परन्तु अक्सर पहले सभी आवेदकों में से अनुसूचित जाति/ जनजाति के 22.5 % और पिछड़े वर्ग के 27% छाँट दिए जाते हैं और बचे 50.5 % के लिए उन्हें अलग रखा जाता है जिससे सामान्य वर्ग के लगभग 15% उच्च जातियों के लिए यह 50.5 % एक तरह से अरक्षित हो जाता है।
मंडल कमीशन के रिपोर्ट दिए जाने के समय बिहार में कर्पूरी ठाकुर द्वारा पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए लगभग इसी तरह व्याख्या की गयी थी, और उधर कर्पूरी ठाकुर के उच्च जाति के पक्ष में किये गए क्रियान्वन के बावजूद उनके विरुद्ध इस पर राजनैतिक घमाशन शुरू हो गया था। इसी दौरान कर्पूरी फार्मूला के तहत मंडल कमीशन के अनुशंसाओं से अलग हटकर एनेक्सचर 1 और 2 लागू किया गया। परन्तु उनके बाद जब रामसुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बने तो बी पी मंडल के सलाह पर उन्होंने इस गलती की सुधार की।
इस विषय पर मंडल कमीशन के रिपोर्ट में भी स्पष्टीकरण देते हुए महत्वपूर्ण अनुशंसा की गयी है और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न फैसलों और भारत सरकार के कार्मिक विभाग के आदेश पर स्थिति स्पष्ट है।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट इस पर एक महत्वपूर्ण अनुशंसा करते हुए कहता है कि ^ अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित अभ्यर्थियों को एक खुली प्रतियोगिता में योग्यता के आधार पर भर्ती 27 प्रतिशत से उनके आरक्षण कोटे में समायोजित नहीं किया जाना चाहिए।^
(Candidates belonging to OBC recruited based on merit in an open competition should not be adjusted against their reservation quota of 27 per cent.)
इधर भारत सरकार के कार्मिक विभाग के 13 अगस्त, 1990 के आदेश संख्या "No. 36012/31/90-Estt. (SCT) के अनुसार ^ (iii) SEBC से संबंधित अभ्यर्थियों को सामान्य उम्मीदवारों के लिए निर्धारित एक ही मानकों पर एक खुली प्रतियोगिता में योग्यता के आधार पर भर्ती होने पर 27 प्रतिशत के आरक्षण कोटे में समायोजित नहीं किया जाएगा।
(iii ) Candidates belonging to SEBC recruited on the basis of merit in an open competition on the same standards prescribed for the general candidates shall not be adjusted against the reservation quota of 27 percent .
उम्मीद है इन मापदंडों पर ही आरक्षण नीति को क्रियान्वित किया जायेगा।