भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के जिस कार्टून पर आज संसद में हंगामा हुआ , वह लाजिमी था. इधर संसद के साठ साल पूरा होने को है, और बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के प्रति निरादर, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. मैं पी एल पुनिया साहेब के व्यक्तव्य से सहमत हूँ और अच्छा हुआ की कपिल सिब्बल ने माफ़ी मांग ली. संसद में सिब्बल साहब को जवाब देते नहीं बन रहा था और बाबासाहेब के नाम तक को ठीक-ठीक नहीं ले पा रहे थे. एन सी ई आर टी के पुस्तकों में ऐसे कार्टूनों का कोई मतलब नहीं. वर्षों पहले कार्टूनिस्ट शंकर ने किस मंशा से यह कार्टून बनाये होंगे, यह कहना मुश्किल है, परन्तु उनका प्रयोग किस मंशा से अब हो रहा है , इसका अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीं है. और पुनिया जब कहते हैं की उन्होंने सिब्बल से इसकी शिकायत अप्रैल में ही की थी और इसकी संज्ञान नहीं लेना "दलित विरोधी मानसिकता" है, यह कहना गलत नहीं है. जैसा की कार्टून से लग रहा है की संविधान पर काम धीरे-धीरे हो रहा था. पर सच्चाई उलट थी.
संविधान के निर्माण में मसौदा समिति एक बहुत मूल्यवान भूमिका था .मसौदा समिति का गठन 29 अगस्त, १९४७ को हुआ था एवं डॉ. बी.आर. अम्बेडकर इसके अध्यक्ष बनाये गए थे. मसौदा समिति ने २१ फ़रवरी, १९४८ को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और संविधान सभा में इस आधार पर बहस आयोजित की गयी. इन बहस के आधार पर मसौदा समिति ने संविधान सभा में एक नई रिपोर्ट ४ नवम्बर, १९४८ को प्रस्तुत किया. संविधान सभा में १४ नवंबर, १९४९ नवम्बर २६, १९४९ तक मसौदे अंतिम बहस आयोजित की गयी. अंततः २६ नवम्बर, १९४९ को मसौदे को अपना लिया गया और भारत के संविधान का निर्माण हुआ. ग्रंविल्ले ऑस्टिन ने भारतीय संविधान को अपनाये जाने को फ़िलेडैल्फ़िया सम्मेलन के बाद सबसे बड़ा राजनैतिक उद्यम कहा है.
बाद में "पूर्ण स्वराज दिवस" की महान प्रतिज्ञा की स्मृति को बनाए रखने के लिए, हमारे संविधान के प्रारंभ के दिन 26 जनवरी १९५० को चुना गया और इसके पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ गणराज्य के रूप में घोषित किया गया था.
संक्षिप्त में, भारतीय संविधान के निर्माण की यही कहानी है. यह संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में संविधान बनाने का कार्य पूरा किया. इसमें कुल .६,३९६,२७३ रुपये खर्च हुए. संविधान सभा द्वारा संविधान का निर्माण वास्तव में भारतीय राजनीतिक प्रणाली के लिए उच्चतम और सबसे बहुमूल्य योगदान है.
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा, "मैं सभा को ऐसे जबरदस्त परिमाण का कार्य के लिए बधाई देता हूं. संविधान सभा के काम का मूल्याकन करना मेरा उद्देश्य नहीं है, और न ही बनायीं गयी संविधान के गुण या दोष बताना जो इस सभा ने निर्माण किया है. यह मैं भावी पीढ़ी के लिए छोड़ता हूँ."
अतः भारत का यह वृहत संविधान जो इतने कम समय में बना, उसके लिए हम डा भीमराव साहेब अम्बेडकर के प्रति कृतज्ञ हैं, और उनका निरादर नहीं करने दिया जा सकता.
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