भारत पर निरंतर अमरीकी दवाब बढ़ रहा है की ईरान से तेल खरीदना बंद करे. इधर देश में तेल के दाम बढ़ने के लिए रिलायंस का दवाब है. यानि दोनों की बात मानें तो देश की जनता पर बढती महंगाई की मार चौगुनी हो जाएगी.
आखिर भारत अपनी हित देखने के बजाये साम्राज्यवादी अमरीका की दलाली क्यों करे? अगर ईरान से भारत तेल नहीं लेता है तो दूसरे श्रोतो पर निर्भर रहना पड़ेगा, जो तुरंत अपने तेल का दाम दूगुना कर लेंगे. इसकी मार भारत की अर्थव्यवस्था पर भयंकर होगी क्योंकि ११० मिलियन टन तेल की खपत से हमारा देश ईरान की तेल की विश्व का चौथी बड़ी उपभोक्ता है. इधर प्रतिबन्ध से प्रभावित होने के बाद ईरान को अपने तेल का दाम कम करना पड़ेगा, और भारत को इसका फायदा नहीं हो पायेगा.
भारतीय रिफाइनरी वर्षों से ईरान से आयातित तेल पर चल रहें हैं (लगभग ४०० बैरल प्रति दिन), और उसमें परिवर्तन के लिए समय और पैसे दोनों लगेंगे. कौन यह भरपाई करेगा?
अतः भारत सरकार को भारत और उसकी जनता के हित को ध्यान में रख कर ही कोई फैसला करना चाहिए. जय हिंद.
Unprecedented price-rise of oil has been affected in India to placate US pressure not to buy Iranian Oil.
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