
जो भी कहा जा रहा है वह चैनल वाले ही कह रहे हैं। चैनलों द्वारा एक हिस्टीरिया उत्पन्न करने का प्रयास है। ज़ाहिर यह देशभक्ति के लिए नहीं बल्कि अन्य कारणों से है।
यह हमारे सेना और सैनिकों के मनोबल के लिए ठीक नहीं है। सर्जिकल स्ट्राइक पर दिए गए सेना के बयान में सोच समझ कर चुन कर शब्दों का प्रयोग किया गया था : "......बहुत विशिष्ट और विश्वसनीय के आधार पर हमें प्राप्त जानकारी है कि कुछ आतंकवादी टीमों जम्मू-कश्मीर और हमारे देश में विभिन्न अन्य महानगरों के अंदर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के एक उद्देश्य के साथ नियंत्रण रेखा पर लांच पैड पर खुद को तैनात किया है और घुसपैठ करने वाले हैं। भारतीय सेना इन लांच पैड पर कल रात सर्जीकल हमलों का आयोजन किया। हमले से यह सुनिश्चित करना है कि इन आतंकवादियों के घुसपैठ कर अपने डिजाइन में सफल नहीं हों और हमारे देश के नागरिकों के जीवन खतरे में न पड़े।.... "
और सच्चाई यह की हमारे सैनिक उडी और बारामुला में शहीद हुए हैं। सर्जीकल स्ट्राइक्स पर Hindustan जैसे समाचार पत्र में लिखा गया की :
"भारत ने पीओके में घुसकर 38 आतंकियों को किया ढेर : उरी हमले के 10 दिन बाद भारतीय सेना ने 18 सैनिकों की शहादत का बदला ले लिया। 45 साल में पहली बार हमारे जवान एलओसी के पार करीब तीन किलोमीटर अंदर घुसे और चार घंटे में सात आतंकी कैंपों को नेस्तनाबूद कर 38 आतंकियों को ढेर कर दिया।"
अब सेना अपने बयान में तो पाकिस्तान के अंदर, नियंत्रण रेखा के पार घुसने की बात तो नहीं कही। फिर यह प्रचार क्यों हुआ? क्यों चैनल वाले फालतू बोल रहें हैं। सिर्फ अरविन्द केजरीवाल और संजय निरुपम ही नहीं, चैनल वालों को भी शहीदों के सम्मान में कम से कम और इस पर सोच समझ कर बोलने चाहिए।
मीडिया को अधिक ज़रूरी है की संयम से समाचार दें। वरना अति उत्साह में वे मोदी जी का नुकसान ही करेंगे।
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