About Me

My photo
New Delhi, NCR of Delhi, India
I am an Indian, a Yadav from (Madhepura) Bihar, a social and political activist, a College Professor at University of Delhi and a nationalist.,a fighter,dedicated to the cause of the downtrodden.....

Thursday, December 24, 2015

इंटरनेट बचाएँ : नेट न्यूट्रेलिटी : #SaveTheInternet

इंटरनेट घोटाला:
इंटरनेट बचाएँ : नेट न्यूट्रेलिटी : फेसबुक के फ्री बेसिक्स अनुमोदन से बचें और उसके व्यवस्था के पक्ष में कमेंट्स दें- बजाए www.mygov.in पर या www.savetheinternet.in पर लॉग करें और वर्तमान
जब सरकार के विभाग रहते "रेगुलेटरी अथॉरिटी" बनाए गए तो दरअसल यह देसी विदेशी कंपनियों के पैसे बनाने के संसद और जनाधिकारों के अंकुश से बचने के उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसी क्रम में ट्राई (TRAI) है, जिसका काम सरकार के इशारे पर कंपनियों के लिए दलाली का है, ने नेट न्यूट्रेलिटी पर विचार मांगे हैं। ट्राई जैसे असंवैधानिक संस्थाओं किसी भी पार्टी द्वारा विरोध ही नहीं होता है। यह जबरन देश में टेलीविजन देखने वालों को सेट टॉप बॉक्स लगाने और बिना उचित जाँच के बिजली बिल बढ़ाने के आदेश देती है और संसद, न्यायालय इस संविधान-इतर संस्था को अनुमोदन देती है। सेट टॉप बॉक्स के माध्यम से उपभोक्ताओं से पैसे उसूलने का जहाँ पूरा इंतज़ाम है वहीँ चैनलों के बेहिसाब वाजिब गैरवाजिब कमाई पर कोई लेख जोखा नहीं।
इसी तरह फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग नरेंद्र मोदी को अहमियत देते हैं या अगर कहते कि उनकी कंपनी नेट निरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है, तो किसी को यह संशय न रहें की अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए या एकाधिकार बरकरार रखने के लिए ऐसा कह या कर रहें हैं। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने इंटरनेट सेवा कंपनियों की तथाकथित जीरो-रेटिंग प्लान का भी समर्थन किया, जिन्हें कई आलोचक इंटरनेट की निरपेक्षता के सिद्धान्त के खिलाफ मानते हैं।इस तरह फेसबुक भी 'फ्री बेसिक्स' के नाम पर इसी मुहीम में लग गया है। फेसबुक के झांसे में न आएँ।
इसी दिशा में सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को लग रहा है कि इंटरनेट के 'सेवा' (पढ़िए बिज़नेस) के पूरे पैसे नहीं मिल रहे हैं। तब सरकार की ओर से TRAI, जिसके लिए व्यापारियों का हित परम धर्म है, ने नेट न्यूट्रेलिटी की बहस शुरू की है।
एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि व्हॉट्सऐप, स्काइप और वाइबर जैसी इंटरनेट-आधारित सेवाओं से भारत के भीतर की जाने वाली कॉलों को उसी तरह 'नियंत्रित' किया जाना चाहिए, जैसे 'परंपरागत' फोन कॉलों को किया जाता है। इसी दिशा में तीन प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर्स एयरटेल, वोडाफोन और आईडिया सेल्‍यूलर ने कॉल ड्रॉप्स और नेट न्यूट्रैलिटी पर अपना स्टैंड आईटी पर संसद की स्थायी समिति के सामने रख दिया है।
यह तमाशा है क्या ?
अभी :
सभी वेबसाइट्स और ऐप को बराबरी का दर्जा दिया जाता है।
प्रत्येक यूजर की किसी भी वेब-बेस्ड सर्विस तक पहुंच बनी रहती है।
कोई भी वेबसाइट या ऐप ब्लॉक नहीं होता।
हर वेबसाइट के लिए एक समान स्पीड मिलती है।
इसके तहत विकल्प असीमित रहेंगे, बिल नियंत्रण में रहेगा।
यदि इसे ख़त्म किया गया तो?
अलग-अलग वेबसाइट के लिए अलग-अलग स्पीड मिलेगी।
टेलीकॉम कंपनी से जुड़े ऐप और वेबसाइट ही फ्री होंगे।
जिन ऐप, वेबसाइटों के साथ करार नहीं, उनके लिए अतिरिक्त पैसे देने होंगे।
अच्छी स्पीड के लिए भी अलग से भुगतान करना होगा।
ग्राहकों का फोन बिल बढ़ेगा।
इंटरनेट की वर्तमान व्यवस्था बनाए रखने के लिए, और जो अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस, जापान में भी है,
आपसे अनुरोध है www.mygov.in पर वर्तमान व्यवस्था के पक्ष में कमेंट्स दें।
">

No comments:

Post a Comment