About Me

My photo
New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Monday, August 19, 2013

बदला - धमहरा स्टेशन हादसा : हमारे लोगों की दुखद मौत -



मधेपुरा - सहरसा के लोगों के लिए यह अत्यंत दुःख का समय है। एक दो नहीं, कम-से-कम 37 श्रद्धालुओं की मौत हुई है।

सोमवार की सुबह राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेन (ट्रेन नंबर 12567) सहरसा से पटना जा रही थी। यह घटना धमहरा स्टेशन के पास हुई। यहां मां कात्यायिनी का एक मंदिर है, जहां पूजा के लिए लोग जमा थे। वैसे आज़ादी के 67 वर्ष बाद भी इस क्षेत्र में सड़क मार्ग नहीं है। मंदिर जाने के लिए भी रेलवे ट्रैक पर चलना पड़ता है। यहां स्टेशन पर किसी को भी ट्रेन के आने की जानकारी नहीं दी गई। अचानक ट्रेन के आ जाने से पटरी पर खड़े लोग इसकी चपेट में आ गए।

इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

हादसे के बाद रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। बीजेपी - आरजेडी भी नीतीश सरकार पर निशाना साध रही है।

यह तो जाहिर है की इतने बड़े पूजा होने के बावजूद यहाँ स्थानीय प्रशासन के तरफ से कोई इंतजाम नहीं था। और रेलवे भी यह देखते हुए की इतनी भीड़ है, आने वाले ट्रेन ड्राईवर को अथवा ट्रेक पर लोगों को कोई चेतावनी नहीं दिए। गलती जिसकी भी हो, जान तो बेगुनाह लोगों की ही गयी। अब मुआवजा देने से भी उनके परिवार को इस नुकसान की भरपाई हो पायेगी क्या?

क्या करें, समय बीत जायेगा और जिम्मेदारी तय नहीं हो पायेगी। जैसे कोसी आपदा के 5 वर्ष बाद भी नितीश सरकार द्वारा इस त्रासदी की जिम्मेदारी तय करने के लिए बिठाया गया राजेश बलिया आयोग, जिसे तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी, आयोग पर 5 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी जिम्मेदारी पर रिपोर्ट नहीं दी है। आयोग और जाँच जिम्मेदारी तय करने के लिए नहीं, बल्कि जिम्मेदार को बचाने के लिए बनाये जाते हैं।

6 जून, 1981, को इसी स्टेशन के पास मानसी और सहरसा के बीच.अब तक की सबसे भीषण रेल दुर्घटना हुई थी जब एक यात्री ट्रेन पुल पार करते वक़्त पटरी से उतर गई और बागमती नदी में बह गई। इस दुर्घटना के पांच दिनों के बाद भी 200 से अधिक शव नदी में बह रहे थे कि सैकड़ों से अधिक लापता हो गए थे। अनुमान था की 500 से 800 लोग इस दुर्घटना में मरे थे। बाद में कहा गया की एक बैल या भैंस के पुल पर आ जाने पर ब्रेक मारते हुए फेल होने से यह दुर्घटना हुई।
एक तो इस इलाके में सड़क नहीं और कोई अच्छा ट्रेन भी नहीं है। बहुत दिनों के बाद यह राज्य-रानी एक्सप्रेस चली थी जो ठीक-ठाक समय में सहरसा से पटना पहुंचा देती है। परन्तु एक महीने पहले ही इस ट्रेन को पकड़ने के लिए मधेपुरा से चलने वाली ट्रेन बंद कर दी गयी। गौरतलब है की मधेपुरा से कई वर्षों से यहाँ से बहार के राष्ट्रिय नेता शरद यादव सांसद है।

आज मरने वाले शोक संतप्त परिवार को ढाढस देने का समय है।



लेकिन मैं इतना ही उम्मीद करता हूँ की दुर्घटना के कारण जो भी रेल सुविधा क्षेत्र को उपलब्ध है उसे बेहतर करें और सड़क मार्ग से जल्द जोड़ने का प्रयास हो। ऐसा नहीं की जो भी उपलब्ध था उसे भी छीन लिया जाय।

No comments:

Post a Comment