गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर सोमवार तड़के मकर संक्रांति के अवसर पर पहले शाही स्नान के साथ ही धर्म विश्वास और आस्था के प्रतीक इस शताब्दी के दूसरे महाकुंभ का आगाज हो गया।
कुंभ कैंपस. बारह साल बाद आयोजित होने वाले सदी के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन कुंभ 2013 के पहले शाही स्नान यानी मकर संक्रांति के दिन इलाहाबाद विश्व का सबसे बड़ा जिला बना। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक़ इस दिन संगम तट पर करीब एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। एक करोड़ से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्नान करवाने के लिए सारी तैयारियां कल ही पूरी कर ली गई थीं।
पहले शाही स्नान पर्व पर अखाड़ों के नागा संन्यासियों, महामंडलेश्वरों, साधु-महात्माओं सहित तकरीबन एक करोड़ दस लाख श्रद्धालुओं के संगम सहित गंगा और यमुना के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगाने की संभावना है। सोमवार को सुबह 4 बजे से शुरू स्नान पूरे दिन जारी रहेगा।
आज सुबह सबसे पहले 5:45 बजे महानिर्वाणी के साधु-संत पूरे लाव-लश्कर के साथ शाही स्नान को निकले। इस तरह अखाड़ों के स्नान का क्रम शुरू हुआ। सभी अखाड़ों को बारी-बारी से स्नान के लिए चालीस मिनट का समय दिया दिया गया है।
मेले में श्रधालुओं के स्नान के लिए 29 कच्चे और पक्के घाट बनाएं गए है। पहले स्नान पर्व के लिए सेक्टर 1,2,3,5 और 11 के अलावा अन्य सभी सेक्टरो मे 29 घाट बने है।सेक्टर 3 का 70 फीसीदी हिस्सा संगम स्नान के लिए सुरक्षित रखा गया है। भीड़ बढ़ने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने उसे संभालने की सारी तैयारियां कर लेने का दावा किया है।
कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल- हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक- में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष इस पर्व का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ होता है।
कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर दो-तीन पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं जिनमें से सर्वाधिक मान्य कथा देव-दानवों द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कुंभ से अमृत बूँदें गिरने को लेकर है। इस कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के शाप के कारण जब इंद्र और अन्य देवता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया। तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हे सारा वृतान्त सुनाया। तब भगवान विष्णु ने उन्हे दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी। भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर संपूर्ण देवता दैत्यों के साथ संधि करके अमृत निकालने के यत्न में लग गए। अमृत कुंभ के निकलते ही देवताओं के इशारे सेइंद्रपुत्र 'जयंत' अमृत-कलश को लेकर आकाश में उड़ गया। उसके बाद दैत्यगुरु शुक्राचार्य के आदेशानुसार दैत्यों ने अमृत को वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया और घोर परिश्रम के बाद उन्होंने बीच रास्ते में ही जयंत को पकड़ा। तत्पश्चात अमृत कलश पर अधिकार जमाने के लिए देव-दानवों में बारह दिन तक अविराम युद्ध होता रहा।
इस परस्पर मारकाट के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों (प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक) पर कलश से अमृत बूँदें गिरी थीं। उस समय चंद्रमा ने घट से प्रस्रवण होने से, सूर्य ने घट फूटने से, गुरु ने दैत्यों के अपहरण से एवं शनि नेदेवेन्द्र के भय से घट की रक्षा की। कलह शांत करने के लिए भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर यथाधिकार सबको अमृत बाँटकर पिला दिया। इस प्रकार देव-दानव युद्ध का अंत किया गया।
अमृत प्राप्ति के लिए देव-दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के तुल्य होते हैं। अतएव कुंभ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं, जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों की वहाँ पहुँच नहीं है।
जिस समय में चंद्रादिकों ने कलश की रक्षा की थी, उस समय की वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, उस समय कुंभ का योग होता है अर्थात जिस वर्ष, जिस राशि पर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का संयोग होता है, उसी वर्ष, उसी राशि के योग में, जहाँ-जहाँ अमृत बूँद गिरी थी, वहाँ-वहाँ कुंभ पर्व होता है।
स्नान के लिए कुम्भ में जो दिन विशेषकर हैं वो इस प्रकार हैं
मकर संक्रांति - 14 जनवरी 2013
पौष पूर्णिमा - 27 जनवरी 2013
एकादशी स्नान - 6 फरवरी 2013
मौनी अमावस्या - 10 फरवरी 2013
वसंत पंचमी - 15 फरवरी 2013
रथ सप्तमी - 17 फरवरी 2013
माघी पूर्णिमा - 25 फरवरी 2013
भीष्म एकादशी - 18 फरवरी 2013
महा शिवरात्रि - 10 मार्च 2013.
"There is equality only among equals. To equate unequals is to perpetuate inequality." ~ Bindheshwari Prasad Mandal "All epoch-making revolutionary events have been produced not by written but by spoken word."-~ADOLF HITLER.
About Me
- Suraj Yadav
- New Delhi, NCR of Delhi, India
- I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....
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