सहरसा, १२ जनवरी, २०१२. लोकप्रिय हिंदी फिल्म "सिन्घम" के दृश्य सहरसा में दोहराए जा रहे हैं और कोसी रेंज के पुलिस उप-महानिरीक्षक डा परेश सक्सेना, १९९४ बैच भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, जो ईमानदारी और कर्त्तव्य-परायणता के लिए जाने जाते हैं, अपने कर्तव्य-पालन और अपराध से लोहा लेने पर फिल्म के नायक की तरह अपराधियों और उनसे सांठ- गाँठ रखने वाले पुलिस अधिकारीयों और मीडिया के एक वर्ग के निशाने पर हैं. हालाँकि आम नागरिक पुलिस उप-महानिरीक्षक के अपराधियों पर सिकंजा कसने के मुहीम की सराहना कर रहें हैं, परन्तु पुलिस के ही संगठन मीडिया में सक्सेना पर नित्य हमले कर रहे हैं. शुरुआत सोनवर्षा के निलंबित थाना प्रभारी के उस बयान से हुई जब निलंबन के लगभग एक महीने बाद उसने मीडिया में आरोप लगाये की पुलिस उप-महानिरीक्षक अभद्र भाषा में और उसे जान से मारने की धमकी दे कर उसकी प्रताड़ना कर रहें हैं. थाना प्रभारी महोदय पर आरोप था कि लगातार निर्देश मिलने पर भी उसने अपराधियों और एक कांड के आरोपियों को नहीं पकड़ा. वैसे देहात का साधारण आदमी और आम नागरिक भी जिनका थाने से वास्ता पड़ा है, वे थाना-प्रभारी के आरोप को हास्यास्पद मान रहें हैं. ऐसा माना जा रहा है की मीडिया में इसे उछालने के पीछे कई प्रभावशाली नेता बने अपराधी और सहरसा के पुलिस अधीक्षक मो. रहमान की मिलीभगत है!
कोशी क्षेत्र में कई पूर्व कुख्यात अपराधी नेता बन कर सामाजिक- राजनैतिक रूप से प्रभावशाली हैं. उनमें प्रमुख हैं आनंद मोहन, पप्पू यादव, किशोर कुमार मुन्ना इत्यादि. आनंद मोहन और पप्पू यादव सज़ायाफ्ता हैं और जेल में हैं. आनंद मोहन तो सहरसा जेल के वी आई पी वार्ड में हैं, और जेल से ही उनका फरमान चलता है. जेल में भी कैदियों के वार्ड का अनौपचारिक आवंटन वे ही करते हैं. कुछ दिनों से जेल में रेड के बाद वी आई पी वार्ड सहित अन्य वार्ड से मोबाइल, चार्जर और सिम ज़ब्त किये जाने पर तो वे नाराज़ थे हीं, साथ-साथ अपराधियों पर शिकंजा कसे जाने पर भी वे खुश नहीं थे. ऐसा माना जाता है की डी आई जी सक्सेना के विरुद्ध मीडिया के एक वर्ग द्वारा आग उगले जाने का साजिश वी आई पी वार्ड में ही रची गयी जहाँ एक अन्य अपराधी-नेता उमेश दहलान भी कैद हैं, तथा जिसे किशोर कुमार मुन्ना का भी समर्थन प्राप्त है, जो अन्यथा आनंद मोहन से असहमत ही रहते हैं. समझा जाता है की किशोर कुमार मुन्ना की सहरसा के पुलिस अधीक्षक मो. रहमान से बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं.
डा परेश सक्सेना अगस्त २०११ में कोसी रेंज के पुलिस उप-महानिरीक्षक पदस्थापित होकर सहरसा आये. सहरसा आते के साथ ही बढ़ते अपराध को रोकने और पुलिस व्यवस्था को सुधारने के दिशा में सक्सेना ने कड़ी कार्यवाही शुरू कर दी. पुराने मामलों के अनुसन्धान को गति दी गयी, और कई मामले न्याय के लिए कोर्ट में गति दी गयी. यह महत्वपूर्ण था की की कई कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार किया गया जिनमें मनोज यादव, उमेश दहलान, शशि कुमार सिंह उर्फ़ चुन्नू आदि शामिल हैं. मनोज यादव, पतरघट प्रखंड का प्रमुख, बभनी नरसंहार का मुख्य आरोपी और जिसपर ५२ से अधिक मामलें दर्ज है, नए प्रथम सूचना रपट के बाद भी खुले आम घूम रहा था. सहरसा में कम उम्र में ही दहशत फ़ैलाने वाला कुख्यात अपराधी संतोष यादव को सहरसा में मुठभेड़ में मार दिया गया. अपराधियों पर शिकंजा कसने से सबसे अधिक विचलित कुछ थानेदार और कनीय पुलिस अधिकारी ही हुए जिनके छत्रछाया में वे खुलेआम संरक्षित थे.
परेश सक्सेना पहले भी विवाद में रहे हैं. सन २००८ में सहायक महानिरीक्षक (निरीक्षण) के पद पर गया के पित्र्पक्ष मेला के उद्घाटन समारोह में तत्कालीन नगर विकास मंत्री भोला सिंह को मंच पर माला पहनाने से मना करते हुए सैलूट दिया. मंत्री ने भाषण में कुछ ऐसे टिप्पण किये की आहत सक्सेना, जो मेडिकल डाक्टर भी हैं, मानहानि दावा करने के लिए मंत्री को कानूनी नोटिस दे दिए. यह भारत में पहली बार हुआ की एक भारतीय पुलिस सेवा के किसी अधिकारी ने वर्तमान मंत्री को क़ानूनी नोटिस दिया हो. वो जज्बा शायद आज भी डा परेश सक्सेना में है.
"There is equality only among equals. To equate unequals is to perpetuate inequality." ~ Bindheshwari Prasad Mandal "All epoch-making revolutionary events have been produced not by written but by spoken word."-~ADOLF HITLER.
About Me
- Suraj Yadav
- New Delhi, NCR of Delhi, India
- I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....
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