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New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Saturday, August 17, 2013

गलत आर्थिक विश्लेषण -


मीडिया/टेलीविजन पर बहस में पढ़े लिखे अज्ञानी अनजान बनते हुए देश को बतलाना चाहते है की देश में आर्थिक दुर्दशा की वजह आर्थिक सुधार में कमी और गरीबों के लिए खर्च की जा रही राशी है।

अब और कितना बिकेगा देश सुधारों के नाम पर? देश में उत्पादन ठप है और चीन जैसे देशों के बेकार चीजों को देश में डंप कर बेरोजगारों से रोजगार छीन लिया गया है। जहाँ अमरीका रोज़गार बचाने के नाम पर भारत जैसे देशों में कॉल सेंटर व्यवस्था को गैर कानूनी बना चुकी है, हम तथाकथित वैश्वीकरण के नाम पर देश को विदेशी कंपनियों को नोचने के लिए छोड़ दिए हैं।

पर सबसे महत्वपूर्ण देश की आर्थिक नीतियों से रिलायंस जैसे कोर्पोरेट मालामाल हो रहें हैं, और आम जनता तंगहाल कंगाल, उसे बदलने की जगह उसे जारी रखने की कसमें खाई जा रही है।

और देश के अरबों-खरबों की संपत्ति लूट कर काले धन के रूप में आज भी रोज विदेश जा रही है, उसे रोके बिना कैसे अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी। वर्षों पहले कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता और अध्यक्ष दादाभाई नैरोजी ने अपने किताब Poverty and Un-British Rule in India में ड्रेन ऑफ़ वेल्थ यानि की धन के पलायन के सिद्धांत को समझाए थे। आज उससे भी विषम स्थिति है। उसे रोके बिना, देश की आर्थिक स्थिति में सुधार संभव नहीं है।

दादाभाई नैरोजी ने 1870 में अपने तथ्यों और आँकड़ों से यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय के दरिद्रता में आकंठ डूबे रहने का कारण अंग्रेजों द्वारा शासन पर खर्च और विदेश भेजे गए धन था। उस समय भारत की प्रशासकीय सेवा दुनियाँ में सबसे महँगी थी। भारतीयों की आर्थिक स्थिति के संबंध में प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद यही निष्कर्ष निकला कि देश में एक व्यक्ति की औसत वार्षिक आय कुल बीस रुपए थी।

आज 160 वर्ष बाद भी शासन पर खर्च, भ्रष्टाचार और विदेशों के बैंकों में जमा काला धन से देश के बाहर जाने से आर्थिक स्थिति ख़राब है।

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मनमोहन के अर्थ अव्यवस्था ?

एक वरिष्ठ नेता मुझे बता रहे थे की सोनिया गाँधी शुरू से ही पी वी नरसिम्ह राव से इर्ष्या करती थीं और उनके कार्यकाल में हो रहे आर्थिक सफलताओं के श्रेय सार्वजनिक रूप से तात्कालिक वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को देती थी। कांग्रेस अध्यक्षा चिदंबरम के तमाम अक्षमताओं के बावजूद उन्हें भी तरजी देती हैं।
आज मनमोहन और चिदंबरम के अर्थव्यवस्था संचालन की हवा निकल रही है।
दरअसल आर्थिक सुधार के नाम पर देश को बेच रहें हैं और ऊपर से घोटालो की लूट से बंटाधार तो तय है। लेकिन ये देश का सत्यानाश करके ही दम लेंगे। अर्थव्यस्था पर मंडराते खतरे के बीच पीएम ने कहा कि दुनिया के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के दरवाजे अब बंद नहीं कर सकते। समझिये लूट जारी रहेगी। पीएम ने यह भी कहा है कि अब 1991 जैसे हालात नहीं होंगे। क्योंकि हालात तो उससे भी ख़राब होने वाले हैं।

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रुपए में रिकॉर्ड गिरावट, सोना भी हुआ तीस हजारी - रूपया का डॉलर के मुकाबले कीमत निरंतर गिरने की वजह और परिणाम दोनों रिलायंस के फायदे के लिया पेट्रोल डीजल का दाम बार बार बढ़ाना है। रिलायंस के चुंगल से सरकार और तेल के निकलते ही रुपये की कीमत स्थिर हो जाएगी।


UPA Government - Reliance – the cause of crash of the Rupee value vis-a vis Dollar.
16 August 2013 at 18:48

The rupee is on record low ever. This is a matter of worry or the economy, companies as well asconsumers. A study of the latest annual earnings data of top BSE 500 companiesby the ET Intelligence Group reveals the impact of the weak rupee on IndiaInc's import and exports bill.

On the net level, asignificantly weakened rupee is bound to adversely impact the country'scommerce. India Inc earns 20% of its standalone revenues from exports.

However,it spends over 36% of its revenues on imports. A 8.9% depreciation in the rupeeagainst the dollar and similar movement against other major currencies of theworld since the beginning of the current quarter is likely to impact thecompanies' net forex bill.

Reliance Industries leads the pack in our study - being the the highest import spending. InFY12, its imports bill stood at Rs 2.64 lakh crore, eating up 77.7% of totalrevenues. Incidentally, oil companies dominate the list of companies' withhighest forex spends, and Reliance is the top Private sector Oil company.

Government has decontrolled Oil and Gas price for the benefit of Reliance alone.

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