मंत्रीगण 'सिर्फ' निंदा करते हैं।
यह समझना होगा कि 'युद्ध' की घोषणा करना एक जटिल स्थिति है, जिसके लिए क्या हम तैयार है ?
मोदी सरकार जनता को हाशिये पर रख कर कॉर्पोरेट के कभी न मिटने वाली दौलत की भूख को पूरा करने में लगी हुई हैं।
मोदी और नवाज़ की दोस्ती में सज्जन जिंदल को फायदा पहुँचाने का रेस को अंतराष्ट्रीय स्तर पर सब जानते हैं।
फिर क्या यह तथाकथित गोला बारी सिर्फ जनता को दिखाने के लिए WWF कुश्ती है, जिसमें कहीं न कहीं हमारे किसी देशवासी के घर पर मातम मनाया जा रहा है?
संभव है भारत पाकिस्तान में 'युद्ध' ज़रूर होगा, पर तब यह मोदी और उसके सरकार की गिरती साख को बचाने के लिए होगा, देश और उसकी जनता के लिए नहीं।
जय हिन्द।

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